एक महिला अपनी बेटी की मौत का शोक मनाती है, लेकिन वो वास्तविकता पर से अपनी पकड़ तब खोने लगती है जब उसे यह लगने लगता है की उसकी बेटी अभी भी ज़िंदा है.एक महिला अपनी बेटी की मौत का शोक मनाती है, लेकिन वो वास्तविकता पर से अपनी पकड़ तब खोने लगती है जब उसे यह लगने लगता है की उसकी बेटी अभी भी ज़िंदा है.एक महिला अपनी बेटी की मौत का शोक मनाती है, लेकिन वो वास्तविकता पर से अपनी पकड़ तब खोने लगती है जब उसे यह लगने लगता है की उसकी बेटी अभी भी ज़िंदा है.