एक आपराधिक मनोवैज्ञानिक (बैरी) की आंख खुलती है तो वो ख़ुद को उसी संस्था में मरीज़ के रूप में पाती है जहां वो काम करती है, उसे उस क़त्ल की कोई याद नहीं है जिसे करने का उस पर इल्ज़ाम है. जब वो... सभी पढ़ेंएक आपराधिक मनोवैज्ञानिक (बैरी) की आंख खुलती है तो वो ख़ुद को उसी संस्था में मरीज़ के रूप में पाती है जहां वो काम करती है, उसे उस क़त्ल की कोई याद नहीं है जिसे करने का उस पर इल्ज़ाम है. जब वो अपनी याददाश्त - और अपनी आज़ादी - वापस पाने की कोशिश करती है तो बदला लेने को उतारू एक आत्म... सभी पढ़ेंएक आपराधिक मनोवैज्ञानिक (बैरी) की आंख खुलती है तो वो ख़ुद को उसी संस्था में मरीज़ के रूप में पाती है जहां वो काम करती है, उसे उस क़त्ल की कोई याद नहीं है जिसे करने का उस पर इल्ज़ाम है. जब वो अपनी याददाश्त - और अपनी आज़ादी - वापस पाने की कोशिश करती है तो बदला लेने को उतारू एक आत्मा उसे नियंत्रित करती है.