Ancient Indian History: Test No-05
Ancient Indian History: Test No-05
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TEST NO-05
Ancient Indian History
Art and Culture and
Medieval India:
Ancient History Medieval India:
▪ Prehistoric period ▪ Early Medieval Period
▪ Harappan / Indus Valley Civilization ▪ North India
▪ Vedic Age ▪ South India
▪ Mahajanapadas ▪ Sultanate Period
▪ Religious Reforms ▪ The Delhi Sultanate
▪ Mauryan Age & Post Mauryan Age ▪ Vijayanagar & other Kingdoms
▪ Sangam Age ▪ Religiou s Movements
▪ Guptas Age & Post Guptas Age ▪ Bhakti Movement
Art & Culture ▪ Sufi Movement
▪ Architecture and Sculptures ▪ Mughal Period
▪ Religion and Philosophy ▪ Maratha Confederacy
▪ Indian paintings -
▪ Indian Music
▪ Indian Dances ▪ Old NCERT: Ancient India
▪ Indian Theatres ▪ Old NCERT: Medieval India
▪ Indian cinema ▪ Class XI NCERT Introduction to India
–
▪ Science and Technology in Ancient India Indian History Part -1 and Part 2
▪ Indo Islamic Culture ▪ CCRT website:
PT -2022
-
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1. प्रागैततहातसक कालीन शैल तित्रों के संदभभ में, 4. नागर शैली के मंकदर में प्रिेश के समय दृश्य, मंकदर
तनम्नतलतखत कथनों पर तििार कीतिएः स्थापत्य कला के तनम्नतलतखत घटकों को सही क्रम में
1. भारत में पाए गए प्रािीनतम तित्र तनम्न- व्यितस्थत कीतिए।
पुरापाषाण काल के हैं।
1. गभभगृह
2. ईत्तर-पुरापाषाण काल के दौरान तित्रकला के
2. मंडप
ऄनेक तिषय थे, लेककन तित्रों का अकार
3. ऄंतराल
ऄपेक्षाकृ त छोटा होता था तिनमें तशकार के
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए।
दृश्यों की प्रधानता थी।
3. मध्यपाषाण काल के तित्र तिशाल िानिरों और (a) 1-2-3
छड़ी सदृश पतली मानि अकृ ततयों के रै तखक (b) 2-3-1
तनरूपण थे।
(c) 1-3-2
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) 1, 2 और 3 (d) 3-2-1
(b) के िल 2
(c) के िल 3 5. हड़प्पा काल के दौरान तितभन्न स्थानों से तशल्प
(d) ईपयुभक्त में से कोइ नहीं ईत्पादन हेतु ऄतधप्राप्त कच्चे माल के संदभभ में,
तनम्नतलतखत युग्मों पर तििार कीतिए:
2. गुप्त काल के दौरान व्यापार और ऄथभव्यिस्था के संदभभ कच्चा माल स्थान
में, तनम्नतलतखत कथनों पर तििार कीतिए: 1. तांबा : गुिरात
1. प्रािीन भारत में गुप्तों ने सिाभतधक संख्या में स्िणभ ऄफगातनस्तान
2. लाििदभ मतण :
तसक्के िारी ककए।
3. सेलखड़ी : इरान
2. गुप्त काल में लंबी दूरी के व्यापार में िृति हुइ।
4. कानीतलयन : गुिरात
3. आस काल में एक पुरोतहत-िमींदार िगभ का ईदय
हुअ। ईपयुभक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेतलत हैं ?
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) के िल 1 और 3
(a) के िल 1
(b) के िल 2, 3 और 4
(b) के िल 2 और 3
(c) के िल 2 और 4
(c) के िल 1 और 3
(d) के िल 1 और 4
(d) 1, 2 और 3
3. तनम्नतलतखत युग्मों पर तििार कीतिए: 6. दतक्षण भारत में भतक्त अंदोलन के संदभभ में,
शासक ईत्पतत्त तनम्नतलतखत कथनों पर तििार कीतिए:
1. िेर : ततमलकम 1. नयनार मागभदशभक तशि भक्त थे।
(b) के िल 2 और 3 (b) के िल 2
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7. िोलों के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर तििार 10. तनम्नतलतखत में से कौन-से कारक मगध के सोलह
कीतिएः महािनपदों में सबसे शतक्तशाली महािनपद के रूप में
1. तिियालय िोल साम्राज्य का संस्थापक था। ईभरने हेतु ईत्तरदायी थे?
2. िोल शासक ऄपनी नौसैतनक शतक्त के तलए 1. लौह खदानों की ईपतस्थतत ईपकरणों एिं
प्रतसि थे। हतथयारों के तलए संसाधन ईपलब्ध कराती थीं।
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 2. हाथी मगध की सेना का एक महत्िपूणभ ऄंग थे।
(a) के िल 1 3. सबतबसार, ऄिातशत्रु और महापद्म नंद िैसे
(b) के िल 2 महत्िाकांक्षी शासक एिं मंत्री।
(c) 1 और 2 दोनों नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए।
(a) 1, 2 और 3
(d) न तो 1, न ही 2
(b) के िल 2 और 3
(a) के िल 1, 2 और 3 (a) के िल 1
(b) के िल 1, 3 और 4 (b) के िल 2
(c) के िल 2 और 4 (c) 1 और 2 दोनों
(d) के िल 1 और 3 (d) न तो 1, न ही 2
9. िैत्य एिं तिहारों के तिकास के संदभभ में, तनम्नतलतखत 12. ताम्रपाषाण काल के संदभभ में, कौन-सा कथन सही
कथनों पर तििार कीतिएः
नहीं है?
1. िैत्य एिं तिहार बौि और िैन दोनों के मठीय
संकुलों (पररसर) के भाग थे। (a) आस काल में तांबे और पत्थर की िस्तुओं का
प्रिलन था।
2. शैलकृ त िैत्य एिं तिहारों का ईद्गम मौयभ काल में
(b) आस काल के दौरान सेलखड़ी, कांिमतण, स्फरटक
हुअ था।
और कानीतलयन िैसे ऄधभ-कीमती पत्थरों के
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
मनकों का तनमाभण ककया गया था।
(a) के िल 1
(c) ताम्रपाषाण काल के लोग िस्त्र बनाने की कला से
(b) के िल 2 ऄच्छी तरह पररतित थे।
(c) 1 और 2 दोनों (d) आस काल में सबसे ऄतधक तितत्रत धूसर मृदभांड
(d) न तो 1, न ही 2 का ईपयोग ककया िाता था।
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13. भारत में मध्यकालीन सुल्तानों के संदभभ में, 16. भारत के आततहास के संदभभ में, लोपामुद्रा, मैत्रय
े ी और
15. मुगल बादशाह ऄकबर द्वारा प्रारं भ ककए गए 18. हाल ही में, सुर्वियों में रहा ररििभ एडिाआिरी एंड
सामातिक और शैतक्षक सुधारों के संदभभ में, मैनि
े मेंट पाटभनरतशप (RAMP) प्रोग्राम संबंतधत है:
तनम्नतलतखत में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (a) यह सूक्ष्म तित्त संस्थानों की सहायता करने हेतु
तित्त मंत्रालय, भारत सरकार की एक पहल है।
(a) ऄकबर ने सती प्रथा पर पूणभ प्रततबंध लगा कदया
(b) यह िैतश्वक स्तर पर महामारी से तनपटने हेतु
था।
तिश्व स्िास््य संगठन (WHO) की एक पहल है।
(b) ईसने तिधिा पुनर्वििाह को िैधता प्रदान की।
(c) यह ऄफ्रीकी और ईप-सहारा देशों में आबोला
(c) ईसने तििाह के तलए अयु को बढ़ाकर लड़ककयों संकट ईन्मूलन के तित्तपोषण हेतु तडिाआन की
के तलए 14 िषभ एिं लड़कों के तलए 16 िषभ कर गइ संयुक्त राष्ट्र तिकास कायभक्रम (UNDP) की
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19. संगम सातहत्य के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर 22. यह एक शास्त्रीय एकल नृत्य रूप है, िो अदशभ रूप से
मतहलाओं द्वारा तनष्पाकदत ककया िाता है। तबना
तििार कीतिएः
ककसी ऄिानक झटके ऄथिा ईछाल के लातलत्यपूणभ,
1. संगम ग्रंथों का स्िरूप मुख्यतः धमभतनरपेक्ष था।
ढलािदार शारीररक ऄतभनय आसकी तिशेषता है िो
2. संगम कतिताओं में रािाओं और सरदारों के सैन्य तितभन्न लोक नृत्यों िैसे ‘कइकोत्तीकली’
पराक्रमों का िणभन ककया गया है। (Kaikottikali) से ऄपनायी गइ है। ईपयुभक्त पररच्छेद
3. संगम सातहत्य यिनों (तिदेतशयों) के साथ में, तनम्नतलतखत में से ककस नृत्य शैली का िणभन ककया
िा रहा है?
व्यापार के बारे में िानकारी प्रदान करता है।
(a) कु तिपुड़ी
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(b) मोतहनीऄट्टम
(a) के िल 1 और 2 (c) कथकली
(c) के िल 1 और 3
23. कभी-कभी सुर्वखयों में रहने िाली तशमेररक एंटीिेन
(d) 1, 2 और 3 ररसेप्टर टी-सेल (CAR-T) थेरेपी है:
(b) गुप्त काल के दौरान ईपिाउ भूतम को (c) गंभीर रक्त कैं सर (एरयूट तलम्फोसाआरटक
ल्यूकेतमया) के ईपिार के तलए तिककत्सा।
(c) ततमल भाषा में तलखी कतिताओं को
(d) कोतिड-19 से ठीक हुए मरीिों में ब्लैक फं गस के
(d) अयभभट्ट द्वारा िर्वणत ग्रहीय/अकाशीय बल को
तिकास के तिरुि तिककत्सा।
21. हाल ही में, सुर्वियों में रही इ-100 पायलट 24. बौि धमभ की िातक कथाओं के संदभभ में, तनम्नतलतखत
कथनों पर तििार कीतिए:
पररयोिना संबंतधत है:
1. आन कथाओं में बुि के पूिभ िन्म की घटनाओं का
(a) संपूणभ भारत में एथेनॉल के ईत्पादन और तितरण
िणभन ककया गया है।
से
2. आन्हें स्तूपों के पररक्रमा पथों और तोरण द्वारों पर
(b) DRDO द्वारा आलेतरिक िाहनों के ईत्पादन से तितत्रत ककया गया है।
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(c) एक सौ (100) राष्ट्रों को कोतिड-19 टीका
(a) के िल 1
(िैरसीन) ईपलब्ध कराने हेतु यूरोपीय संघ के
(b) के िल 2
प्रस्ताि से
(c) 1 और 2 दोनों
(d) इ-ऄपतशष्ट के पुनिभक्रण हेतु निीन और
(d) न तो 1, न ही 2
निीकरणीय उिाभ मंत्रालय की पररयोिना से
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25. तनम्नतलतखत में से कौन-से कारकों ने गुप्त साम्राज्य के 28. हाल ही में सुर्वियों में रहे प्राण, स्िस्थ, िायु हैं:
ईदय एिं तिकास में योगदान कदया? (a) भारत से ऄफ्रीकी देशों को टीका सहायता।
1. घोड़ों के ईत्कृ ष्ट ईपयोग के साथ सशक्त सेना। (b) ऑरसीिन अपूर्वत का प्रबंधन करने हेतु भारतीय
(c) के िल 1 और 3
29. प्रािीन काल के दौरान दतक्षण भारत में तनम्नतलतखत
(d) 1, 2 और 3 में से कौन-से प्रकार के गाूँि पाए िाते थे?
1. ईर
26. तनम्नतलतखत में से ककस प्रदशभन कला में 'पुंग िोलोम' 2. सभा
और 'करताल िोलोम' ऄतनिायभ रूप से ईपयोग ककए 3. नगरम
िाने िाले संगीत िाद्ययंत्र हैं? नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए।
2. यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईद्यम मंत्रालय की 3. यह सांख्य के संपूणभ अध्यातत्मक मतों के साथ
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? ईपयुभक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) के िल 1 (a) के िल 1 और 2
(b) के िल 2 (b) के िल 2 और 3
(d) न तो 1, न ही 2 (d) 1, 2 और 3
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31. तनम्नतलतखत में से संगीत के कौन-से स्िरूप कनाभटक 34. कथक नृत्य के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर
संगीत से संबि हैं? तििार कीतिएः
1. ततल्लाना 1. आसे शंकरदेि ने िैष्णि मत के प्रिार-प्रसार के
2. टप्पा
तलए एक माध्यम के रूप में अरं भ ककया था।
3. तनम
2. यह सहदुस्तानी संगीत से िुड़ा एकमात्र शास्त्रीय
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए।
नृत्य रूप है।
(a) के िल 1 और 2
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(b) के िल 2 और 3
(a) के िल 1
(c) के िल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 (b) के िल 2
(c) 1 और 2 दोनों
1. तटीय मंकदर
35. तनम्नतलतखत में से ककस शासक ने िातापीकोंड की
2. गणेश रथ मंकदर
ईपातध धारण की थी?
3. लाडखान मंकदर
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए। (a) ससहिमभन
3. ऄंतःपुर : राि पररिार ईपयुभक्त पररच्छेद में तनम्नतलतखत में से ककस शासक
ईपयुभक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेतलत है/हैं? का िणभन ककया िा रहा है?
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37. भारत में सूफी संतों की तिश्ती परं परा के संदभभ में, 40. प्रारं तभक मध्यकाल के दौरान भारत की अर्वथक
तनम्नतलतखत कथनों पर तििार कीतिएः
पररतस्थततयों के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर
1. अत्मसंयम का ईपदेश देने के बाििूद, तिश्ती
संप्रदाय रािनीततक सत्ता से ऄलग नहीं रहा। तििार कीतिए:
2. औकाफ धमाभथभ न्यास थे तिन्हें सुल्तानों ने 1. आस काल के दौरान दतक्षण-पूिभ एतशया और िीन
धमभशालाओं के तलए दान के रूप में स्थातपत
के साथ व्यापार में तगरािट अइ।
ककया था।
3. तितश्तयों ने धन और सामान दोनों रूपों में दान 2. सोने और िांदी के तसक्कों के प्रिलन में िृति हुइ।
स्िीकार ककए।
3. आस काल के दौरान नगरों का लगातार पतन
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) के िल 1 और 2 हुअ।
(b) 1, 2 और 3
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं
(c) के िल 1 और 3
(a) के िल 1 और 3
(d) के िल 2 और 3
(b) के िल 1
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42. ओलािृतष्ट के कारण फसल की क्षतत का सामना करने 44. मौयोत्तर काल (200 इसा पूिभ - 300 इस्िी) के दौरान
िाले बाग़बानों की सहायता करने के तलए, तहमािल तशल्प के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर तििार
कीतिए:
प्रदेश सरकार स्िदेशी रूप से तिकतसत 'एंटी-हेल गन'
1. शाटक मथुरा में तनर्वमत एक तिशेष प्रकार का
के ईपयोग का परीक्षण कर रही है। आस संदभभ में, एंटी- िस्त्र था।
2. तसक्कों की ढलाइ एक महत्िपूणभ तशल्प था और
हेल गन के संबंध में तनम्नतलतखत कथनों में से कौन-सा
नकली रोमन तसक्कों की ढलाइ भी प्रितलत थी।
सही है? 3. कु षाण और सातिाहन क्षेत्रों में टेराकोटा का
तनमाभण प्रितलत था।
(a) ये बादलों में िल की बूंदों को ओलों में पररिर्वतत
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
होने से रोकने के तलए अघात तरं गें छोड़ती हैं।
(a) के िल 2 और 3
(b) ये बादलों में िल की बूंदों को छोटे बफभ के टु कड़ों
(b) के िल 2
में पररिर्वतत कर देती हैं।
(c) के िल 1 और 3
(c) ये बादलों में िल की बूंदों को बनने से रोकने के (d) 1, 2 और 3
तलए रलाईड सीसडग की तकनीक का ईपयोग
करती हैं। 45. मराठा रािस्ि तनधाभरण प्रणाली के संदभभ में,
(d) ये बादलों के तनमाभण को रोकने के तलए 24 घंटे में तनम्नतलतखत कथनों पर तििार कीतिएः
1. िौथ एक कर था िो कु ल भू -रािस्ि पर
एक बार ततड़त झंझािात के दौरान ऄति
नाममात्र एक-िौथाइ िसूला िाता था।
प्रज्ितलत करती हैं।
2. सरदेशमुखी ईन भूतमयों पर दस प्रततशत का
ऄततररक्त कर था तिन पर मराठों ने ऄपने
िंशानुगत ऄतधकारों का दािा ककया था।
43. कनाभटक में िीरशैि परं परा के संदभभ में, तनम्नतलतखत
3. दोनों कर के िल मराठा साम्राज्य में िसूल ककए
कथनों पर तििार कीतिएः िाते थे।
1. आस परं परा के ऄनुयायी िाम स्कं ध पर िांदी के ईपयुभक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(c) के िल 1 और 3 (b) के िल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) के िल 2 और 3
(d) न तो 1, न ही 2
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47. भारत की लोक परं पराओं के संदभभ में, तनम्नतलतखत 50. तिियनगर साम्राज्य के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों
युग्मों पर तििार कीतिएः
पर तििार कीतिएः
लोक संगीत राज्य
1. साम्राज्य में दुग की सात पंतक्तयाूँ थीं िो न के िल
1. छकरी : पंिाब
नगरों को बतल्क कृ तष में प्रयुक्त असपास के क्षेत्र
2. बुराभकथा : अंध्र प्रदेश
ि िनों को भी घेरती थीं।
3. दसकरठया : कनाभटक
2. दीिारों के तनमाभण में कहीं भी गारे या िोड़ने
ईपयुभक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेतलत है/हैं?
िाली ककसी भी िस्तु का प्रयोग नहीं ककया गया
(a) के िल 1 और 2
था।
(b) के िल 2
3. िलाशय और नहरें साम्राज्य की प्रमुख तिशेषताएं
(c) के िल 1 और 3
थीं।
(d) ईपयुभक्त में से कोइ नहीं
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(d) न तो 1, न ही 2 2. भारत
3. कनाडा
से।
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए।
(b) नकली दिाओं के तिक्रय के तिरुि आं टरपोल की
(a) के िल 1, 3, 4 और 5
पहल से।
(c) कोतिड के टीकों की िैतश्वक अपूर्वत के तलए (b) के िल 2 और 5
WHO की पहल से।
(c) के िल 3 और 4
(d) अतंकिाद के तित्तपोषण के खतरे को रोकने के
तलए FATF की पहल से। (d) के िल 3, 4 और 5
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52. पुरापाषाण काल के संदभभ में, तनम्नतलतखत में से कौन- 55. हाल ही में, सुर्वियों में देखा गया शब्द "तलनेटहोम
1. भारत की पुरापाषाण संस्कृ तत का तिकास (a) यह प्रभािी िाहन िार्जिग हेतु टेस्ला आलेतरिक
कारों में ईपयोग की िाने िाली तकनीक है।
तहमयुग के प्लीस्टोसीन काल में हुअ था।
(b) यह कोपेनहेगन के बंदरगाह को समुद्र के बढ़ते
2. पुरापाषाण युग के तितशष्ट औज़ार शल्क
िल स्तर से बिाने हेतु एक कृ तत्रम द्वीप है।
(flakes) और लघु पाषाण (microliths) थे।
(c) यह कक्रप्टोकरें सी को िैधता प्रदान करने हेतु
3. पुरापाषाण स्थल देश की पहाड़ी ढलानों और यूरोपीय संघ की एक पहल है।
नदी घारटयों में पाए िाते हैं तथा ससधु एिं गंगा (d) यह हाल ही में ऄसम में खोिी गइ हरी तछपकली
के िलोढ़ मैदानों में नहीं पाए िाते हैं। की एक प्रिातत है।
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए।
(a) 1, 2 और 3 56. तनम्नतलतखत हड़प्पाइ शहरों में से कौन-से भारत में
(b) के िल 1 और 3 तस्थत हैं?
(c) के िल 1 और 2 1. रं गपुर
(d) के िल 2 और 3 2. रोिड़ी
3. िन्हुदड़ो
4. सुरकोटड़ा
53. मुग़ल बादशाहों द्वारा तैयार करिाए गए आततिृत्तों के
संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर तििार कीतिए: 5. सुत्कागेंडोर
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए।
1. महाभारत का फारसी संस्करण रज़्मनामा था।
(a) के िल 1, 2, 4 और 5
2. पांडुतलतप रिना के मुख्य कें द्र को शाही
(b) के िल 3, 4 और 5
'ककताबखाना' (Kitab khana) के नाम से िाना
(c) के िल 1, 2 और 4
िाता था।
(d) के िल 2, 3 और 5
3. मुग़लकालीन भारत में सभी पुस्तकें हस्ततलतखत
थीं।
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 57. तनम्नतलतखत पररच्छेद पर तििार कीतिए:
आस छाया पुतली कला में ईन पुततलयों का ईपयोग
(a) के िल 1 और 2
ककया िाता है िो अकार में बड़ी होती हैं और
(b) 1, 2 और 3 ईनके कमर, कं धे, कु हनी और घुटनों में िोड़ होते हैं।
(c) के िल 1 और 3 पुततलयाूँ दोनों तरफ से रं गी िाती हैं तिससे पदे पर
रं गीन छाया पड़ती है। पुतली नाटकों का संगीत
(d) के िल 2 और 3
मुख्यत: शास्त्रीय संगीत होता है और पुतली नाटकों के
तिषय रामायण िैसे महाकाव्यों से तलए गए होते हैं।
54. ससधु घाटी सभ्यता के संदभभ में, लुप्त मोम तकनीक यह मुख्य रूप से अंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में
प्रितलत है।
(lost wax technique) का प्रमुखता से प्रयोग ककया
ईपयुभक्त पररच्छेद में पुतली कला के तनम्नतलतखत रूपों
गया था:
में से ककसका िणभन ककया िा रहा है?
(a) तित्रकलाओं में
(a) बोम्मालट्टा
(b) मूर्वतयों में
(b) तोलु बोम्मालट्टा
(c) अभूषणों में
(c) यमपुरी
(d) मृदभांडों में
(d) पािाकू थू
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58. तनम्नतलतखत तसिांतों में से कौन-सा भारत के अतस्तक 62. ये रािस्थान में भीलिाड़ा के असपास के क्षेत्र में रहने
दाशभतनक तसिांतों से संबंतधत नहीं है? िाले ग्रामीण समुदायों के लोक देिताओं का सम्मान
करने के तलए तितत्रत दीघभ, क्षैतति, कपड़े के पदे
(a) योग
(स्क्रॉल) हैं। आन्हें पारं पररक रूप से 'िोशी' नामक एक
(b) न्याय
िातत द्वारा तितत्रत ककया गया है िो रािस्थान के
(c) िैशेतषक रािाओं के दरबार में तित्रकार रहे हैं।
(d) अिीिक ईपयुभक्त पररच्छेद में तनम्नतलतखत तित्रकलाओं में से
ककसका िणभन ककया िा रहा है?
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65. प्रथम एिं तद्वतीय शताब्दी इस्िी. के यूनानी और 68. बारहिीं शताब्दी तक, भारत में बौि धमभ व्यािहाररक
रोमन िृत्तांतों के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर
रूप से तिलुप्त हो गया। आसके पतन के पीछे
तििार कीतिएः
1. यूनानी भाषा में तलखी गइ टॉलमी की 'ज्योग्राफी' तनम्नतलतखत में से कौन-से कारण हैं?
तहस्टीररया भारत और आटली के मध्य होने िाले 2. तभक्षुओं ने पाली भाषा को त्याग कदया और
व्यापार पर महत्िपूणभ िानकारी प्रदान करती है।
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? बुतििीतियों की भाषा संस्कृ त को ऄपनाया।
(b) के िल 2 और 3
66. यह 16िीं शताब्दी के पूिाभिभ से संबंतधत लघु
तित्रकला है। आनमें 'िौरपंिातशका' (c) के िल 1 और 3
(Chaurapanchasika) तित्र- तिसमें तबल्हण द्वारा
(d) 1, 2 और 3
रतित एक िोर की पिास पंतक्तयां शातमल हैं। आस
तित्रकला की शैली शुि स्िदेशी है और आसे पतिमी
भारतीय कला की प्रारतम्भक परम्परा से तलया गया है
और आस पर न तो फारसी और न ही मुगल शैली का 69. हड़प्पा की मुहरों के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर
कोइ प्रभाि प्रतीत होता है।
तििार कीतिएः
ईपयुभक्त पररच्छेद में तनम्नतलतखत में से ककस तित्रकला
का िणभन ककया िा रहा है? 1. हड़प्पा की मुहरें प्राय: सेलखड़ी से तनर्वमत होती
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70. भारत में सूफी परं परा के संदभभ में, तनम्नतलतखत युग्मों 73. िल्डभ माआग्रेशन ररपोटभ ककसके द्वारा प्रकातशत की
िाती है:
पर तििार कीतिएः
(a) संयुक्त राष्ट्र तिकास कायभक्रम
शब्दािली ऄथभ
(b) आं टरनेशनल ऑगेनाआिेशन फॉर माआग्रेशन
1. तज़यारत : शेि के पतित्र-मकबरे की तीथभ
(c) ग्लोबल माआग्रेशन ग्रुप
यात्रा
शेखों के ऄनुयायी (d) ओिरसीि डेिलपमेंट आं तस्टट्यूट
2. मुरीद :
(b) 1, 2 और 3
76. तनम्नतलतखत स्थलों पर तििार कीतिए:
(c) के िल 1 और 3
1. कं दहार (कं धार)
(d) के िल 2 और 3
2. मानसेहरा
3. कलसी
72. भारत के मध्यकालीन आततहास के संदभभ में, कोर्वनश 4. मेरठ
शब्द है: ईपयुभक्त स्थलों में से कौन-से ऐसे हैं, िहाूँ सम्राट
(a) औपिाररक ऄतभिादन का स्िरूप ऄशोक के काल के प्रमुख महातशलालेख पाए गए हैं?
(b) सम्मान सूिक िस्त्र (a) के िल 1, 3 और 4
(c) िास्तुकारों की तनमाभण योिना (b) के िल 1, 2 और 3
(d) मुगल सम्राटों द्वारा धारण की िाने िाले पगड़ी (c) के िल 2 और 4
का प्रकार (d) 1, 2, 3 और 4
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77. पतिमी गंग शासकों के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों 80. भारत के सांस्कृ ततक आततहास के संदभभ में,
पर तििार कीतिए: तनम्नतलतखत युग्मों पर तििार कीतिएः
ग्रंथ लेखक
1. ये सातिाहनों के समकालीन थे।
1. मेघदूत : बाणभट्ट
2. आन्होंने दतक्षणी कनाभटक के क्षेत्र में शासन ककया।
2.ऄतभज्ञान-शाकु न्तलम् : कातलदास
3. आन्होंने मुख्यतः िैनों को भूतम ऄनुदान कदया। 3. ऄमरकोश : ऄमर ससह
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? ईपयुभक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेतलत हैं?
(a) के िल 1 (a) के िल 1 और 2
(b) के िल 2 और 3
(b) के िल 2 और 3
(c) के िल 1 और 3
(c) के िल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
तनम्नतलतखत में से ककन ईपायों का प्रयोग ककया गया (a) पुिाररयों को प्राप्त भूतम ऄनुदान से
3. कु ओं और तालाबों के माध्यम से ससिाइ करना 82. तबटकॉआन (BITCOIN) के संदभभ में, तनम्नतलतखत
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए। कथनों पर तििार कीतिए:
(a) के िल 1 और 2 1. तबटकॉआन बाज़ार मूल्य के अधार पर दुतनया की
सबसे बड़ी कक्रप्टोकरें सी है।
(b) के िल 1 और 3 2. संयुक्त राज्य ऄमेररका तबटकॉआन को िैध मुद्रा के
(c) के िल 2 और 3 रूप में स्िीकृ तत प्रदान करने िाला पहला देश है।
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(d) 1, 2 और 3
(a) के िल 1
(b) के िल 2
79. गुरु नानक के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर तििार (c) 1 और 2 दोनों
कीतिएः (d) न तो 1, न ही 2
1. ईन्होंने तनगुभण भतक्त का प्रिार ककया।
2. ईन्होंने तहन्दू एिं मुतस्लम दोनों के अनुष्ठातनक 83. तराआन के युि (1191-1192) के संदभभ में,
तनम्नतलतखत कथनों पर तििार कीतिए:
प्रथाओं को नकारा।
1. यह युि पृ्िीराि िौहान के ऄधीन एक संघ
3. िह बाबर और आब्रातहम लोदी के समकालीन थे।
और मुहम्मद गोरी के बीि लड़ा गया था।
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? 2. आसने भारत में तुकी शासन की स्थापना की।
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84. तनम्नतलतखत में से ककन्हें 18िीं शताब्दी की मुगल 87. ईसने ईत्तर-पतिमी भारत और बंगाल में सत्ता
रािनीतत में 'रािा बनाने िाले' (ककग मेकर) माना स्थातपत की थी। ईसने तिक्रमाकदत्य की ईपातध धारण
की थी। ईसका दरबार कातलदास सतहत ऄनेक
िाता था?
तिद्वानों द्वारा सुशोतभत था। िीनी तीथभयात्री फाह्यान
1. हुसैन खान
(Fa-Hsien) ने ईसके शासनकाल के दौरान भारत
2. ऄब्दुल्ला खान की यात्रा की थी।
3. सैय्यद ऄहमद खान ईपयुभक्त पररच्छेद तनम्नतलतखत शासकों में से ककसका
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए। सिोत्तम िणभन करता है?
(a) 1, 2 और 3 (a) िंद्रगुप्त प्रथम
(b) के िल 2 और 3 (b) िंद्रगुप्त तद्वतीय
(c) के िल 1 और 3 (c) समुद्रगुप्त
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91. प्रािीन भारतीय भाषाओं और तलतपयों के संदभभ में, 94. निपाषाण युग के संदभभ में, तनम्नतलतखत कथनों पर
1. खरोष्ठी तलतप दाएं से बाएं तलखी िाती थी। 1. आस युग के लोग पत्थर के बने पॉतलशदार
नीिे कदए गए कू ट का प्रयोग कर सही ईत्तर िुतनए। ईपयुभक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) के िल 1 और 2 (a) के िल 1 और 2
(b) के िल 2 और 3
(b) के िल 1 और 3
(c) के िल 1 और 3
(c) के िल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
(d) क्रायोिेतनक आं िन के तिकास के तलए आसरो द्वारा (c) तिन संस्थाओं ने मैंडटे पर हस्ताक्षर ककए हैं, ईन्हें
ईपयोग की िाने िाली तकनीक से कभी भी आस पहल से हटाया नहीं िा सकता है।
(d) के िल तितधक रूप से स्थातपत सािभितनक ईद्यम
93. तनम्नतलतखत स्थापत्य तिशेषताओं में से कौन-सी ससधु ही सीइओ िाटर मैंडटे का समथभन कर सकते हैं।
घाटी सभ्यता के छोटे और बड़े शहरों में अमतौर पर
होती थी/थीं? 96. गुप्त साम्राज्य के पतन के पररणामस्िरूप तनम्नतलतखत
1. सुतिकतसत िल तनकास प्रणाली में से कौन-से प्रमुख राििंशों का ईदय हुअ?
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97. Which among the following foreign 97. तनम्नतलतखत में से ककस तिदेशी यात्री ने तिियनगर
travellers did not visit the Vijayanagara साम्राज्य की यात्रा नहीं की थी?
empire?
(a) तनकोलो दे कोंटी
(a) Niccolo di Conti
(b) Abd al-Razzaq (b) ऄब्दुल रज़्ज़ाक
(c) Fernao nuniz (c) फनाभिो नूतनज़
(d) Megasthenes (d) मेगस्थनीि
98. Krishna III invaded North India in 963 AD 98. कृ ष्ण तृतीय ने 963 इस्िी में ईत्तर भारत पर अक्रमण
and defeated the Pratihara ruler. To which of ककया और प्रततहार शासक को परातित ककया। कृ ष्ण
the following dynasties did Krishna III तृतीय तनम्नतलतखत में से ककस राििंश से संबंतधत
belong? था?
(a) Pala
(a) पाल
(b) Rashtrakuta
(b) राष्ट्रकू ट
(c) Pallava
(c) पल्लि
(d) Chola
(d) िोल
99. Consider the following statements with
respect to the Rig Vedic polity: 99. ऊग्िैकदक राज्य व्यिस्था के संदभभ में, तनम्नतलतखत
1. The king’s post became hereditary and कथनों पर तििार कीतिए:
he exercised unlimited power over the 1. रािा का पद िंशानुगत हो िुका था और ईसने
tribal assembly. कबायली संघटन पर ऄसीतमत शतक्त का प्रयोग
2. Women were allowed to attend tribal ककया था।
assemblies of sabha and vidatha. 2. तस्त्रयों को सभा और तिदथ के कबायली संघटनों
3. The most important functionary in day- में भाग लेने की ऄनुमतत थी।
to-day administration was purohita who 3. दैतनक प्रशासन में सबसे महत्िपूणभ ऄतधकारी
was responsible for the collection of
पुरोतहत था िो करों के संग्रहण के तलए
taxes. ईत्तरदायी था।
Which of the statements given above is/are
ईपयुभक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
correct?
(a) के िल 1 और 3
(a) 1 and 3 only
(b) 2 only (b) के िल 2
(c) 2 and 3 only (c) के िल 2 और 3
(d) 1, 2 and 3 (d) 1, 2 और 3
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ANSWERS & EXPLANATIONS
GENERAL STUDIES (P) TEST – 3474 (2022)
Q 1.D
पुरापाषाण काल (Paleolithic Age or Old Stone Age) मानव ववकास का सबसे प्रारंवभक काल है, जो लगभग 8000
इसा पूवव तक जारी रहा। आसे दो भागों में ववभावजत ककया गया है: वनम्न या पूवव -पुरापाषाण काल (40,000 इसा पूवव तक) और
ईच्च या ईत्तर-पुरापाषाण काल (40,000-8000 इसा पूवव तक)। पुरापाषाण काल के दौरान मनुष्य अखेटक एवं खाद्य संग्राहक
था। अखेट या विकार और ऄन्य ईद्देश्यों के वलए मनुष्य पत्थरों के फलक ईतार कर बनाए गए (chipped) और चॉपर
(chopped) प्रकार के पत्थर के औजारों का ईपयोग करता था।
भारत में ऄब तक जो प्राचीनतम वचत्र वमले हैं, वे ईत्तर- पुरापाषाण काल के हैं। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
ईत्तर- पुरापाषाण युग के वचत्र हरी और गहरी लाल रेखाओं से बनाए गए हैं, आनमें से कु छ छड़ी जैसी पतली मानव अकृ वतयां हैं
लेककन ऄवधकांि वचत्र बड़े-बड़े जानवरों, जैसे भैसों, हावथयों, बाघों, गैंडो और सूऄरों के हैं। कु छ वचत्र धवन वचत्र (wash
paintings) हैं, लेककन ऄवधकांि वचत्र ज्यावमतीय अकृ वतयों से भरे हुए हैं। ऐसे वचत्रों का विकाररयों से कोइ संबंध नहीं
कदखाया गया है। हरे वचत्र नतवकों के और लाल वचत्र विकाररयों के हैं। ईदाहरण के वलए, ऄल्मोड़ा-बारेवछना मागव पर ऄल्मोड़ा
से लगभग 20 ककलोमीटर की दूरी पर सुयाल नदी के ककनारे वथथत लखुवडयार में पाये गए िैलाश्रयों में प्रागैवतहावसक काल के
ऄनेक वचत्र वमले हैं। लखुवडयार का िावददक ऄथव है एक लाख गुफाएं। यहां पाए जाने वाले वचत्रों को तीन श्रेवणयों में बााँटा जा
सकता है: मानव वचत्र, पिु वचत्र और ज्यावमतीय अकृ वतयााँ। ये सफे द, काले और लाल रंगों के हैं। आनमें मनुष्यों को छड़ी जैसे
रूप में कदखाया गया है। पिु वचत्रों में , एक लंबे थूथन वाला जानवर, एक लोमड़ी और कइ रंगों वाली वछपकली वचत्रकारी के
मुख्य ववषय हैं। लहरदार रेखाएं, अयताकार ज्यावमतीय वडजाआनों और ऄनेक वबन्दुओं के समूह आन वचत्रों में देखे जा सकते हैं।
आसवलए कथन 2 सही नहीं है।
मध्यपाषाण काल के दौरान, ववषयों की संख्या कइ गुना बढ़ गइ, मगर वचत्रों का अकार छोटा हो गया। विकार के दृश्यों को
प्रमुखता वमल गइ। विकार के दृश्यों में लोगों को समूह बनाकर कांटेदार भाले , नोकदार डंडे, तीर-कमान लेकर जानवरों का
विकार करते हुए कदखाया गया है। कु छ वचत्रों में अकदमानवों को जाल-फं दे लेकर या गट्ते अकद खोदकर जानवरों को पकड़ने की
कोविि करते हुए कदखाया गया है। विकाररयों को साधारण कपड़े और गहने पहने हुए वचवत्रत ककया गया है। कु छ वचत्रों में
मनुष्यों को सुन्दर कपड़ों में सजा हुअ और कु छ में मुखौटे पहने हुए भी दिावया गया है। कु छ वचत्रों में हाथी, जंगली सांड, बाघ,
िेर, सूऄर, बारहससगा, वहरण, तेंदअ
ु , चीता, गैंडा, मछली, मेंढक, वछपकली, वगलहरी जैसे छोटे-बड़े जानवरों को और पवियों
को भी वचवत्रत ककया गया है। आसवलए कथन 3 सही नहीं है।
Q 2.C
गुप्त साम्राज्य तीसरी िताददी इ. के मध्य से लेकर 543 इ. तक ऄवथतत्व में था। आवतहासकारों द्वारा आस काल को ‘भारत का
थवणव युग’ माना जाता है।
आसकी थथापना श्री गुप्त द्वारा की गइ थी और आस राजवंि के कु छ प्रवसद्ध िासक चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त वद्वतीय
ऄथावत् ववक्रमाकदत्य थे।
गुप्त साम्राज्य के वववभन्न भागों की यात्रा करने वाले फावहयान/फाह्यान (Fa-Hien) के वृत्तांतों से हमें गुप्त काल के लोगों के
अर्थथक जीवन के बारे में कु छ जानकारी वमलती है।
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कथन 1 सही है: प्राचीन भारत में, गुप्तों ने सवाववधक संख्या में थवणव वसक्के जारी ककए, वजन्हें ईनके विलालेखों में ‘दीनार’ कहा
गया है। आन वसक्कों में गुप्त राजाओं का थपष्ट रूप से वचत्रण ककया गया है, वजससे युद्ध एवं कला के प्रवत परवती गुप्त राजाओं के
प्रेम का संकेत वमलता है।
कथन 2 सही नहीं है: अरंवभक काल की तुलना में गुप्त काल में लंबी दूरी के व्यापार में वगरावट हुइ। 550 इ. तक भारत का पूवी
रोमन साम्राज्य के साथ कु छ व्यापार होता था वजसमें भारत आस साम्राज्य के वलए रेिम का वनयावत करता था। 550 इ. के
असपास पूवी रोमन साम्राज्य के लोगों ने चीन के लोगों से रेिम ईत्पादन की कला सीख ली, वजसने भारत के वनयावत व्यापार
को प्रवतकू ल रूप से प्रभाववत ककया।
कथन 3 सही है: गुप्त काल की एक महत्वपूणव घटना थथानीय ककसानों की कीमत पर पुरोवहत जमींदारों (priestly landlords)
के वगव का ईदय था। पुरोवहतों को कदए गए भूवम ऄनुदान ने ऄनेक ऄकृ ष्ट भूवमयों को कृ वष के ऄधीन ला कदया। लेककन, आन
लाभार्थथयों को अकदवासी ककसानों पर उपर से ऄवधरोवपत ककया गया था।
Q 3.C
ईपमहाद्वीप के दक्कन और ईससे दविण के िेत्र में वथथत तवमलकम (प्राचीन तवमल देि का नाम, वजसमें वतवमान तवमलनाडु के
ऄवतररक्त अंध्र प्रदेि और के रल के कु छ वहथसे िावमल थे) में चोल, चेर और पांड्य जैसी सरदाररयों का ईदय हुअ, ये राज्य बहुत
ही थथायी और समृद्ध वसद्ध हुए।
o चेरों ने अधुवनक के रल के ऄवधकांि भाग पर िासन ककया था, आनकी राजधानी वांवज थी। आसवलए युग्म 1 सही सुमवे लत
है।
िक मध्य एवियाइ मूल के लोग थे वजन्होंने ईपमहाद्वीप के ईत्तर-पविमी और पविमी भागों में राज्य थथावपत ककया तथा लंबी
दूरी के व्यापार से राजथव प्राप्त ककया। आसवलए युग्म 2 सही सुमवे लत है।
कु षाणों ने एक वविाल साम्राज्य पर िासन ककया जो मध्य एविया से लेकर ईत्तर-पविम भारत तक फै ला हुअ था। ईन्हें यूची
जनजावत की पांच िाखाओं में से एक माना जाता है जो चीनी सीमा या मध्य एविया में रहते थे। कवनष्क को सबसे महान
कु षाण िासक और प्राचीन भारत का भी एक महान िासक माना जाता है। आसवलए युग्म 3 सही सुमवे लत नहीं है।
Q 4.B
मंकदर वाथतुकला की तीन मुख्य िैवलयााँ नागर या ईत्तर भारतीय मंकदर िैली, द्रववड़ या दविण भारतीय मंकदर िैली और वेसर
या वमवश्रत िैली हैं।
नागर िैली की कु छ वविेषताएं हैं:
o आस िैली की एक अम बात यह थी कक आसमें संपूणव मंकदर एक वविाल चबूतरे (वेदी) पर बनाया जाता है और ईस तक
पहुंचने के वलए सीकढ़यां होती हैं।
o अमतौर आन मंकदरों में कोइ चहारदीवारी या प्रवेि द्वार नहीं होते हैं।
o प्राचीनतम मंकदरों में के वल एक विखर (गुंबद) होता था, लेककन अगे चलकर आन मंकदरों में कइ विखर होने लगे।
o गभवगृह हमेिा सबसे उंचे विखर के एकदम नीचे बनाया जाता है।
नागर मंकदर के मूल तत्व वनम्नवलवखत हैं:
o जगती (Jagati): यह ईत्तर भारतीय मंकदरों में अम है। यह एक उंचा मंच होता है जहां भक्तगण बैठकर प्राथवना कर सकते
हैं।
o मंडप (Mandapa): यह मंकदर का प्रवेि कि या सभामंडप होता है जहां भक्तगण एकवत्रत होते हैं।
o ऄंतराल (Antarala): यह गभवगृह और मंडप के बीच का एक गवलयारा है।
o गभवगह
ृ (Garbhagriha): आसका िावददक ऄथव है गभव-गृह (Womb-House)। यह एक गुफा जैसा पववत्र कि होता है
वजसमें मंकदर के मुख्य देवता की प्रवतमा थथावपत की जाती है। प्राचीनकाल में, यह एकल प्रवेि द्वार वाला एक छोटा कि
होता था। ईत्तरवती काल में, यह एक बड़े कि के रूप में ववकवसत हुअ।
o विखर/ववमान (Shikhara/Vimana): आन्हें 5वीं िताददी इ. से मंकदरों में देखा जाने लगा। आसके िीषव पर एक पववत जैसी
चोटी होती है। ईत्तर भारत में आसे ‘विखर’ कहा जाता है और यह अकार में घुमावदार होता है। जबकक दविण भारत में,
यह एक वपरावमडनुमा गुंबद की तरह होता है और आसे ‘ववमान’ कहा जाता है।
o अमलक (Amalaka): यह मंकदर के विखर के ऄंत में चकक्रका (तश्तरीनुमा) जैसा कदखने वाला पत्थर है। यह ऄवधकांितः
ईत्तर भारतीय मंकदरों में पाया जाता है।
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o कलि (Kalasha): यह मंकदर का िीषव भाग है। यह मुख्य रूप से ईत्तर भारतीय िैवलयों में देखा जाता है।
o वाहन (Vahana): यह ऄवधष्ठाता (मुख्य) देवता का वाहन है वजसे एक थतंभ या ध्वज के साथ गभवगृह से कु छ दूरी पर रखा
जाता है।
o मंकदर में ककसी व्यवक्त के प्रवेि करते समय मंकदर थथापत्य कला के कु छ घटकों का क्रम नीचे दिावया गया है;
Q 5.C
हड़प्पावासी विल्प ईत्पादन हेतु कच्चा माल प्राप्त करने के वलए वववभन्न तरीके ऄपनाते थे। ईदाहरण के वलए, ईन्होंने नागेश्वर
और बालाकोट में जहााँ िंख असानी से ईपलदध था, वहां बवथतयां थथावपत कीं।
ऐसे ही कु छ ऄन्य पुराथथल थे सुदरू ऄफगावनथतान में िोतुघ
व इ, जो ऄत्यंत कीमती माने जाने वाले नीले रंग के पत्थर लाजवदव
मवण (Lapis Lazuli) के सबसे ऄच्छे स्रोत के वनकट वथथत था और लोथल जो कानीवलयन (गुजरात में भड़ौच से), सेलखड़ी
(दविण राजथथान एवं ईत्तरी गुजरात से) तथा धातु (राजथथान से) के स्रोतों के वनकट वथथत था।
कच्चा माल प्राप्त करने की एक ऄन्य नीवत- राजथथान के खेतड़ी ऄंचल (तांबे के वलए) और दविण भारत (सोने के वलए) जैसे
िेत्रों में ऄवभयान भेजने की थी।
आन ऄवभयानों के माध्यम से थथानीय समुदायों के साथ संपकव थथावपत ककया जाता था। आन िेत्रों में कभी-कभी वमलने वाली
हड़प्पाइ पुरावथतुएं जैस-े सेलखड़ी के सूक्ष्म मनके , ऐसे संपकों की संकेतक हैं।
खेतड़ी िेत्र में वमले साक्ष्यों को पुरातत्वववदों ने गणेश्वर-जोधपुरा संथकृ वत का नाम कदया हैl आस संथकृ वत के ववविष्ट मृदभांड
हड़प्पाइ मृदभांडों से वभन्न थे तथा यहााँ तांबे की वथतुओं की ऄसाधारण संपदा वमली है। ऐसा संभव है कक आस िेत्र के वनवासी
हड़प्पावावसयों को तांबा भेजते थे।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 6.C
प्रारंवभक भवक्त अंदोलन (लगभग छठी िताददी) ऄलवारों (ववष्णु भवक्त में तन्मय) और नयनारों (विव भक्त) के नेतत्ृ व में हुअ।
आसवलए कथन 1 सही है।
वे एक थथान से दूसरे थथान पर भ्रमण करते हुए तवमल (भाषा) में ऄपने आष्ट की थतुवत में भजन गाते थे।
ऄपनी यात्राओं के दौरान ऄलवार और नयनार संतों ने कु छ पावन थथलों को ऄपने आष्ट का वनवासथथल घोवषत ककया। आन्हीं
थथलों पर बाद में वविाल मंकदरों का वनमावण हुअ और वे तीथवथथल माने गए।
ऄलवार और नयनार संतों की रचनाओं को वेद वजतना महत्वपूणव बताकर आस परंपरा को सम्मावनत ककया गया।
ईदाहरणथवरूप, ऄलवार संतों के एक मुख्य काव्य संकलन नलवयराकदव्यप्रबंधम् का वणवन तवमल वेद के रूप में ककया जाता था।
आस तरह आस ग्रंथ का महत्व संथकृ त के चारों वेदों वजतना बताया गया जो ब्राह्मणों द्वारा पोवषत थे। आसवलए कथन 2 सही है।
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Q 7.C
चोल साम्राज्य का संथथापक ववजयालय था, जो पूवव में पल्लवों का सामंत था। ववजयालय ने 850 इ. में तंजौर पर अवधपत्य
थथावपत कर वलया। 9वीं िताददी के ऄंत तक चोलों ने कांची के पल्लवों को परावजत कर कदया था और पांड्यों को कमजोर कर
कदया था। आस प्रकार दविणी तवमल भूवम (टोंडमंडल) पर ईनका ऄवधकार थथावपत हो गया। ककतु राष्ट्रकू टों से ऄपना बचाव
करने के वलए चोलों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। आसवलए कथन 1 सही है।
चोल िासकों ने राजमागों का एक जाल वबछा कदया, जो व्यापार के साथ-साथ सेना की अवाजाही के वलए भी ईपयोगी था।
चोल साम्राज्य में व्यापार और वावणज्य का ववकास हुअ तथा आस काल में कु छ वविालकाय व्यापार सं घों (वगल्डों) का ईदय
हुअ, जो जावा एवं सुमात्रा के साथ व्यापार करते थे।
चोलों ने ससचाइ व्यवथथा पर भी ध्यान कदया। आसके वलए कावेरी नदी तथा दूसरी नकदयों का ईपयोग ककया गया और ससचाइ
के वलए ऄनेक तालाब बनाए गए। एक तालाब सवमवत का गठन भी ककया गया, जो खेतों में जल के ववतरण की वनगरानी करती
थी।
चोलों के पास एक मजबूत और वविाल नौसेना भी थी, वजसका मालाबार एवं कोरोमंडल तट पर तथा कु छ समय के वलए संपूणव
बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व था। आसवलए कथन 2 सही है।
Q 8.D
ससधु घाटी सभ्यता के लोग बाढ़ का पानी ईतर जाने पर नवंबर के महीने में बाढ़ वाले मैदानों में बीज बो देते थे और ऄगली
बाढ़ के अने से पहले ऄप्रैल के महीने में गेहं और जौ की ऄपनी फसल काट लेते थे। वे गेह,ं जौ, मटर, वतल, राइ और चावल का
ईत्पादन करते थे। आसवलए कथन 1 सही है।
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा दोनों में ऄनाज वविाल ऄन्नागारों में संगृहीत ककया जाता था। संभवतः ककसानों से राजथव के रूप में
ऄनाज वलया जाता था और आसे पाररश्रवमक के भुगतान के साथ-साथ अपातवथथवत के दौरान ईपयोग के वलए ऄन्नागारों में
संगृहीत ककया जाता था।
यहााँ कोइ फावड़ा या हल का फाल तो नहीं वमला है, ककतु कालीबंगा के पूव-व हड़प्पा चरण से जो हल की लीक के वनिान प्राप्त
हुए हैं, ईनसे ऄनुमान लगाया जाता है कक हड़प्पा काल में राजथथान में हल जोते जाते थे। हड़प्पावासी लोग संभवतः लकड़ी के
हलों का प्रयोग करते थे। आस बात का पता नहीं है कक हल मनुष्यों द्वारा खींचा जाता था या बैलों के द्वारा। फसलों की कटाइ हेतु
संभवतः पत्थर के हाँवसयो का प्रयोग ककया जाता था। आसवलए कथन 2 सही नहीं है।
कपास का सववप्रथम ईत्पादन करने का श्रेय ससधु घाटी सभ्यता के लोगों को कदया जाता है। चूंकक कपास का ईत्पादन सववप्रथम
आसी िेत्र में हुअ था आसवलए यूनान के लोग आसे "वसन्डन (Sindon)" कहने लगे। ध्यातव्य है कक "वसन्डन" िदद की ईत्पवत्त
'ससध' से हुइ है। आसवलए कथन 3 सही है।
रागी ईत्तर भारत के ककसी भी हड़प्पाइ थथल से ऄब तक प्राप्त (ज्ञात) नहीं हुअ है। आसवलए कथन 4 सही नहीं है।
Q 9.C
गुफाओं से संबंवधत मुख्य रूप से दो प्रकार की ववविष्ट वाथतुकलाएं हैं, ऄथावत् चैत्य और ववहार।
थतूप, ववहार और चैत्य बौद्धों तथा जैनों के मठीय संकुलों (पररसर) के भाग हैं लेककन आनमें से ऄवधकांि प्रवतष्ठान बौद्ध धमव के
हैं। आसवलए कथन 1 सही है।
o चैत्य: यह एक अयताकार प्राथवना कि है वजसके कें द्र में एक थतूप वनर्थमत होता है। चैत्य को तीन भागों में ववभावजत ककया
गया था, वजसमें गजपृष्ठीय पाश्वव भाग, ऄथावत् एक ऄधववृत्ताकार वपछला छोर था। सभा-मंडप के मध्य भाग [वजसे नेव
(Nave) भी कहा जाता है] को दो गवलयारों से थतंभों की दो पंवक्तयों द्वारा ऄलग ककया गया था। चैत्यों में पररष्कृ त
अंतररक दीवारें , ऄधववृत्ताकार छतें और घोड़े की नाल के अकार की वखड़ककयां होती हैं वजन्हें चैत्य वखड़ककयां कहा जाता है।
o ववहार: ये वभिुओं के वनवास थथल थे। पाली ग्रंथों में ववहारों की संरचना को दिावया गया है। प्रारंवभक ढां चे लकवड़यों से
वनर्थमत ककए जाते थे और जल्द ही अकदम घांस-फू स की झोपवड़यों से वविाल संघारामों के रूप में ववकवसत हुए। समय के
साथ-साथ संघाराम िैविक संथथानों और बौद्ध वििा के कें द्रों के रूप में ववकवसत हुए, जैसे-नालंदा, ववक्रमविला, सोमपुरा।
चैत्य और ववहारों का ईद्भव
o अरंवभक चैत्य और ववहार दोनों ही लकवड़यों द्वारा वनर्थमत ककए जाते थे और बाद में िैलकृ त चैत्य तथा ववहार बनाए गए
थे।
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o िैलकृ त गुफाएं वनर्थमत करने की प्रथा मौयव काल के दौरान अरंभ हुइ और सातवाहन िासन के ऄंतगवत दूसरी िताददी
इथवी के दौरान ऄपने चरम पर पहुंच गइ। आसवलए कथन 2 सही है।
o ऄिोक ने बाराबार और नागाजुन
व ी पहावड़यों में अठ िैलकृ त सभामंडपों (Halls) का वनमावण करवाया तथा राजगीर के
वनकट एक सभामंडप का वनमावण करवाया, वजसे जैन वभिुओं को समर्थपत ककया। लोमष ऊवष, सुदामा (दोनों बाराबार की
पहावड़यों में) और सीतामढ़ी (नागाजुन
व की पहावड़यााँ में) गुफाएाँ चैत्य के बेहतरीन ईदाहरण हैं , जो ईस काल की काष्ठीय
आमारतों के समरूप थीं।
o आन प्रारंवभक थवरूपों से ववकवसत िैलकृ त वाथतुकला का ऄंवतम ववकवसत थवरूप पूरे भारत में अंध्र प्रदेि , गुजरात में
कारठयावाड़ और ऄजंता एवं एलोरा में देखा जा सकता है।
Q 10.A
महाजनपद सोलह राज्य ऄथवा कु लीन गणराज्य थे जो छठी से चौथी िताददी इसा पूवव के मध्य प्राचीन ईत्तरी भारत में
ववद्यमान थे।
मगध (वतवमान वबहार में) सबसे िवक्तिाली महाजनपद बन गया। आसके वलए वववभन्न कारक ईत्तरदायी थे:
o मगध ऐसा िेत्र था जहााँ फसलों का ऄत्यवधक ईत्पादन होता था।
o आसके ऄवतररक्त, लौह खदानें (वतवमान झारखंड में) सुलभ थीं तथा आनसे ईपकरणों एवं िस्त्रों हेतु संसाधन प्राप्त होते थे।
आसवलए कथन 1 सही है।
o हाथी सेना का महत्वपूणव ऄंग थे और ये आस िेत्र के जंगलों में पाए जाते थे। आसवलए कथन 2 सही है।
o साथ ही, गंगा और ईसकी सहायक नकदयों ने अवागमन के सथते तथा सुववधाजनक साधन प्रदान ककये।
o वििा में ईन्नवत तथा बौद्ध एवं जैन धमव जैसे क्रांवतकारी ववचारों का ववकास हुअ था।
हालांकक, अरंवभक बौद्ध एवं जैन लेखक वजन्होंने मगध के बारे में वलखा, ईन्होंने आस साम्राज्य की िवक्त का कारण वववभन्न
िासकों की नीवतयों को बताया: वजनमें वनमवम महत्वाकांिी िासक सबवबसार, ऄजातित्रु और महापद्म नंद सबसे प्रवसद्ध हैं तथा
ईनके मंत्रीगण वजन्होंने ईनकी नीवतयों को कक्रयावन्वत करने में सहायता की। आसवलए कथन 3 सही है।
प्रारंभ में, राजगाह (Rajagah) मगध की राजधानी थी। कदलचथप बात यह है कक प्राचीन नाम का ऄथव "राजा का घर" है।
पहावड़यों के बीच बसा राजगाह एक ककलेबंद िहर था। बाद में चौथी िताददी इ. पू. में पाटवलपुत्र को राजधानी बनाया गया,
वजसे वतवमान में पटना कहा जाता है, वजसकी गंगा के राथते अवागमन के मागव पर महत्वपूणव ऄववथथवत थी।
Q 11.B
अजीवक (Ajivika) भारतीय दिवन के नावथतक या "ऄनीश्वरवादी/भौवतकवादी (Heterodox)" सम्प्रदायों में से एक है। 5वीं
िताददी इसा पूवव में मक्खवल गोसाल (Makkhali Gosala) ने आसकी थथापना की थी। अजीवक से संबंवधत कइ िैलकृ त
गुफ़ाएाँ (चट्टानों को काट कर वनर्थमत की गइ गुफ़ा) मौयव सम्राट ऄिोक के समय की हैं। सम्राट ऄिोक ने अजीवक संप्रदाय
(Ajivika sect) को संरिण प्रदान ककया था। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
वबहार में बाराबार की पहावड़यों (Barabar hills) में िैलकृ त गुफ़ा है वजसे लोमष ऊवष की गुफ़ा (Lomas Rishi cave)
कहते हैं। आस गुफ़ा का प्रवेि द्वार ऄधववत्त
ृ ाकार चैत्य चाप (मेहराब) की तरह सजा हुअ है। आसवलए कथन 2 सही है।
चैत्य के मेहराब पर एक गवतमान हाथी की प्रवतमा ईके री हुइ है। आस गुफ़ा का भीतरी कि अयताकार है और आसके पीछे
गोलाकार कि है।
Q 12.D
धातुओं का ईपयोग नवपाषाण काल के ऄंत में देखा गया है। सववप्रथम प्रयोग की जाने वाली धातु तांबा थीं और ऄनेक
संथकृ वतयां पत्थर एवं तांबे से वनर्थमत ईपकरणों के ईपयोग पर अधाररत थीं। ताम्रपाषाण काल के लोग प्राय: तांबा एवं पाषाण
के ईपकरणों का प्रयोग करते थे लेककन ये कभी-कभी वनम्न श्रेणी के कांथय का भी प्रयोग करते थे। आसवलए ववकल्प (a) सही है।
ये लोग ईत्कृ ष्ट ताम्रकार (Coppersmiths) और पाषाण के ऄच्छे कारीगर थे। वतवमान में, हमारे पास ताम्रपाषाण युग के तााँबे
के ईपकरण, हवथयार और चूवड़यााँ ईपलदध हैं। आन्होंने सेलखड़ी (Steatite), कानीवलयन (Carnelian) एवं कांचमवण
(Quartz) थफरटक (crystal) के मनकों का वनमावण ककया। आसवलए ववकल्प (b) सही है।
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मालवा में तकवलयों (Spindle whorls) के प्राप्त साक्ष्यों के अधार पर हम यह कह सकते हैं कक ये लोग कताइ और बुनाइ की
कला जानते थे। सेमल/रेिम के सूती रेिम से वनर्थमत कपास, पटसन और रेिमी धागे महाराष्ट्र में पाए गए हैं। आससे ज्ञात होता
है कक ये लोग वस्त्र बनाने की कला से भली-भांवत पररवचत थे। आसवलए ववकल्प (c) सही है।
ताम्रपाषाण काल के लोग वववभन्न प्रकार के मृदभांडों का ईपयोग करते थे। आनमें से काले और लाल मृदभांड सवाववधक प्रचवलत
थे। ऄन्य मृदभांडों में लाल तल पर काले वडजाआन वाले मृदभांड (Black-on-Red) {जोवे (Jorwe) से प्राप्त} और गैररक
मृदभांड (Ochre-Colored Pottery: OCP) िावमल हैं। सामान्यतः गैररक मृदभांड लगभग 2000 इसा पूवव से 1500 इसा
पूवव के मध्य के हैं। गैररक मृदभांड संथकृ वत के लोग हड़प्पावावसयों के समकालीन थे और वजस िेत्र में वे रहते थे , वह
हड़प्पावावसयों से ऄवधक दूर नहीं था। आसवलए ववकल्प (d) सही नहीं है।
Q 13.D
कदल्ली सल्तनत, कदल्ली में वथथत एक आथलामी साम्राज्य था। यह 320 वषों तक भारतीय ईपमहाद्वीप के बड़े भू-भाग पर फै ला
हुअ था। पांच राजवंिों ने क्रवमक रूप से कदल्ली सल्तनत पर िासन ककया: मामलुक वंि, वखलजी वंि, तुगलक वंि, सैयद वंि
एवं लोदी वंि।
ऄलाईद्दीन ख़लजी (1296–1316) ने दाग़ और चेहरा प्रणाली की िुरुअत की थी। आसमें दो प्रणावलयााँ िावमल थीं। पहली,
ऄलाईद्दीन ने चेहरा प्रणाली की िुरुअत की, वजसमें प्रत्येक सैवनक को एक पहचान पत्र कदया जाता था। दूसरी दाग़ प्रणाली,
वजसमें वविेष रूप से युद्ध में प्रयोग ककए जाने वाले घोड़ों को दाग़ा (वचवन्ननत) जाता था। आसवलए कथन 1 सही नहीं है और
कथन 2 सही है।
गयासुद्दीन बलबन ने एक पृथक सैन्य ववभाग {(दीवान-ए-अररज) Diwan-i-Ariz} की िुरुअत की और कोतवाल वनयुक्त ककया।
कफरोज तुगलक ने आक्ता प्रथा (Iqta system) को वंिानुगत बना कदया था और दासों के वलए एक पृथक ववभाग, दीवान-ए-
बंदगान (Diwan-i-bandagan) की िुरुअत की थी। आसवलए कथन 3 सही है।
Q 14.C
गुप्त प्रिासन (Gupta Administration)
o राजा को ईसके प्रिासन में एक मुख्यमंत्री, एक सेनापवत ऄथवा सेना के प्रधान सेनापवत (commander-in-chief) और
ऄन्य महत्वपूणव ऄवधकाररयों की एक पररषद द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी। गुप्त ऄवभलेखों में संवध-ववग्रवहक
(Sandivigraha) नामक एक ईच्च ऄवधकारी का ईल्लेख ककया गया है, जो संभवत: ववदेि मामलों का मंत्री था।
o कु मारामात्य और अयुक्त नामक ऄवधकाररयों के एक वगव के माध्यम से राजा प्रांतीय प्रिासन के साथ वनकट संपकव बनाए
रखता था। ये गुप्त प्रिासन में महत्वपूणव ऄवधकारी थे और राजा द्वारा वनयुक्त ककए जाते थे। आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
o गुप्त साम्राज्य में प्रांतों को भुवक्त (Bhuktis) और प्रांतीय गवनवरों को ईपररक (Uparikas) के रूप में जाना जाता था।
आनका चयन प्राय: राजकु मारों में से होता था।
o भुवक्तयों का ववषयों (Vishyas) ऄथवा वजलों में ईप-ववभाजन ककया गया था। आन पर ववषयपवत (Vishyapatis) नामक
ऄवधकारी िासन करते थे। नगरश्रेष्ठी [नगर व्यापाररयों का प्रमुख (Nagara Sreshtis)], नगर प्रिासन की देखरेख करने
वाले ऄवधकारी थे। वजले के गााँव, ग्रावमकों (Gramikas) के वनयंत्रण में थे।
Q 15.A
ऄकबर ने कइ सामावजक एवं िैिवणक सुधार प्रारंभ ककए थे:
o ईसने सती प्रथा पर प्रवतबंध लगा कदया था। यद्यवप, यकद कोइ स्त्री थवयं ऄपनी आच्छा से तथा बारंबार सती होने का हठ
करे तो ईसे वैसा करने की छू ट होती थी। आस प्रकार सती प्रथा पर प्रवतबंध तो लगा परंतु पूणव प्रवतबंध नहीं लगाया गया।
आसवलए ववकल्प (a) सही नहीं है।
o ववधवा पुनर्थववाह को वैधता प्रदान की गइ। आसवलए ववकल्प (b) सही है।
o वववाह हेतु लड़ककयों की अयु 14 वषव एवं लड़कों की अयु 16 वषव कर दी गइ थी। आसवलए ववकल्प (c) सही है।
o िराब एवं ऄन्य मादक पेय पदाथों की वबक्री पर प्रवतबंध लगाया गया था।
o ऄकबर के वल पहली पत्नी के बााँझ होने की वथथवत में ही एक से ऄवधक वस्त्रयों से वववाह करने के पि में था।
o ईसने नैवतक वििा और गवणत जैसे धमववनरपेि ववषयों पर ऄवधक बल देते हुए िैविक पाट्णक्रम में संिोधन ककया
था। आसवलए ववकल्प (d) सही है।
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Q 16.C
वववभन्न भाषाओं में लेवखकाओं के योगदान पर वविेष ध्यान देने की अवश्यकता है।
घोषा, लोपामुद्रा, गागी, मैत्रय
े ी, ऄपाला, रोमाषा, ब्रह्मवाकदनी अकद जैसी लेवखकाओं ने वैकदक काल से ही संथकृ त सावहत्य की
मुख्यधारा में मवहलाओं की छवव पर ध्यान कें कद्रत ककया।
मुट्टा, ईदबीरी और मेवत्तका जैसी बौद्ध वभिुवणयों (छठी िताददी इसा पूव)व ने पाली में रवचत गीतों से ऄपने ऄतीत के जीवन की
वेदना को व्यक्त ककया है।
ऄंडाल और ऄन्य ऄलवार कववयवत्रयों (छठी िताददी इथवी) ने भी इश्वर के प्रवत ऄपने प्रेम को ऄवभव्यक्त ककया है।
कश्मीर (1320-1384) की मुवथलम कववयवत्रयों लालदेड़/लालद्यद और हदबा खातून ने भवक्त की संत परंपरा का प्रवतवनवधत्व
ककया तथा वख (सूवक्तयां) वलखीं, जो अवत्मक ऄनुभव के ऄवद्वतीय रत्न हैं।
मीरा बाइ ने गुजराती, राजथथानी और सहदी (तीनों भाषाओं) में वलखा है,
तवमल में ऄवय्यर और कन्नड़ में ऄक्कामहादेवी, ऄपनी वविुद्ध गीतात्मक गहनता एवं एकाग्र भावात्मक अकषवण के वलए जानी
जाती हैं।
आनका लेखन हमें ईस समय की सामावजक पररवथथवतयों और घर एवं समाज में मवहलाओं की वथथवत के बारे में ऄवगत कराता है।
आन सभी ने भवक्तपूणव ईत्साह, अध्यावत्मक गहराइ और समपवण एवं ऄत्यंत इमानदारी की भावना के साथ छोटे गीतों या
कववताओं की रचना की। आनके रहथयवाद और तत्वमीमांसा के पीछे एक इश्वरीय ईदासी झलकती है। आन्होंने जीवन के प्रत्येक
घाव को कववता के रूप में रूपांतररत कर कदया।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 17.A
वैकदक युग के दौरान, राजा की प्रवतष्ठा को वववभन्न ऄनुष्ठानों के द्वारा सुदढ़ृ बनाया जाता था, जैसे-
o राजसूय यज्ञ: ऐसा माना जाता था कक आस यज्ञ से राजा को सवोच्च िवक्त प्राप्त हो सकती है। आस यज्ञ को राजा, राज्यारोहण
के बाद करवाता था। कइ ऄन्य राज्यों के राजाओं पर ववजय प्राप्त करने और वववजत भूवम से भेंट प्राप्त करने के पिात,
परावजत राजाओं को राजसूय यज्ञ में भाग लेने के वलए अमंवत्रत ककया जाता था। सभी परावजत राजा आस यज्ञ को करने
वाले राजा को ऄपना सम्राट (राजाओं का राजा) मानते थे। आसवलए युग्म 1 सही सुमवे लत है।
o वाजपेय यज्ञ: आस यज्ञ में रथों की दौड़ अयोवजत की जाती थी। आसमें राजा के रथ को ईसके संबंवधयों या थवजनों के रथों
पर ववजय कदलाइ जाती थी। आसवलए युग्म 2 सही सुमवे लत नहीं है।
o ऄश्वमेध यज्ञ: आस यज्ञ के ऄंतगवत वजस िेत्र से होकर िाही घोड़ा वनबावध रूप से दौड़ता था राजा के द्वारा ईस िेत्र पर
वनर्थववाद वनयंत्रण थथावपत कर वलया जाता था। आसवलए युग्म 3 सही सुमवे लत नहीं है।
o आसवलए ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
Q 18.D
ववश्व बैंक के कायवकारी वनदेिक मंडल ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम ईद्यम (Micro, Small and Medium Enterprise:
MSMEs) िेत्रक को पुनजीववत करने की भारत की राष्ट्रव्यापी पहल का समथवन करने हेतु 500 वमवलयन डॉलर के कायवक्रम को
मंज़रू ी दे दी है। 500 वमवलयन डॉलर का राआसजग एंड एक्सेलरे ेटटग माआक्रो, थमॉल एंड मीवडयम एंटरप्राआज (MSME)
परफॉमेंस (RAMP) प्रोग्राम आस िेत्र में ववश्व बैंक का वद्वतीय हथतिेप (सहयोग) है। पहला सहयोग, 750 वमवलयन डॉलर का
MSME अपातकालीन ईपाय कायवक्रम (MSME Emergency Response Program) है, वजसे जुलाइ 2020 में मंज़ूरी
वमल गइ थी। आसका ईद्देश्य, वतवमान में चल रही कोववड-19 वैवश्वक महामारी से बुरी तरह प्रभाववत हुए महत्वपूणव सूक्ष्म, लघु
एवं मध्यम ईद्योगों (MSMEs) की नकदी एवं ऊण संबंधी तात्कावलक अवश्यकताओं को पूरा करना है।
RAMP प्रोग्राम MSMEs के वलए ववत्त एवं कायविील पूज
ं ी तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा। आसके वलए प्राप्य ववत्तपोषण
बाज़ारों को सुदढ़ृ करके तथा ववलंवबत भुगतान की समथया को दूर करने हेतु ऑनलाआन वववाद समाधान तंत्र को बढ़ाया
जाएगा। आस प्रकार के प्रयासों से ऐसी योजनाओं की लागत-प्रभाविीलता, गुणवत्ता, ऄवभगम्यता, प्रभाव एवं पहुाँच में सुधार की
ईम्मीद है। ऄंतरावष्ट्रीय पुनर्थनमावण एवं ववकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development:
IBRD) से वमलने वाले 500 वमवलयन डॉलर के ऊण की पररपक्वता ऄववध 18.5 वषव है, वजसमें 5.5-वषव की छू ट ऄववध भी
िावमल है।
आसवलए ववकल्प (d) सही ईत्तर है।
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Q 19.D
संगम सावहत्य प्राचीनतम ईपलदध तवमल सावहत्य का संकलन है। 'संगम' िदद का िावददक ऄथव संघ है। यह प्राचीन दविण
भारत में समृद्ध हुए तवमल कववयों का एक संघ है। आस काल के तीन प्रमुख तवमल राज्य- चेर, चोल और पांड्य थे। संगम काल
लगभग 300 इसा पूवव और 300 इथवी के मध्य का समय है। यद्यवप, ऐसा माना जाता है कक आस काल की ऄवधकांि कृ वतयों की
रचना 100 इथवी से 250 इथवी के मध्य की गइ थी।
संगम ग्रंथ, वैकदक ग्रंथों वविेष रूप से ऊग्वैकदक ग्रंथों से वभन्न है। आनमें धार्थमक सावहत्य का संकलन नहीं है ऄवपतु ये ऄनेक वीरों
और वीरांगनाओं की प्रिवथत में वववभन्न कववयों द्वारा रवचत छोटी एवं लंबी कववताओं का संकलन है। आस प्रकार आस सावहत्य
का थवरूप धमववनरपेि है। आसवलए कथन 1 सही है।
ये साधारण या अकदम गीत नहीं हैं, बवल्क ईच्च कोरट का सावहत्य है। ऄनेक कववताओं में ककसी योद्धा या ककसी सरदार ऄथवा
ककसी राजा के नाम का ईल्लेख ककया गया है और ईसके सैन्य पराक्रमों का ववथतार से वणवन ककया गया है। आसमें राजा द्वारा
चारणों (Bards) और योद्धाओं को कदए गए ईपहारों का भी वणवन है। आन कववताओं का काव्य-पाठ दरबारों में ककया जाता था।
आसवलए कथन 2 सही है।
संगम ग्रंथों में कावेरीपट्टनम (Kaveripattinam) सवहत कइ बवथतयों/नगरों का ईल्लेख ककया गया है। ध्यातव्य है कक
कावेरीपट्टनम का समृद्ध ऄवथतत्व ऄब पुरातावत्वक रूप से प्रमावणत है। आस सावहत्य में यवनों (ववदेवियों/यूनावनयों) का भी
ईल्लेख ककया गया है जो ऄपने थवयं के जहाज़ों से अते थे, सोने के बदले काली वमचव खरीदते थे। साथ ही, वे थथानीय लोगों को
दावसयों एवं मकदरा की अपूर्थत करते थे। आस प्रकार के व्यापार का ईल्लेख के वल लैरटन और ग्रीक लेखों में ही नहीं बवल्क
पुरातावत्वक साक्ष्यों या ऄवभलेखों से भी वमलता है। संगम सावहत्य अरंवभक इथवी ितावददयों में तवमलनाडु के डेल्टा िेत्रों के
वनवावसयों के सामावजक, अर्थथक और राजनीवतक जीवन की जानकारी प्रदान करने वाला एक ऄवत महत्वपूणव स्रोत है।
आसवलए कथन 3 सही है।
Q 20.C
दविण भारत के प्रारंवभक सावहत्य को प्राचीन तवमल ग्रंथों के एक समूह द्वारा वनरुवपत ककया गया है, वजसे प्रायः सामूवहक रूप
से संगम सावहत्य कहा जाता है।
एट्टूतोकोइ (Ettutokai) (ऄष्ट संग्रह) में अठ पद्य संग्रह संकवलत हैं वजनमें से छः संगम सावहत्य में िावमल हैं। साथ ही,
पट्टूपट्टू (Pattuppattu) (दिगीत) में रवचत दसपट्टू (गीतों) में से नौ का संकलन भी संगम सावहत्य में सवम्मवलत है।
तोलक्कावपयम के पहले दो ग्रंथों के िुरुअती भागों को भी संगम सावहत्य में िावमल ककया जा सकता है। वथतुतः
तोलकावप्पयम् व्याकरण से संबंवधत एक ग्रंथ है, लेककन आसमें थवर-िास्त्र या थवर-ववज्ञान (Phonology), िददाथव ववज्ञान
(Semantics), वाक्य-ववन्यास (Syntax) एवं सावहवत्यक सम्मेलनों की चचाव भी िावमल है।
कववताओं की िैली और कु छ ऐवतहावसक संदभों से पता चलता है कक आनकी रचना तीसरी िताददी इसा पूवव एवं तीसरी
िताददी इथवी के मध्य हुइ थी।
कववताएाँ दो प्रकार की होती हैं- ऄकम (प्रेम संबध
ं ी कववताएाँ) और पुरम (वीरतापूणव कववताएाँ)।
कवव ववववध सामावजक पृष्ठभूवमयों से होते थे और ईनकी कववताएं, जो अरंवभक समय के ववनम्र चारणों (Brad) तथा
ड्रम/ढोलक वादकों के गीतों पर अधाररत होती थीं, तीसरी िताददी इसा पूवव एवं तीसरी िताददी इ. के मध्य तवमलकम (तवमल
भूवम) के समाज के वलए यह एक समृद्ध एवं प्रेरक स्रोत हैं।
Q 21.A
हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने ववश्व पयाववरण कदवस के ऄवसर पर, इ-100 पायलट पररयोजना का िुभारंभ ककया। आस
महत्वाकांिी पररयोजना का ईद्देश्य पूरे देि में एथेनॉल के ईत्पादन एवं ववतरण हेतु एक नेटवकव थथावपत करना है। आसवलए
ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
एथेनॉल, वजसे गन्ने के साथ-साथ िवतग्रथत खाद्यान्नों जैसे गेहं और टूटे चावल एवं कृ वष ऄपविष्ट से प्राप्त ककया जाता है , कम
प्रदूषणकारी होता है। साथ ही, आसके प्रयोग से कृ षकों को अय का एक वैकवल्पक स्रोत भी प्राप्त होता है।
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प्रधानमंत्री ने आस वषव ववश्व पयाववरण कदवस के ववषय के ऄनुरूप "ररपोटव ऑफ द एक्सपटव कमेटी ऑन रोडमैप फॉर एथेनॉल
दलेंसडग आन आंवडया 2020-2025" जारी की। आस वषव, ववश्व पयाववरण कदवस का ववषय ‘बेहतर पयाववरण के वलए जैव-ईंधन को
प्रोत्साहन’ (Promotion of biofuels for a better environment) था। सरकार ने वषव 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रवतित
एथेनॉल वमश्रण के लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प वलया है। आससे पहले आस लक्ष्य की प्रावप्त का समय वषव 2030 तय ककया गया
था वजसे 5 वषव कम कर कदया गया है।
Q 22.B
मोवहनीऄट्टम नृत्य:
o यह के रल राज्य के िास्त्रीय नृत्यों में से एक है।
o आसका नाम मोवहनी िदद से बना है। मोवहनी, सहदू भगवान ववष्णु का मोवहत करने वाली स्त्री के रूप में एक पौरावणक
ऄवतार है। आस ऄवतार से भगवान ववष्णु ने ऄपनी स्त्रीत्व की िवक्तयों को प्रदर्थित करके बुराइ पर ऄच्छाइ की ववजय में
सहायता की थी।
o यह नाट्ड िास्त्र पर अधाररत है। नाट्ड िास्त्र प्रदिवन कलाओं से संबंवधत एक प्राचीन सहदू संथकृ त ग्रंथ है।
o यह नृत्य, नाट्ड िास्त्र में वर्थणत लाथय िैली (Lasya style) का ऄनुसरण करता है ऄथावत् सौम्यता, कामनीयता एवं
स्त्रीत्व से पररपूणव नृत्य। यह पारंपररक रूप से मवहलाओं द्वारा व्यापक प्रवििण के पिात् वनष्पाकदत ककया जाने वाला
एकल नृत्य है।
o मोवहनीऄट्टम की प्रदिवन सूची (Repertoire) में कनावटक िैली में संगीत, नृत्य के माध्यम से एक नाटक का गायन और
ऄवभनय िावमल है, जहां सथवर पाठ या तो एक ऄलग गावयका द्वारा या थवयं नतवकी द्वारा ककया जा सकता है।
o आसे त्रावणकोर राजाओं, महाराजा कार्थतक वतरुनल और ईनके ईत्तरावधकारी महाराजा थवावत वतरुनल (18वीं -19वीं
िताददी इ.) द्वारा वतवमान िास्त्रीय थवरुप में संरवचत ककया गया था।
मोवहनीऄट्टम नृत्य की मुख्य वविेषताएं:
o मोवहनीऄट्टम की वविेषता, वबना ककसी ऄचानक झटके ऄथवा ईछाल के लावलत्यपूण,व ढलावदार िारीररक ऄवभनय है।
यह लाथय िैली से संबंवधत है, जो स्त्रीत्वपूणव, मुलायम और सुन्दर है।
o ऄवभनय में सपवण द्वारा बल कदया जाता है तथा पंजो पर उपर और नीचे ऄवभनय होता है, जो समुद्र की लहरों तथा
नाररयल के वृिों (ताड़) ऄथवा खेत में धान पौधों के ढलान से वमलता-जुलता है।
o पाद कायव संविप्त नहीं होता है तथा यह कोमलता के साथ प्रथतुत ककया जाता है। मुखीय ऄवभव्यवक्त के साथ ववलिण
मुखावभनय तथा हथत भंवगमाओ को महत्व कदया जाता है।
o बहुत से ऄवभनयों को ननवगयर कु थु (Nangiar Koothu) और स्त्री लोक नृत्य जैसे कक कइकोत्तीकली (Kaikottikali) एवं
वतरुववतराकली से ऄपनाया गया है।
o हथत भंवगमाएं जो कक संख्या में 24 हैं, मुख्यत: हथतालिण दीवपका (Hastalakshana Deepika) से ऄपनाइ गइ हैं, जो
एक पाठ है वजसका पालन कथकली द्वारा ककया जाता है। कु छेक ‘नाट्ड िास्त्र’, ‘ऄवभनय दपवण’ और ‘बलरामभारतम्’ से
भी ऄपनाए गए हैं।
Q 23.C
हाल ही में, मुब
ं इ में टाटा थमारक कें द्र के कैं सर में ईपचार, ऄनुसध
ं ान और वििा के वलए प्रगत कें द्र (ACTREC) में ऄवथथ
मज्जा (बोन मैरो) प्रत्यारोपण आकाइ में देि की प्रथम CAR-T सेल थेरेपी की गइ। CAR-T सेल्स/कोविकाओं को IIT, बॉम्बे के
जैव-ववज्ञान एवं जैव-आं जीवनयटरग (BSBE) ववभाग में वडजाआन और वनर्थमत ककया गया था।
कैं सर के ईपचार में विमेररक एंटीजेन ररसेप्टर टी-सेल [Chimeric Antigen Receptor T-cells (CAR-T)] थेरेपी रामबाण
के रूप में सामने अइ है। ववश्व थतर पर ककए गए नैदावनक परीिणों में ऄंवतम चरण वाले कैं सर के रोवगयों, वविेष रूप से गंभीर
रक्त कैं सर (एक्यूट वलम्फोसाआरटक ल्यूकेवमया) से पीवड़त रोवगयों में अिाजनक पररणाम कदखाइ कदए हैं। आसवलए ववकल्प (c)
सही ईत्तर है।
CAR-T सेल प्रौद्योवगकी का ईपयोग गंभीर रक्त कैं सर (एक्यूट वलम्फोसाआरटक ल्यूकेवमया), मल्टीपल मायलोमा,
ग्लायोदलाथटोमा, हेपेटोसेल्युलर कासीनोमा, और टाआप -2 मधुमह
े सवहत वववभन्न रोगों में ककया जाएगा। यह पररयोजना जैव
प्रौद्योवगकी ववभाग (DBT) के माध्यम से समर्थथत है।
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विमेररक एंटीजन ररसेप्टर T-सेल्स, ये T-सेल्स हैं वजन्हें अनुववं िक रूप से ऄवभयंवत्रत ककया गया है ताकक आम्यूनोथेरेपी में
ईपयोग के वलए एक कृ वत्रम T-सेल ररसेप्टर का ईत्पादन ककया जा सके । विमेररक एंटीजन ररसेप्टसव एक प्रकार के ररसेप्टर
प्रोटीन होते हैं वजन्हें T-सेल्स को एक ववविष्ट प्रोटीन को लवित करने की नइ िमता प्रदान करने के वलए ऄवभयंवत्रत/तैयार
ककया गया है। विमेररक एंटीजन ररसेप्टर (CAR) T-सेल थेरेपी, T-सेल्स (एक प्रकार की श्वेत रक्त कवणका) नामक प्रवतरिा
कोविकाओं को प्रयोगिाला में पररवर्थतत करके कैं सर से लड़ने की एक वववध है ताकक वे कैं सर कोविकाओं को खोज कर ईन्हें नष्ट
कर सकें । CAR T-सेल थेरेपी को कभी-कभी सेल-अधाररत जीन थेरेपी के एक प्रकार के रूप में भी जाना जाता है क्योंकक आसमें
T-सेल्स के ऄंदर जीन को पररवर्थतत कर कदया जाता है ताकक ये कैं सर कोविकाओं पर प्रहार कर सकें ।
गंभीर रक्त कैं सर (Acute Lymphocytic Leukemia-ALL) रक्त और ऄवथथ मज्जा (हवट्थयों के ऄंदर थपंजी उतक जहां रक्त
कवणकाएं वनर्थमत होती हैं) का एक प्रकार का कैं सर है। एक्यूट वलम्फोसाआरटक ल्यूकेवमया में "एक्यूट" िदद आस तथ्य से अता है
कक रोग में तीव्रता से वृवद्ध होती है और पररपक्व कवणकाओं के थथान पर ऄपररपक्व रक्त कवणकाओं का वनमावण होता है। एक्यूट
वलम्फोसाआरटक ल्यूकेवमया में "वलम्फोसाआरटक" िदद वलम्फोसाआट्स नामक श्वेत रक्त कवणकाओं को संदर्थभत करता है। एक्यूट
वलम्फोसाआरटक ल्यूकेवमया को एक्यूट वलम्फोदलावथटक ल्यूकेवमया के रूप में भी जाना जाता है।
Q 24.C
जातक कथाएाँ मानव और पिु दोनों रूपों में बुद्ध के पूवव जन्मों से संबवं धत सावहत्य का एक वविाल संग्रह हैं। आसवलए कथन 1
सही है।
वजन जातक कथाओं का ऄक्सर ऄनेक थथानों पर बार-बार वचत्रण दिावया गया है, वे मुख्य रूप से छदंत जातक, ववदुरपंवडत
जातक, रूरू जातक, वसवब जातक, वेथसांतर जातक और िम जातक से हैं।
जातक कथाएं थतूपों के पररक्रमा पथों और तोरण द्वारों पर वचवत्रत की गइ हैं। आसवलए कथन 2 सही है।
वचत्रात्मक परंपरा में मुख्य रूप से संिेप अख्यान, सतत अख्यान और घटनात्मक अख्यान पद्धवत का प्रयोग ककया जाता है। वैसे
तो सभी बौद्ध थमारकों में मुख्य ववषय बुद्ध के जीवन की घटनाएाँ ही हैं लेककन मूर्थतयों या अकृ वतयों से सजावट करने के मामले
में जातक कथाएाँ भी समान रूप से महत्वपूणव रही हैं। बुद्ध के जीवन से संबंवधत ऄनेक महत्वपूणव घटनाएं हैं, ककतु ईनमें से प्रायः
बुद्ध के जन्म, गृह त्याग, ज्ञानप्रावप्त, धम्मचक्रप्रवतवन और महापररवनवावण (जन्म चक्र से मुवक्त) की घटनाओं को वचवत्रत ककया
गया है।
Q 25.D
कु षाण साम्राज्य के पतन के पिात् एक नए साम्राज्य का ईदय हुअ, वजसने कु षाणों और सातवाहनों दोनों के पूवव प्रभुत्व वाले
एक बड़े भाग पर ऄपना प्रभुत्व थथावपत ककया। यह गुप्त साम्राज्य था।
यद्यवप गुप्त साम्राज्य मौयव साम्राज्य वजतना वविाल नहीं था, कफर भी आसने ईत्तर भारत को 335 इथवी से 455 इथवी तक
लगभग एक सदी से भी ऄवधक समय तक राजनीवतक रूप से एकजुट रखा। संभवतः गुप्त , ईत्तर प्रदेि में कु षाणों के सामंत थे
और ऐसा प्रतीत होता है कक ये जल्दी ही सफल हो गए थे।
गुप्त साम्राज्य के ईदय एवं ववकास के कारक:
o कु षाण योजना में ऄश्व-रथ एवं हावथयों का महत्व समाप्त हो गया था। गुप्त काल में घुड़सवारों ने आस संदभव में मुख्य
भूवमका वनभाइ। यद्यवप कु छ गुप्त िासकों को ईत्कृ ष्ट और ऄवद्वतीय रथ योद्धाओं के रूप में वर्थणत ककया गया है, कफर भी
ईनकी मूल िवक्त घोड़ों के ईपयोग पर ही वनभवर थी। आन सभी ने ईन्हें गवतिीलता प्रदान की और ईन्हें ईत्कृ ष्ट घुड़सवार
बनाया। आसवलए ववकल्प 1 सही है।
o गुप्तों को कु छ भौवतक लाभ भी प्राप्त थे। ईनके संचालन का कें द्र मध्यदेि की ईपजाउ भूवम थी, वजसमें वबहार और ईत्तर
प्रदेि िावमल थे। वे मध्य भारत और दविण वबहार के लौह ऄयथकों का दोहन कर सकते थे। आसवलए ववकल्प 2 सही है।
o आसके ऄवतररक्त, ईन्होंने ईत्तर भारत के ईन िेत्रों से ऄपनी वनकटता का लाभ ईठाया जो पूवी रोमन साम्राज्य के साथ
रेिम का व्यापार करते थे। वजसे बाइजेंटाआन साम्राज्य के रूप में भी जाना जाता है। आसवलए ववकल्प 3 सही है।
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Q 26.C
मवणपुरी भारतीय कला ऄथवा िास्त्रीय नृत्य की मुख्य िैवलयों में से एक है, वजसका ईद्भव मवणपुर राज्य में हुअ।
मवणपुर में नृत्य धार्थमक और परंपरागत ईत्सवों के साथ जुड़ा हुअ है, यहााँ विव और पाववती के नृत्यों तथा ऄन्य देवी-देवताओं
(वजन्होंने सृवष्ट की रचना की थी) की दंतकथाओं के संदभव वमलते हैं।
लाइ हारोबा मुख्य ईत्सवों में से एक है और अज भी मवणपुर में प्रथतुत ककया जाता है,आसका ईद्भव वैष्णव काल से पूवव हुअ था।
लाइ हारोबा नृत्य का प्राचीन रूप है, जो मवणपुर में सभी िैली के नृत्य रूपों का अधार है।
मवणपुर नृत्य का एक ववथतृत रंगपटल होता है, तथावप रास, संकीतवन और थंग-ता आसके प्रवसद्ध रूप हैं। यहां पांच मुख्य रास
नृत्य हैं, वजनमें से चार का संबंध ववविष्ट ऊृतुओं से है। जबकक पांचवां साल में ककसी भी समय प्रथतु त ककया जा सकता है।
मवणपुरी रास में राधा, कृ ष्ण और गोवपयां मुख्य पात्र होते हैं।
सामूवहक गान का कीतवन रूप नृत्य के साथ जुड़ा हुअ है, वजसे मवणपुर में संकीतवन के रूप में जाना जाता है ।
o पुरुष नतवक नृत्य करते समय पुंग और करताल बजाते हैं। नृत्य का पुरुषोवचत पहलू - चोलोम संकीतवन परंपरा का एक भाग
है। सभी सामावजक और धार्थमक त्योहारों पर पुग
ं तथा करताल चोलोम प्रथतुत ककया जाता है।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 27.A
सामावजक न्याय और ऄवधकाररता मंत्रालय ने वररष्ठ नागररकों के वलए सेज ऄथावत् सीवनयर के यर एसजग ग्रोथ आंजन
(Seniorcare Aging Growth Engine: SAGE) पहल और सेज पोटवल ( SAGE portal ) की िुरुअत की है। आसवलए
कथन 2 सही नहीं है।
सेज पोटवल ववश्वसनीय थटाटव-ऄप्स द्वारा वररष्ठ नागररकों की देखभाल के ईत्पादों तथा सेवाओं का "वन-थटॉप एक्सेस" होगा।
थटाटव-ऄप्स का चयन नवीन ईत्पादों व सेवाओं के अधार पर ककया जाएगा, आन्हें वररष्ठ नागररकों को ववत्त, खाद्य और धन
प्रबंधन तथा कानूनी मागवदिवन से जुड़ी तकनीकी पहुंच ईपलदध कराने के ऄलावा थवाथथ्य, अवास एवं देखभाल कें द्र जैसे िेत्रों
में सेवाएं प्रदान करने में सिम होना चावहए। आसवलए कथन 1 सही है।
सेज कायवक्रम और सेज पोटवल की िुरूअत ईन व्यवक्तयों की मदद करने के वलए की गइ है जो वररष्ठ नागररकों की देखभाल हेतु
सेवाएं प्रदान करने के िेत्र में ईद्यवमता में रुवच रखते हैं। मंत्रालय ने वररष्ठ नागररकों हेतु थटाटव -ऄप्स पर ऄवधकार प्राप्त सवमवत
के सुझावों के ऄनुसार वररष्ठ नागररकों की देखभाल हेतु युवाओं की भागीदारी और ईनके नवीन ववचारों के वलए सेज कायवक्रम
तैयार ककया है। यह वररष्ठ नागररकों की देखभाल के कायवक्रमों को वसफव एक सरकारी कायवक्रम के बजाय एक राष्ट्रीय अंदोलन
बनाने में सहायता करेगा।
चालू ववत्त वषव ऄथावत् वषव 2021-22 में सेज पररयोजना के वलए 25 करोड़ रूपये अवंरटत ककये गए हैं। थटाटव-ऄप्स का चयन
वविेषज्ञों की एक थवतंत्र ऄनुवीिण (Screening) सवमवत द्वारा ककया जाएगा। प्रत्येक चयवनत थटाटव-ऄप को एकमुश्त आकक्वटी
के रूप में 1 करोड़ रूपये तक की वनवध प्रदान की जाएगी।
सेज पररयोजना का ईद्देश्य ईत्पाद, समाधान और सेवाओं की पहचान करना, ईनका मूल्यांकन करना, ईन्हें सत्यावपत एवं
संगृहीत करना और तत्पिात सीधे वहतधारकों को ववतररत करना है। मंत्रालय आन वचवन्हत थटाटव-ऄप्स के माध्यम से वररष्ठ
नागररकों को ईत्पादों तक पहुंचने में सिम बनाने के वलए एक सुववधा के रूप में कायव करेगा।
Q 28.D
वतरुवनंतपुरम में भारतीय ऄंतररि ऄनुसध
ं ान संगठन के ववक्रम साराभाइ ऄंतररि कें द्र (VSSC) ने ऐसे समय में तीन ऄलग-
ऄलग प्रकार के वेंरटलेटर और एक ऑक्सीजन सांद्रक (Oxygen Concentrator) का ववकास ककया है, जब आस महत्वपूणव
वचककत्सा ईपकरण की कमी के कारण पूरे देि में ऄनेक कोववड -19 रोवगयों की मृत्यु हो चुकी है। आन मॉडलों के नाम प्राण
(PRANA), थवथथ (SVASTA) और वायु (VaU) हैं।
'प्राण (PRANA)' ऄथावत् प्रोग्रामेबल रेवथपरेटरी ऄवसथटेंस फॉर द नीडी ऐड (Programmable Respiratory Assistance
for the Needy Aid: PRANA)'- एक ऄंबु बैग (Ambu bag) (एक वावणवज्यक मैनुऄल श्वसनयंत्र बैग) पर अधाररत है,
प्राण एक ईत्प्रेरक का ईपयोग करके ऄंबु बैग के थवचावलत संपीड़न द्वारा रोगी को ऑक्सीजन युक्त वायु प्रदान करता है।
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थवथथ (SVASTA) ऄथावत् थपेस वेंरटलेटर एडेड वसथटम फॉर ट्रॉमा ऄवसथटेंस (Space Ventilator Aided System for
Trauma Assistance)। यह ववद्युत के वबना कायव करने के वलए वडज़ाआन ककया गया है। यह प्रणाली संपीवड़त वायु पर कायव
करती है और ऄके ले यांवत्रक व्यवथथा के माध्यम से वेंरटलेिन के वववभन्न तरीकों की पूर्थत करती है।
वायु ऄथावत् (Ventilation assist Unit: VaU) एक वायवीय-पररपथ अधाररत प्रणाली है। यह एक ऄत्यंत महत्वाकांिी
पररयोजना है, जो एक कम लागत वाला ऄत्याधुवनक वेंरटलेटर है, वजसे बाजार में ईच्च-थतर के महंगे वेंरटलेटर के समान माना
जा सकता है। वायु एक डु ऄल-मोड वेंरटलेटर है, जो ऄथपताल की मेवडकल ऑक्सीजन या पररवेिी वायु के साथ कायव कर सकता
है।
आसवलए ववकल्प (d) सही ईत्तर है।
Q 29.A
ग्रामीण प्रसार: प्राचीन काल के दौरान दविण भारत में , हमें तीन प्रकार के गााँवों की जानकारी वमलती है; ईर, सभा और
नगरम।
o ईर (Ur) एक सामान्य प्रकार का गााँव था वजसमें कृ षक जावतयााँ वनवास करती थीं, जो संभवतः अपस में समानता रखते
थे। ग्राम प्रधान का दावयत्व करों की वसूली करना तथा गााँव की ओर से ईसका भुगतान करना था। ये गााँव मु ख्य रूप से
दविणी तवमलनाडु में वथथत थे।
o सभा(Sabha) प्रकार के गााँव में ब्रह्मदेय गााँव या ब्राह्मणों को ऄनुदान में दी गइ भूवम और ऄग्रहार (Agrahara) गााँव
िावमल थे। ब्राह्मण भूथवावमयों को भूवम पर व्यवक्तगत ऄवधकार प्राप्त थे परंतु वे सामूवहक रूप से ऄपनी गवतवववधयों का
वनष्पादन करते थे।
o नगरम (Nagaram) प्रकार के गााँव में ववणकों और व्यापाररयों का संयुक्त प्रभुत्व और बसावट थी।
आसवलए ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
Q 30.A
वैिेवषक दिवन परमाणुवाद पर अधाररत दिवन था, वजसमें ब्रह्म प्रकक्रया (वजसके ऄंतगवत अत्मा सवम्मवलत होती है) की व्याख्या
की गइ थी। परमाणुवाद एक सैद्धांवतक दृवष्टकोण है जो ककसी भी वथतु को ववविष्ट, पृथक करने योग्य और थवतंत्र प्राथवमक
घटकों के रूप में ववश्लेषण के माध्यम से वनववचनीय या व्याख्या करने योग्य मानता है। आसवलए कथन 1 सही है।
वैिेवषक, सांख्य दिवन की तरह यह मानते थे कक अत्मा (पुरुष) और ब्रह्म (प्रकृ वत) पूणवतया पृथक सत्ताएं है और मुवक्त आस ऄंतर
को पूणवतया समझने में वनवहत है। आसवलए कथन 2 सही है।
योग दिवन, जो सांख्य दिवन के संपूणव तत्वमीमांसीय मतों के साथ सामान्य रूप से सहमवत रखता है। यह मानता है की पुरुष की
भावात्मक भ्रावन्त ऄथवा गलत पहचान करने वाले तत्व ईसी गुण के प्रकृ वत के होते है। जो गुण संकुल लक्ष्य प्रावप्त के वलए
भरसक प्रयास एवं पररणामी ऄनुभवों के वलए ईत्तरदायी होते है। आसवलए कथन 3 सही नहीं है।
Q 31.C
भारतीय िास्त्रीय संगीत को दो परंपराओं के अधार पर वगीकृ त ककया गया है, दविण भारत में प्रचवलत कनावटक संगीत और
ईत्तर भारत में सहदुथतानी िास्त्रीय संगीत।
कनावटक संगीत रागम (राग) और तालम (ताल) की एक प्रणाली से वनर्थमत है। दोनों िैवलयों में वववभन्न संगीत थवरूप हैं:
कनावटक संगीत की िैवलयां :
o गीतम: यह राग के सहज और मधुर प्रवाह सवहत सबसे सरल प्रकार की रचना है।
o तनम: यह मध्यमाकला या मध्यम गवत में राग ऄल्पना है। आसमें बोधगम्य लय है। अकषवक पद्धवतयों का पालन करते हुए,
संगीत का लयात्मक प्रवाह, तनम गायन को राग का सवाववधक अकषवक भाग बना देता है। आसवलए ववकल्प 3 सही है।
o वतल्लाना: यह मुख्यत: एक नृत्य िैली है, ककतु तेज और अकषवक संगीत के कारण आसे कभी-कभी संगीत गोष्ठी के ऄंवतम
ऄंि में िावमल ककया जाता है। यह सामान्यत: जवतयों के साथ िुरू होते हैं। वतल्लाना में संगीत तुलनात्मक रूप से धीमी
गवत का होता है जो नृत्य प्रयोजनाथव होता है। आसवलए ववकल्प 1 सही है।
o सुलादी: सुलादी एक तालमावलका है, वजसके खंड वभन्न-वभन्न तालों में होते हैं।
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o थवराजवत: आसके ऄंतगवत तीन खण्ड सवम्मवलत हैं, वजन्हें पल्लवी, ऄनुपल्लवी और चरनम कहा जाता है। आसकी ववषयवथतु
भवक्त, साहस ऄथवा प्रेम से संबंवधत होती है ।
o जवतथवरम: यह ऄपनी लय ईत्कृ ष्टता और आसमें प्रयुक्त जावत पद्धवत के वलए ववख्यात है ।
o वणवम: यह एकमात्र ऐसा रूप है वजसका सहदुथतानी संगीत में प्रवतपि नहीं है। आस िैली को वणवम कहा जाता है क्योंकक
प्राचीन संगीत में 'वणव' कहे जाने वाले थवर समूह के कइ प्रवतरूप आसकी संरचना में गुंथे हुए हैं।
o कीतवनम: यह, सरल संगीत में रवचत सावहत्य की भवक्त भावना के वलए जाना जाता है।
o कृ वत: आसका ववकास कीतवनम से हुअ है। यह एक ऄत्यवधक ववकवसत संगीत थवरूप है।
o पल्लवी: यह रचनात्मक संगीत की सबसे महत्वपूणव िाखा है। यह मनोधमव (Improvisation) का पयावप्त ऄवसर देती है।
सहदुथतानी िास्त्रीय संगीत से जुड़े प्रमुख थवर ऄथवा िैवलयााँ ध्रुपद, ख्याल और तराना हैं। हल्के /ऄधव िास्त्रीय थवरूपों
में िावमल हैं-धमार, वत्रवत, चैती, कजरी, टप्पा, टप-ख्याल, ऄष्टपदी, ठु मरी, दादरा, ग़ज़ल और भजन। ये िास्त्रीय
संगीत के कठोर वनयमों का पालन नहीं करते हैं। आसवलए ववकल्प 2 सही नहीं है।
o टप्पा में तीव्र सुर प्रवतरूप में गीत गाये जाते हैं। यह एक करठन रचना है और आसके वलए बहुत ऄभ्यास की अवश्यकता
होती है। गायन के ध्रुपद और ख्याल थवरूपों की भांवत ठु मरी और टप्पा दोनों को वविेष प्रवििण की अवश्यकता होती है।
वजन रागों में टप्पा की रचनाएाँ की जाती हैं, वे ठु मरी िैली की तरह ही होते हैं।
Q 32.A
तवमलनाडु के महाबलीपुरम में थमारकों का समूह 7वीं और 8वीं िताददी के धार्थमक थमारकों का एक संग्रह है। थमारकों का
वनमावण पल्लवों के िासनकाल के दौरान ककया गया था। आस समूह में थमारकों की ऄनेक श्रेवणयां हैं:
रथ मंकदर (Ratha Temples)
o ये रथों के अकार में ईके रे गए एकाश्मीय मंकदर हैं।
o सबसे प्रवसद्ध पांच एकाश्मीय संरचनाएं, वजन्हें पंच रथ (पांच रथ) या पांडव रथ के रूप में जाना जाता है: धमवराज रथ,
भीम रथ, ऄजुवन रथ, नकु ल-सहदेव रथ और द्रौपदी रथ।
o महाबलीपुरम के ऄन्य रथ थमारकों में सातवीं िताददी के ईत्तराधव में वनर्थमत गणेि रथ िावमल है। यह तीन मंवजला है और
आसमें ईत्कृ ष्ट कारीगरी की गइ है, आसके छत का थवरूप भीम-रथ जैसा कदखता है। आसवलए ववकल्प 2 सही है।
संरचनात्मक मंकदर (Structural Temples)
o मामल्लापुरम में संरचनात्मक (थवतंत्र) मंकदरों के भवन पत्थर के टुकड़ों से बनाए गए हैं। कु छ प्रमुख मंकदर हैं:
तटीय मंकदर (Shore Temple): आसमें एक वविाल मंकदर, दो लघु मंकदर और ऄनेक छोटे मंकदर, खुले महाकि, प्रवेि
द्वार और ऄन्य तत्व िावमल हैं, वजनमें से ऄवधकांि रेत से दबे हुए हैं। आसवलए ववकल्प 1 सही है।
ओलक्कनेश्वर मंकदर (Olakkanesvara Temple): आसे 8वीं िताददी के अरंभ में राजा राजवसम्हा द्वारा ग्रे ग्रेनाआट
िैलों से वनर्थमत करवाया गया था। आस मंकदर की दीवारें रामायण से रावणानुग्रह कथा और दविणामूर्थत (योग वििक
के रूप में विव) की ईभरी हुइ नक्कािी को दिावती हैं।
मुकुंद नयनार मंकदर (Mukundanayanar Temple): आसमें रथ जैसी वाथतुकला है।
िैलकृ त ईभार/अकृ वतयां (Rock Reliefs)
o सबसे प्रवसद्ध िैलकृ त ईभार/अकृ वत गंगा का भूवम पर ऄवतरण है वजसे ऄजुवन की तपथया या भगीरथ की तपथया के रूप में
भी जाना जाता है।
o आसकी दो प्राथवमक व्याख्याएं हैं: गंगा को थवगव से पृथ्वी पर लाने के वलए अवश्यक प्रयास, और ककराताजुवनीयम् कथा एवं
महाभारत का ऄध्याय, यह ऄजुवन द्वारा ईस िस्त्र को प्राप्त करने के प्रयासों के बारे में है, जो ईसे बुराइ पर ऄच्छाइ की जीत
में मदद करने के वलए अवश्यक था।
गुफा मंकदर (Cave Temple)
o वराह गुफा
o कोरटकल गुफा
o धमवराज गुफा
o रामानुज गुफा
लाडखान मंकदर (या चालुक्य विव मंकदर), विव को समर्थपत, सबसे प्राचीनतम सहदू मंकदरों में से एक है और कनावटक राज्य के
ऐहोल में थमारकों के समूह में वथथत है। आसवलए ववकल्प 3 सही नहीं है।
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Q 33.C
चोल साम्राज्य का प्रिासन
o ककसानों की बवथतयााँ, वजन्हें ईर के नाम से जाना जाता था, ससचाइ कृ वष के प्रसार से समृद्ध हो गइ थीं। ऐसे गााँवों के समूहों
को ‘नाडु ’ कहा जाता था। ग्राम पररषद एवं नाडु न्याय करने और कर वसूलने जैसे कइ प्रिासवनक कायव करते थे। वेल्लाल
जावत के धनी ककसानों को कें द्रीय चोल सरकार की देख-रेख में ‘नाडु ’ के काम-काज में ऄच्छा-ख़ासा वनयंत्रण हावसल था।
ईनमें से कइ धनी भूथवावमयों को चोल राजाओं ने सम्मान के रूप में ‘मुवद
ें वेलन’ (तीन राजाओं को ऄपनी सेवाएाँ प्रदान
करने वाला वेलन या ककसान), ‘ऄरआयार’ (प्रधान) जैसी ईपावधयााँ दीं और ईन्हें कें द्र में महत्त्वपूणव राजकीय पद सौंपे थे।
ईत्तरी भारत: तीन साम्राज्य का युग
o राजनीवतक ववचार और संगठन:
o गांव प्रिासन की मूल आकाइ थे। ग्राम प्रिासन का संचालन ग्राम प्रधान और ग्राम लेखाकार द्वारा ककया जाता था वजनके
पद सामान्यतः वंिानुगत होते थे। ईन्हें कर मुक्त भू-ऄनुदान द्वारा भुगतान ककया जाता था। प्रायः गांव के बुजुगव ग्राम प्रधान
के कतवव्यों के वनववहन में ईसकी सहायता करते थे, वजन्हें ग्राम-महाजन या ग्राम-महत्तर भी कहा जाता था ।
o आस काल में हमे राज पररवार के ऄवधकाररयों के बारे में भी जानकारी वमलती है, वजन्हें (राज पररवार को) ऄन्तःपुर कहा
जाता था।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 34.B
कथक नृत्य: यह भारतीय िास्त्रीय नृत्य के अठ प्रमुख थवरूपों में से एक है।
आसकी ईत्पवत्त पारंपररक रूप से प्राचीन भारत के ईत्तर में यात्रा करने वाले चारणों/कववयों (Bards) से हुइ; वजन्हें कथाकार या
कहानीकार कहा जाता है।
o िंकरदेव ऄसम के वैष्णव संत और सुधारक थे वजन्होंने वैष्णव धमव के प्रचार के वलए सवत्रया नृत्य को एक िवक्तिाली
माध्यम के रूप में अरंभ ककया। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
कथक भवक्त अंदोलन के दौरान, वविेष रूप से सहदू भगवान कृ ष्ण के बचपन और ईनकी कहावनयों को िावमल करके ववकवसत
हुअ। साथ ही यह थवतंत्र रूप से ईत्तर भारतीय राज्यों के दरबार में भी ववकवसत हुअ।
कथक तीन ऄलग-ऄलग थवरूपों में पाया जाता है, वजसे "घराना" कहा जाता है, वजसका नामकरण ईन िहरों के नाम पर ककया
गया है, जहां कथक नृत्य परंपरा ववकवसत हुइ - जयपुर, बनारस और लखनउ।
वविेषताएं:
o यह लयबद्ध पााँव की गवत पर बल देता है, जो घुंघरूओं से सुसवज्जत होते हैं और संगीत के साथ सामंजथय थथावपत करते हैं।
o पााँव और धड़ अम तौर पर सीधे होते हैं तथा कहानी को ववकवसत िददावली के माध्यम से हथत मुद्राओं और उपरी िरीर
की गवत, चेहरे के भाव, गदवन की गवत, अंखों और भौं की गवत, रंगमंच संबंधी गवतवववधयों, झुकाव तथा मोड़ अकद के
अधार पर दिावया जाता है।
यह भारत का एकमात्र िास्त्रीय नृत्य है वजसका संबधं मुवथलम संथकृ वत से रहा है। यह कला में सहदू और मुवथलम प्रवतभा के एक
ऄवद्वतीय संश्लष
े ण का प्रवतवनवधत्व करता है।
कथक िास्त्रीय नृत्य का एकमात्र थवरूप है जो सहदुथतानी या ईत्तर भारतीय संगीत से जुड़ा है। आन दोनों का समानांतर ववकास
हुअ है,प्रत्येक दूसरे को पोवषत करता है और बनाये रखता है। आसवलए कथन 2 सही है।
Q 35.C
नरससहवमवन प्रथम:
o नरससहवमवन प्रथम, वजसका ईपनाम महामल्ल (630-668 इथवी) था,महेंद्रवमवन प्रथम का पुत्र और ईत्तरावधकारी था तथा
ईसे पल्लव िासकों में सबसे महान माना जाता था। ईसे पुलके विन वद्वतीय के दूसरे अक्रमण को ववफल करने, ईसे मारने
और चालुक्यों की राजधानी वातापी पर ऄवधकार थथावपत करने का श्रेय कदया जाता है और आस तरह ईसने वातापीकोंड
(वातापी के ववजेता) की ईपावध प्राप्त कर ली। आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
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o संभवत: पुलके विन वद्वतीय के साथ ईसके संघषव में ईसे ससहल के राजकु मार मन-वम्मा (Mana Vamma) से सहायता
वमली, वजसे बाद में ईसने सीलोन का ताज हावसल करने में सहायता की। नवेन त्सांग ने नरससहवमवन प्रथम के िासनकाल
के दौरान वषव 642 इथवी में कांची का दौरा ककया था। ऐसा भी कहा जाता है कक ईसने चोल, चेर, पांड्य और कलभ्रों को
परावजत ककया था।
o वह कला का ईत्साही प्रेमी था और ईन्होंने वत्रवचनोपोली और पुदक्क
ु ोटाइ जैसे वववभन्न थथलों पर गुफा मंकदरों की थथापना
करवाइ। हालांकक ईसका नाम तथाकवथत महाबलीपुरम के रथों के संबंध में ऄवधक जाना जाता है। आस थथल का मूल नाम,
महामल्लपुरा आसके िाही संथथापक, महामल्ल ऄथावत् नरससहवमवन प्रथम की याद में है।
Q 36.C
पुलके विन वद्वतीय (609–642 CE) सबसे प्रवसद्ध चालुक्य राजा था। हमें ईसके बारे में जानकारी ईसके ऐहोल ऄवभलेख से
वमलती है, वजसमें ईसके दरबारी कवव रववकीर्थत द्वारा रवचत ईसकी प्रिवथत (गुणवणवन) ईत्कीणव है। यह ऄवभलेख संथकृ त भाषा
में ईस काल की काव्य-कला का एक ईत्कृ ष्ट नमूना है और ऄवतरंजनों के बावजूद पुलके विन की जीवनी के बारे में जानने का एक
मूल्यवान स्रोत है। ऄवभलेख में ईवल्लवखत है कक ईसने कदंबों की राजधानी बनवासी को ऄपने ऄधीन कर वलया और मैसूर के
गंग वंवियों को ऄपनी प्रभुसत्ता थवीकार करने पर वववि ककया। ईसने नमवदा के ककनारे हषव की सेना को परावजत कर ईसे दक्कन
की ओर बढ़ने से रोक कदया। पल्लवों के साथ ऄपने संघषव में , वह लगभग पल्लव राजधानी तक पहुंच गया था, लेककन पल्लवों ने
पुलके विन वद्वतीय को ऄपना ईत्तरी प्रांत सौंपकर ईसके साथ संवध कर ली।
पुलके विन की सवाववधक ईल्लेखनीय सैन्य ईपलवदध ईत्तरी भारत के िवक्तिाली सम्राट हषव-वधवन पर ईसकी ववजय थी। चालुक्य
साम्राज्य को जीतने में हषव-वधवन की ववफलता को चीनी तीथवयात्री नवेन त्सांग द्वारा भी प्रमावणत ककया गया है, वजसने हषव के
राज्य का दौरा ककया था।
राजा हषव के सन्दभव में - हषववधवन पुष्यभूवत राजवंि से संबंवधत था, वजसकी थथापना नरवधवन ने 5वीं या 6वीं िताददी इथवी के
अरम्भ में की थी। यह के वल थानेश्वर के राजा प्रभाकर वधवन (हषववधवन के वपता) के ऄधीन था। पुष्यभूवत समृद्ध राजवंि था
और आसने महाराजावधराज का वखताब प्राप्त ककया था। हषववधवन 606 इथवी में 16 वषव की अयु में तब ससहासन का
ईत्तरावधकारी बना था जब ईसके भाइ राज्यवधवन की ििांक द्वारा हत्या कर दी गयी थी जो गौड़ और मालवा के राजाओं का
दमन करने वनकला था।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 37.B
वचश्ती संप्रदाय की एक प्रमुख वविेषता अत्मसंयम थी, वजसमें सत्ता से दूरी बनाए रखने पर बल कदया जाता था। ककतु आसका
ऄथव यह नहीं था कक राजनीवतक सत्ता से पूणत
व ः ऄलगाव का भाव रखा जाए। आसवलए कथन 1 सही है।
सूफी संतों ने सत्ताधारी ववविष्ट वगव से ऄवांवछत भेंट और ऄनुदान थवीकार ककए। बदले में सुल्तानों ने धमविालाओं के वलए दान
के रूप में न्यास (औकाफ) थथावपत ककए और खानकाहों को कर-मुक्त (आनाम) भूवम ऄनुदान में दी। आसवलए कथन 2 सही है।
वचश्ती धन और सामान रूप में दान थवीकार करते थे। दान एकत्र करने के बजाय, वे भोजन, कपड़े, अवास की व्यवथथा और
ऄनुष्ठानों जैसे समा की महकफ़लों जैसी तत्कावलक अवश्यकताओं पर आसे पूरी तरह खचव कर देते थे। आसवलए कथन 3 सही है।
Q 38.B
भवाइ गुजरात की एक लोकवप्रय लोकनाट्ड िैली है, वजसका आवतहास 700 वषव पुराना है। भवाइ िदद का ऄथव दो िददों भाव
एवं वावहनी के संयोजन से वलया गया है- भाव का ऄथव है भावना, और वावहनी का ऄथव वाहक है- आस प्रकार आसे एक ऐसी कला
िैली में नावमत ककया गया है जो भावनाओं की वाहक है। आसवलए युग्म 1 सही सुमवे लत है।
o आस िैली का कें द्र कच्छ और कारठयावाड़ माना जाता है।
o भवाइ में भुंगल, तबला, ढोलक, बांसुरी, पखावज, रबाब, सारंगी, मंजीरा आत्याकद वाद्य यंत्रों का प्रयोग होता है।
o भवाइ में भवक्त और रूमान का ऄद्भुत मेल देखने को वमलता है ।
o माच, मध्य प्रदेि की एक प्रमुख लोकनाट्ड िैली है। ऐसा माना जाता है कक भागसीपुरा, ईज्जैन के गोपालजी गुरु द्वारा
मध्य प्रदेि में माच की िुरुअत की गइ; ऄंततः ईन्होंने थवयं कइ माच नाटक भी वलखे। आसवलए युग्म 2 सही सुमवे लत है।
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o परंपरागत रूप से, भारतीय त्योहार होली के असपास माच का प्रदिवन ककया जाता है और यह भी माना जाता है कक माच
की ईत्पवत्त थथानीय समुदायों के मनोरंजन के वलए हुइ थी क्योंकक ईस समय मनोरंजन का कोइ ऄन्य साधन ईपलदध नहीं
था।
o माच िददावली सहदी के िदद मंच (थटेज) का मालवी ऄनुवाद है। ऄवनवायव रूप से , माच िददावली दो ऄथों ऄथावत् थवयं
मंच और नाटक/प्रदिवन को दिावती है।
o माच मूल रूप से एक संगीतमयी नाटक है, वजसमें कलाकारों का एक समूह कइ पौरावणक, धार्थमक और ऐवतहावसक
कहावनयों के नाटकीय वनरूपण के साथ-साथ गायन और नृत्य भी करता है।
o माच मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा वनष्पाकदत ककया जाता है, जो मवहला पात्रों की भूवमका भी वनभाते हैं।
o माच, ऄपनी कहावनयों के माध्यम से, संबंवधत ऐवतहावसक अंकड़ों और पौरावणक एवं धार्थमक पात्रों की सहायता से
दिवकों; वजसमें बड़े पैमाने पर कृ षक िावमल होते हैं, के साथ िवक्त, वैभव, ऄन्याय, सहसा और सामावजक मुद्दों पर चचाव
करता है |
o माच में, संवादों को 'बोल' कहा जाता है, छंद योजना को वणग के रूप में जाना जाता है और आस लोक नाट्ड की धुनों को
रंगत के नाम से जाना जाता है। एक संगीतमयी नाट्ड िैली होने के कारण, संवादों पर गीतों को प्राथवमकता दी जाती है।
के रल की लोकनाट्ड िैली कृ ष्णाट्टम 17वीं िताददी के मध्य कालीकट के महाराज मनवेदा के िासन के ऄधीन ऄवथतत्व में अइ।
आसवलए युग्म 3 सही सुमवे लत नहीं है।
o कृ ष्णाट्टम अठ नाटकों का वृत्त है, जो क्रमागत रुप में अठ कदन प्रथतुत ककया जाता है। ये नाटक हैं- ऄवतारम्, कावलयमदवन,
रासक्रीड़ा, कं सवधाम् थवयंवरम्, वाणयुद्धम्, ववववधववधम्, थवगावरोहण।
o ये वृत्तांत भगवान कृ ष्ण की थीम पर अधाररत हैं- श्रीकृ ष्ण जन्म, बाल्यकाल तथा बुराइ पर ऄच्छाइ के ववजय को वचवत्रत
करते ववववध कायव।
o कृ ष्णाट्टम की सबसे ऄनूठी एवं ववविष्ट वविेषता कु छ पात्रों के वलए मुखौटों का ईपयोग करना है। मुखौटे रूप से बड़े होते
हैं, मुखाकृ वतयों को बढ़ा-चढ़ाकर दिावया जाता है, आनमें से कु छ ववकृ त भी होते हैं।
o कृ ष्णाट्टम चरण में वजन वाद्य यंत्रों का ईपयोग ककया जाता है वे हैं; चेंवगला, मद्दलम और आलत्तालम या झांझ', िंख और
'एडक्का'।
Q 39.C
भारतीय नौसेना ने पहली बार बंगाल की खाड़ी में अयोवजत फ्ांसीसी नौसैवनक ऄभ्यास ला पेरॉस में भाग वलया। भाग लेने
वाले देिों में चतुष्कोणीय सुरिा संवाद (QUAD) के ऄन्य सदथय देि- ऑथट्रेवलया, जापान और संयक्त
ु राज्य ऄमेररका (USA)
भी िावमल हैं।
यह पहली बार हुअ जब भारतीय नौसेना फ्ांस के नेतृत्व वाले युद्ध ऄभ्यास ''ला पेरॉस' में िावमल हुइ। ऄभी तक, भारत को
आस फ्ांसीसी नौसैवनक ऄभ्यास में अमंवत्रत नहीं ककया जाता था। ला पेरॉस ऄभ्यास में सतही युद्ध, वायु-रोधी युद्ध, और वायु
रिा ऄभ्यास, वीपन फायटरग ऄभ्यास, क्रॉस डेक फ्लाआंग ऑपरेिन, सामररक युद्धाभ्यास एवं समुद्र में पुनः ईंधन भरने जैसे
नाववक कला ववकास से जुड़े जरटल तथा ईन्नत नौसैना ऄभ्यास संचावलत ककए गए। आस ऄभ्यास ने वमत्र नौसेनाओं के मध्य ईच्च
थतर के सहकक्रया, समन्वय और ऄंतसंचालनीयता को प्रदर्थित ककया। आस ऄभ्यास में भारतीय नौसेना द्वारा भाग लेना मैत्रीपूणव
नौसेनाओं के साथ साझा मूल्यों को प्रदर्थित करता है, जो समुद्र की थवतंत्रता और एक खुली, समावेिी भारत-प्रिांत तथा एक
वनयम-अधाररत ऄंतरावष्ट्रीय व्यवथथा के प्रवत आसकी प्रवतबद्धता सुवनवित करता है।
भारतीय नौसेना के जहाज INS सतपुड़ा (एक आंरटग्रल हेलीकॉप्टर के साथ) तथा P81 लंबी दूरी के समुद्री गश्ती एयरक्राफ्ट के
साथ INS ककल्तान ने ऄभ्यास में भाग वलया।
अवधकाररक तौर पर चतुष्कोणीय सुरिा वाताव (QUAD), चार देिों का एक समूह है; वजसमें संयुक्त राज्य ऄमेररका,
ऑथट्रेवलया, भारत और जापान िावमल हैं। वषव 2004 में सहद महासागर में अइ सुनामी के पिात्, आनके बीच समुद्री सहयोग
अरंभ हुअ।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है
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Q 40.C
अर्थथक और सामावजक जीवन एवं धार्थमक पहलुओं के ऄध्ययन के ईद्देश्य से 800 इथवी. से 1200 इथवी. तक (प्रारंवभक
मध्यकाल) के पूरे काल को एक माना जा सकता है।
ईत्तर भारत में यह काल प्रायः वनवष्क्रयता और यहां तक कक पतन का काल माना जाता है। आस काल में नगरों का लगातार पतन
हुअ। आसवलए कथन 3 सही है।
साथ ही, 7वीं और 10वीं िताददी के बीच सोने और चांदी के वसक्कों का ऄभाव था। सोने और चांदी के वसक्कों के अभाव को
कभी-कभी पविम में, रोमन साम्राज्य, वजसके साथ भारत का व्यापार समृद्ध और लाभकारी था, के पतन का संकेत मान वलया
जाता है। आसवलए कथन 2 सही नहीं है।
यद्यवप पविमी िेत्रों के साथ भारत के व्यापार में वगरावट अइ, लेककन दविण-पूवव एविया और चीन के साथ व्यापार में
लगातार वृवद्ध हुइ। आस व्यापार में दविण भारत ऄग्रणी था। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
Q 41.C
दक्कन और दविण भारत के राज्य:
o आक्ष्वाकु ओं को ऄपदथथ कर ईनके थथान पर पल्लव अए।
o पल्लव िदद का ऄथव है लता और यह तवमल िदद टोंडइ का संथकृ त रूपांतरण है, वजसका ऄथव भी लता है। संभवतः पल्लव
एक थथानीय जनजावत थे वजन्होंने टोंडाइनाडु ऄथावत् लताओं के देि में ऄपनी सत्ता थथावपत की। लेककन ईन्हें पूणवत: सभ्य
और ग्राह्य बनने में कु छ समय लगा क्योंकक तवमल भाषा में पल्लव िदद का ऄथव डाकू होता है।
o पल्लवों का ऄवधकार दविणी अंध्र और ईत्तरी तवमलनाडु दोनों पर ववथताररत था। ईन्होंने ऄपनी राजधानी कांची
(अधुवनक कांचीपुरम) में थथावपत की। अरंभ में पल्लवों का कदंबों के साथ संघषव हुअ। कदंबों ने चौथी िताददी इथवी में
ईत्तरी कनावटक और कोंकण में ऄपनी सत्ता कायम की थी। आसवलए कथन 1 सही है।
o पल्लवों ने ऄवधकांि ब्राह्मणों को कइ कर-मुक्त ग्राम दान में कदए। हमें अरंवभक पल्लवों के 16 भूवम ऄनुदान पत्र प्राप्त हुए
हैं। ईनमें से कु छ, जो ऄवधक पुराने लगते हैं, पत्थरों पर प्राकृ त भाषा में ईत्कीणव हैं, लेककन ऄवधकांि संथकृ त भाषा में
ताम्रपत्रों पर ईत्कीणव हैं। आसवलए कथन 3 सही नहीं है।
o पल्लव, कदंब, बादामी के चालुक्य और ईनके ऄन्य समकालीन िासक वैकदक यज्ञों के प्रबल समथवक थे। ईन्होंने ऄश्वमेध
और वाजपेय यज्ञ ककए। आसवलए कथन 2 सही है।
Q 42.A
ओलावृवष्ट के कारण फसल की िवत का सामना करने वाले बाग़बानों की सहायता करने के वलए, वहमाचल प्रदेि सरकार
थवदेिी रूप से ववकवसत 'एंटी-हेल गन' (Anti-hail gun) के ईपयोग का परीिण करेगी। वषव 2010 में, राज्य सरकार ने संयक्त
ु
राज्य ऄमेररका से तीन एंटी-हेल गन का अयात ककया था और ईन्हें विमला के सेब ईत्पादन करने वाले िेत्र में तीन ऄलग-
ऄलग गांवों में थथावपत ककया था, जहां गर्थमयों में ओलावृवष्ट के कारण प्रवतवषव फलों को गंभीर नुकसान होता है।
एंटी-हेल गन एक ऐसी मिीन है जो बादलों में ओलों के ववकास को बावधत करने के वलए 'अघात तरंग'ें ऄथावत िॉक वेव्स
(Shock Waves) ईत्पन्न करती है। आसमें एक लंबा, वथथर ढांचा होता है, जो कु छ मीटर उाँचे एक ईल्टे टॉवर जैसा प्रतीत होता
है, वजसमें एक लंबा और संकीणव िंकु अकाि की ओर खुलता है। आसके वनचले कि में एवसरटलीन गैस और वायु के एक
ववथफोटक वमश्रण का प्रयोग करके बंदक
ू की तरह "ववथफोट/फ़ायर" ककया जाता है, जो एक अघात तरंग (ध्ववन की गवत से तेज
यात्रा करने वाली तरंगें, जैसे कक सुपरसोवनक ववमान द्वारा ईत्पन्न की जाती हैं) छोड़ता है। माना जाता है कक ये अघात तरंगें
बादलों में जल की बूंदों को ओलों में पररवर्थतत होने से रोकती हैं, वजससे वे बाररि की बूद
ं ों के रूप में ही वगर जाती हैं। आसवलए
ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
यह ईन ओलों के वनमावण की प्रकक्रया है वजन्हें एंटी-हेल गन से छोड़ी गइ अघात तरंगें 500 मीटर के दायरे में बावधत करने का
प्रयास करती हैं, ताकक जल की बूंदें उध्वववाह (Updrafts) द्वारा उपर ईठाए जाने से पहले ही नीचे वगर जाएं। तवड़त झंझावात
के अगमन के दौरान मिीन को प्रत्येक कु छ सेकंडों में बार-बार फ़ायर ककया जाता है।
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Q 43.B
बारहवीं िताददी में कनावटक में एक नवीन अंदोलन का ईद्भव हुअ वजसका नेतृत्व बासवन्ना (1106-68) नामक एक ब्राह्मण ने
ककया। बासवन्ना कलचुरी राजा के दरबार में मंत्री थे। आनके ऄनुयायी वीरिैव (विव के वीर) व सलगायत (सलग धारण करने
वाले) कहलाए।
अज भी सलगायत समुदाय का आस िेत्र में महत्व है। वे विव की अराधना सलग के रूप में करते हैं, और आस समुदाय के पुरुष
वाम थकं ध पर चांदी के एक वपटारे में एक लघु सलग को धारण करते हैं। वजन्हें श्रद्धा की दृवष्ट से देखा जाता है ईनमें जंगम ऄथावत
यायावर वभिु िावमल हैं। आसवलए कथन 1 सही है।
सलगायतों का ववश्वास है कक मृत्योपरांत भक्त विव में लीन हो जाएंगे तथा आस संसार में पुन: नहीं लौटेंग।े आसवलए वे धमविास्त्रों
में बताए गए दाह संथकार का पालन नहीं करते हैं, आसके बजाय वे ऄपने मृतकों को वववधपूववक दफनाते हैं। आसवलए कथन 2
और 3 सही हैं।
सलगायतों ने जावत की ऄवधारणा और कु छ समुदायों के “दूवषत” होने की ब्राह्मणीय ऄवधारणा का ववरोध ककया।
Q 44.D
िक, कु षाण, सातवाहन (200 इसा पूवव - 300 इथवी) और प्रथम तवमल राज्यों का युग प्राचीन भारत में विल्प एवं वावणज्य के
आवतहास में चरमोत्कषव का काल था।
दीघवनकाय, में लगभग 2 दजवन व्यवसायों का ईल्लेख है, जो पूव-व मौयव काल से संबवं धत है, जबकक महावथतु, में राजगीर िहर
में वनवास करने वाले 36 प्रकार के श्रवमकों को सूचीबद्ध ककया गया है। महावथतु आस काल(िक, कु षाण, सातवाहन) से संबवं धत
है।
वस्त्र-वनमावण, रेिम-बुनाइ, और हवथयारों एवं ववलावसता की वथतुओं के वनमावण में भी प्रगवत हुइ।
o मथुरा एक वविेष प्रकार के वस्त्र के वनमावण का एक बड़ा कें द्र था वजसे ‘िाटक’ कहा जाता था। आसवलए कथन 1 सही है।
o दविण भारतीय िहरों में रंगाइ एक ईन्नवतिील विल्प था।
o तवमलनाडु के ईरैयूर से एक ईंट-वनर्थमत रंगाइ कु ण्ड (brick-built dyeing vat) वमला है। आसी तरह का रंगाइ कु ण्ड
तवमलनाडु के ऄररकामेडु से भी वमला है।
सीप ईद्योग (Shell industry) ऄत्यवधक ईन्नत ऄवथथा में था।
सीप से बने ऄनेक मनके और चूवड़यां प्राप्त हुए हैं।
वसक्कों की ढलाइ एक महत्वपूणव विल्प था और यह काल थवणव, चांदी, तांब,े कांथय, सीसा और पोरटन से वनर्थमत ऄनेक प्रकार के
वसक्कों के वलए ज्ञात है।
o कारीगर नकली रोमन वसक्के भी बनाते थे। आसवलए कथन 2 सही है।
o आस काल के वववभन्न वसक्कों के सांचे ईत्तर भारत एवं दक्कन दोनों िेत्रों में पाए गए हैं।
टेराकोटा की सुंदर अकृ वतयों का वनमावण िहरी हथतविल्प का पूरक था, जो प्रचुर मात्रा में पाए गए हैं।
o ये लगभग सभी कु षाण एवं सातवाहन थथलों में पाए गए हैं, लेककन नलगोंडा वजले के येलेश्वरम का वविेष रूप से ईल्लेख
ककया जा सकता है, जहां सवाववधक संख्या में टेराकोटा और ईनके वनमावण के सांचे प्राप्त हुए हैं। आसवलए कथन 3 सही है।
कारीगर संघों में संगरठत थे वजन्हें श्रेणी कहा जाता था।
Q 45.A
चौथ (संथकृ त में आसका ऄथव चतुथांि या एक-चौथाइ है) एक कर या िुल्क था जो भारत में ऄठारहवीं िताददी के अरम्भ में
मराठा साम्राज्य द्वारा वसूला गया था। जैसा कक आसके नाम से ववकदत होता है, यह कु ल भू-राजथव पर नाममात्र 25% लगाया
जाता था। आसवलए कथन 1 सही है।
आस कर के वनधावरण एवं संग्रहण के ऄवधकार का दावा सववप्रथम विवाजी द्वारा सत्रहवीं िताददी के ईत्तराधव में आस वमथ्या
अधार पर ककया गया था कक ईनका पररवार महाराष्ट्र में वंिानुगत रूप से कर संग्रह करता था। सरदेिमुखी ईन भूवमयों पर
चौथ के उपर 10% का ऄवतररक्त कर (ईपकर) था, वजन पर मराठों ने ऄपने वंिानुगत ऄवधकारों का दावा ककया था। आसवलए
कथन 2 सही है।
चौथ और सरदेिमुखी न के वल मराठा साम्राज्य में बवल्क मुगल साम्राज्य या दक्कन सल्तनत के वनकटवती िेत्रों में भी संग्रहीत
ककए जाने वाले कर थे। आसवलए कथन 3 सही नहीं है।
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Q 46.D
जैन धमव में देवताओं के ऄवथतत्व को थवीकार ककया गया है ककतु ईनका थथान ‘वजन’ से नीचे रखा गया है। जैन धमव में ‘वजन’
िदद का ऄथव “ववजेता” या “ववजय प्राप्त करने वाला” होता है वजसने कमव के बंधन से मोि प्राप्त कर वलया है। आसवलए कथन 1
सही है।
जैन धमव ने वणव व्यवथथा की सनदा नहीं की, जैसा कक बौद्ध धमव ने ककया था। महावीर के ऄनुसार, ककसी व्यवक्त का ईच्च या वनम्न
वणव में जन्म ईसके द्वारा पूवव जन्म में ककए गए पुण्यों या पापों का पररणाम होता है। महावीर ने चांडालों में भी मानवीय गुणों
का होना संभव बताया है। ईनके मतानुसार िुद्ध और ऄच्छे अचरण से युक्त जीवन के माध्यम से वनम्न जावत के लोग भी मोि
प्राप्त कर सकते हैं। जैन धमव का लक्ष्य मुख्यतः सांसाररक बंधनों से मोि प्राप्त करना है। ऐसी मुवक्त या मोि की प्रावप्त के वलए
कोइ कमवकांडीय ऄनुष्ठान करना अवश्यक नहीं है। आसे सम्यक दिवन', 'सम्यक ज्ञान' और 'सम्यक चररत्र' से प्राप्त ककया जा सकता
है। ये तीनों जैन धमव के वत्ररत्न माने जाते हैं। आसवलए कथन 2 सही है।
Q 47.B
लोक संगीत वह संगीत होता है वजसका वादन या गायन सामान्य लोगों द्वारा ककया जाता है (न कक पेिेवर संगीतकार द्वारा)।
यह पारंपररक संगीत होता है वजसे लोग सामान्यतः ऄन्य लोगों को आसे गाते/बजाते हुए सुनकर और कफर ईनकी नकल करके
सीखते हैं।
भारत की वविाल सांथकृ वतक ववववधता के कारण भारतीय लोक संगीत भी ववववध है। आसका गायन आस वविाल राष्ट्र के सभी
भागों में वववभन्न भाषाओं एवं बोवलयों में ककया जाता है और प्रवासन के कारण आसका प्रसार ववश्व के वववभन्न भागों में भी हुअ
है। कु छ प्रमुख लोक संगीत नीचे सूचीबद्ध ककए गए हैं।
छकरी, कश्मीर
o छकरी एक समूह गीत है जो कश्मीर के लोक संगीत की एक सवाववधक लोकवप्रय िैली है।
o यह नूत (वमट्टी का बतवन), रबाब, सांरगी और तुम्बाकनरी (उाँची गदवन वाला वमट्टी का एक बतवन) के साथ गाया जाता है।
आसवलए युग्म 1 सही सुमवे लत नहीं है।
बुरावकथा, अंध्र प्रदेि
o बुरावकथा, गाथा रूप में एक ईच्च कोरट की नाटक िैली है ।
o आसमें मुख्य कलाकार द्वारा गाथा वणवन के दौरान बोतल की अकृ वत का एक ड्रम (तंबूरा) बजाया जाता है।
o गाथा गायक, मंच नायक की तरह िृंगार करता है और ऄत्यंत अकषवक पोिाक पहनता है। आसवलए युग्म 2 सही सुमवे लत
है।
दसकारठया, ओवडिा
o दसकरठया ओवडिा में प्रचवलत गाथा गायन की एक िैली है।
o दसकरठया िदद ‘काठी’ ऄथवा ‘राम ताली’ नामक काष्ठ से बने एक ववविष्ट संगीत वाद्य से वलया गया नाम है, आस संगीत
वाद्य का ईपयोग प्रथतुतीकरण के दौरान ककया जाता है ।
o प्रथतुतीकरण एक प्रकार की पूजा है तथा भक्त ‘दास’ की ओर से भेंट है। आसवलए युग्म 3 सही सुमवे लत नहीं है।
Q 48.B
राजथथान की परंपरागत पुतवलयों को कठपुतली कहते हैं ।
काठ के एक एकल टुकड़े से तराि कर बनाइ गइ ये पुतवलयां रंगवबरंगे पहनावे में बड़ी गुवऺडयों के समान लगती हैं। ईनकी
वेिभूषा और मुकुट मध्यकालीन राजथथानी िैली में होती है जो अज तक प्रचवलत है।
ऄत्यन्त नाटकीय िेत्रीय संगीत कठपुतली नृत्य की संगत करता है।
ऄंडाकार मुख, मछवलयों जैसी बड़ी-बड़ी अंख,ें कमानी जैसे भौं और बड़े-बड़े होंठ अकद आनकी मुखाकृ वत के कु छ ववविष्ट लिण
है। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
आसके साथ ही ये पुतवलयां लम्बा पुछल्ला लहाँगा पहनती है और आनके पैरों में जोड़ नहीं होते हैं। आसवलए कथन 2 सही है।
पुतली संचालक ऄपनी ईं गवलयों से बंधे दो या पांच धागों से ईनका संचालन करता है।
कठपुतली के नाटक में, पुतली संचालक भावपूणव गाथाओं के माध्यम से कहावनयां सुनाता है। कठपुतली में कु िल पुतली
संचालकों द्वारा लोकवप्रय ककवदंवतयों पर अधाररत पुतली नाटक को प्रदर्थित ककया जाता है।
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संगीत ऄथवा गाथागीत कठपुतली का एक ऄवभन्न ऄंग होता है क्योंकक संपूणव प्रदिवन गाथागीत पर ही अधाररत होता है।
कभी-कभी, पुतली संचालक नाटक को व्यापक प्रभाव देने के वलए वववभन्न ध्ववन प्रभावों के साथ गाथागीत की संगत करता है।
कठपुतली में ऐवतहावसक दंतकथाओं, प्रेम कथाओं का वणवन ककया जाता है और कठपुतली प्रदिवन के दौरान पुतली संचालक की
धुनों पर पुतवलयों के मुड़ते और झुकते समय ऄत्यवधक तीक्ष्ण एवं ईच्च तारत्व की ध्ववन वनकाली जाती है।
Q 49.B
हाल ही में, नकली तथा ऄवैध दवाओं और वचककत्सा ईत्पादों के ववक्रय को लवित करते हुए ऑपरेिन पैंवजया XIV के तहत
ररकॉडव संख्या में नकली ऑनलाआन दवा ववक्रेताओं (pharmacies) को बंद ककया गया है। ऑपरेिन पैंवजया XIV आंटरपोल
(INTERPOL) द्वारा समवन्वत पहल है वजसमे 92 देिों के पुवलस, सीमा िुल्क और थवाथथ्य वनयामक प्रावधकरण िावमल हैं।
आसके पररणामथवरूप वेबसाआटों और ऑनलाआन माके टप्लेस सवहत 113,020 वेब सलकों को बंद कर कदया गया या हटा कदया
गया। यह वषव 2008 में पहले ऑपरेिन पैंवजया के बाद बंद ककए गए या हटाए गए वेब सलकों की सबसे बड़ी संख्या है। आसवलए
ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
कें द्रीय ऄन्वेषण दयूरो (CBI) सवहत भारतीय एजेंवसयों ने भी आस ऑपरेिन में भाग वलया। आससे ज्ञात हुअ कक ऄपराधी
कोववड-19 वैवश्वक महामारी के कारण व्यवक्तगत सुरिा और थवच्छता ईत्पादों की भारी मांग होने से मुनाफाखोरी कर रहे थे।
18 से 25 मइ तक चले ऑपरेिन के दौरान जदत ककए गए सभी वचककत्सा ईपकरणों में से अधे से ऄवधक नकली और ऄनवधकृ त
कोववड-19 परीिण ककट थे।
Q 50.B
पंद्रहवीं िताददी में फ़ारस के िासक द्वारा कालीकट (वतवमान कोवझकोड) भेजे गये दूत ऄददुर रज़ाज़ाक ने दुगों की सात पंवक्तयों
का ईल्लेख ककया है। आनसे न के वल नगरों को बवल्क कृ वष में प्रयुक्त असपास के िेत्र तथा जंगलों को भी घेरा गया था। सबसे
बाहरी दीवार िहर के चारों ओर बनी पहावड़यों को अपस में जोड़ती थी। आसवलए कथन 1 सही है।
यह वविाल राजवगरी संरचना थोड़ी-सी िुण्डाकार थी। वनमावण में कहीं भी गारे या जोड़ने के वलए ककसी भी वथतु का प्रयोग
नहीं ककया गया था। पत्थर के टुकड़े फानाकार थे, वजसके कारण वे ऄपने थथान पर रटके रहते थे। दीवारों के ऄंदर का भाग वमट्टी
और मलवे के वमश्रण से बना हुअ था। वगावकार तथा अयताकार बुजव बाहर की ओर वनकले हुए थे। आसवलए कथन 2 सही है।
असपास के िेत्र िुष्क होने के कारण वषाव जल के संचयन एवं आसे िहर तक ले जाने के वलए व्यापक प्रबंध करना अवश्यक था।
ऐसे सबसे महत्त्वपूणव जलाियों में एक का वनमावण पंद्रहवीं िताददी के अरंवभक वषों में हुअ वजसे अज कमलपुरम् जलािय
कहा जाता है।
o सबसे महत्त्वपूणव जल संबंधी संरचनाओं में से एक, वहररया नहर को अज भी भग्नाविेषों के बीच देखा जा सकता है। आस
नहर में तुंगभद्रा पर बने बााँध से जल लाया जाता था और कृ वषगत घाटी को ससवचत करने में प्रयोग ककया जाता था।
आसवलए कथन 3 सही है।
Q 51.C
िीत युद्ध के पिात रूस और ईत्तर ऄटलांरटक संवध संगठन:नाटो (North Atlantic Treaty Organization: NATO) के
सदथय देिों के मध्य अपसी ववश्वास ईत्पन्न करने हेतु ओपन थकाइ संवध (Treaty on Open Skies: OST) की गइ थी। आस
संवध के ऄनुसार हथतािरकताव देि एक-दूसरे के िेत्र में हवथयार-रवहत हवाइ वनगरानी (aerial surveillance) ऄवभयान
संचावलत कर सकते हैं। आस हवाइ वनगरानी के दौरान एकत्र की गइ सूचनाएं , जैसे सैन्य दल की गवतवववधयां, सैन्य ऄभ्यासों
और वमसाआलों की तैनाती संबंधी जानकारी, सभी सदथय देिों के साथ साझा की जानी अवश्यक हैं।
ईत्तर ऄटलांरटक संवध संगठन-नाटो एक ऄंतरराष्ट्रीय गठबंधन है। आसमें ईत्तरी ऄमेररका और यूरोप के 30 सदथय देि िावमल
हैं। आसकी थथापना 4 ऄप्रैल 1949 को ईत्तरी ऄटलांरटक संवध (North Atlantic Treaty) पर हथतािर के द्वारा की गइ थी।
कनाडा, नाटो का संथथापक सदथय है तथा वषव 1955 में जमवनी आस गठबंधन का सदथय बना।
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हाल ही में, रूस के राष्ट्रपवत व्लाकदमीर पुवतन ने ओपन थकाइ संवध से रूस के बाहर अने संबध
ं ी कानून पर हथतािर कर कदए हैं।
रूस ने वतवमान एवं पूवव ऄमेररकी राष्ट्रपवत प्रिासन के पदवचन्हों का ही ऄनुसरण ककया। ध्यातव्य है कक ऄमेररका नवंबर 2020
में ही आस संवध से बाहर वनकल गया था। आस प्रकार, वतवमान में संयक्त
ु राज्य ऄमेररका और रूस दोनों ओपन थकाइ संवध से
बाहर वनकल गए हैं।
भारत ओपन थकाइ संवध का हथतािरकताव देि नहीं है।
वषव 2019 में ऄमेररका और रूस आंटरमीवडएट-रेंज न्यूवक्लयर फोसेज (Intermediate-Range Nuclear Forces: INF)
संवध से ऄलग हो गए थे। आसके बाद ये दोनों देि ओपन थकाइ संवध से भी बाहर हो गए। आस प्रकार, वषव 2019 के बाद वषव
2020 में एक और महत्वपूणव हवथयार वनयंत्रण समझौता समाप्त हो गया। आंटरमीवडएट-रेंज न्यूवक्लयर फोसेज संवध का ईद्देश्य
आन देिों की मध्यवती-दूरी और छोटी-दूरी (या "मध्यम-दूरी") की भूवम-अधाररत ऐसी वमसाआलों के थटॉक को समाप्त करना था
जो परमाणु हवथयार ले जाने में सिम हो।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 52.B
भारत की पुरापाषाण युगीन सभ्यता का ववकास वहमयुग के प्लीथटोसीन काल में हुअ था। प्लीथटोसीन, भूगभीय युग है। यह
काल लगभग 2,580,000 वषव से 11,700 वषव पहले तक मौज़ूद था। जो पृथ्वी पर सबसे हाल का समय था वजस दौरान बार-
बार वहमाच्छादन होते रहे थे। आसवलए कथन 1 सही है।
पुरापाषाण काल के लोग विकारी और भोजन संग्रहकताव थे। पुराणों में आन लोगों को जड़ों (कं द-मूल) एवं फलों का सेवन करने
वाले तथा आनमें से कु छ लोगों को अधुवनक काल तक पहावड़यों तथा गुफ़ाओं में रहने वाला बताया गया है। जानवरों को पालतू
बनाना मध्यपाषाण काल में ही अरंभ हुअ था। मध्यपाषाणकालीन लोग विकार, मछवलयों को पकड़ कर और भोजन संग्रवहत
कर जीवन- यापन करते थे, कफर अगे चलकर ईन्होंने पिुओं को पालना अरंभ ककया।
मध्य पुरापाषाण ईद्योग/ईद्यम या विल्प मुख्य रूप से िल्कों (Flakes) पर अधाररत थे। ये िल्क, भारत के वववभन्न भागों में
पाए गए हैं और िेत्रीय ववववधताएं दिावते हैं। ईस समय के मुख्य औज़ार या ईपकरण वववभन्न प्रकार के फलक (Blades),
कीलें/सुइ (Points), बेधक (भूवम में वछद्र करने वाले औज़ार- Borers) और िल्कों से बने छीलने वाले औज़ार (Scrapers) थे।
लघु पाषाण ईद्योग/ईद्यम (Microlithic industry) का ववकास मध्यपाषाण काल के दौरान हुअ। आसवलए कथन 2 सही नहीं
है।
ईत्तर पुरापाषाण युग कम अद्रवता वाला काल था। यह वहमयुग के ऄंवतम चरण के ऄनुरूप था जब जलवायु तुलनात्मक रूप से
गमव हो गइ थी। पुरापाषाण थथल देि की पववतीय ढलानों और नदी घारटयों में पाए जाते हैं तथा ससधु एवं गंगा के जलोढ़
मैदानों में नहीं पाए जाते हैं। आसवलए कथन 3 सही है।
Q 53.B
मुग़ल बादिाहों ने महाभारत और रामायण जैसे संथकृ त ग्रंथों को फारसी में ऄनुवाकदत ककए जाने का अदेि कदया। महाभारत
का ऄनुवाद रज़ामनामा [(युद्धों की पुथतक), Book of Wars] के रूप में हुअ।
ऄकबर ने सम्मावनत संथकृ त ग्रंथों का फारसी में ऄनुवाद और ईनका वचत्रण करने का अदेि कदया। आस काल में सहदू महाकाव्य
महाभारत का फारसी ऄनुवाद एवं सवचत्र संथकरण रज़ामनामा के रूप में जाना गया। आसका ऄनुवाद वषव 1589 में कु िल
वचत्रकार दसवंत की देखरेख में पूरा ककया गया था। आस पांडुवलवप को ऄलंकृत सुलेखन िैली में वलखा गया तथा आसमें 169
वचत्र थे। आसवलए कथन 1 सही है।
मुग़ल भारत में सभी पुथतकें पांडुवलवपयों के रूप में थीं, ऄथावत वे हथतवलवखत होती थीं। पांडुवलवप रचना का मुख्य कें द्र िाही
ककताबख़ाना (Kitabkhana) था।
o हालांकक, ककताबख़ाना िदद को पुथतकालय के रूप में ऄनुवाकदत ककया जा सकता है, दरऄसल यह एक वलवपघर
(Scriptorium) था ऄथावत,् ऐसी जगह जहााँ बादिाह की पांडुवलवपयों का संग्रह ककया जाता था तथा नइ पांडुवलवपयों की
रचना की जाती थी। आसवलए कथन 2 और 3 सही हैं।
21 www.visionias.in ©Vision IAS
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Q 54.B
हड़प्पा के लोग कांसे की ढलाइ बड़े पैमाने पर करते थे और आस कायव में प्रवीण थे। आनकी कांथय मूर्थतयााँ लुप्त मोम(Lost wax)
तकनीक से वनर्थमत की जाती थीं। आस तकनीक के ऄंतगवत:
o मोम की प्रवतमा या एक मूर्थत को वचकनी वमट्टी से पूरी तरह लीपकर सूखने के वलए छोड़ कदया जाता था।
o जब वह पूरी तरह सूख जाती थी तो ईसे गमव ककया जाता था और ईसके वमट्टी के अवरण में एक छोटा सा छेद बनाकर ईस
छेद के राथते सारा वपघला हुअ मोम बाहर वनकाल कदया जाता था।
o आस प्रकार, वचकनी वमट्टी से वनर्थमत खाली सांचे में वपघली हुइ धातु भर दी जाती थी जो मूल अकार ले लेती थी।
o जब वह धातु ठं डी होकर ठोस हो जाती थी तो वचकनी वमट्टी के अवरण को हटा कदया जाता था।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
Q 55.B
हाल ही में, डेनमाकव की संसद ने वलनेटहोम (Lynetteholm) नामक एक कृ वत्रम द्वीप के वनमावण के वलए मंजरू ी दे दी है। यह
द्वीप कोपेनहेगन बंदरगाह को समुद्र के बढ़ते जल थतर से बचाने के साथ-साथ 35,000 लोगों के रहने के वलए घर भी ईपलदध
कराएगा। आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
यह दावा ककया जा रहा है कक वलनेटहोम एक नए और संधारणीय वज़ले के वलए एक महत्वाकांिी पररकल्पना है , जो
कोपेनहेगन िहर के वलए अवश्यक जलवायु संरिण का भी भाग होगा। आस कृ वत्रम द्वीप पर कम-से-कम 35,000 लोग रह
सकें गे और आसे िहर के कें द्र से बंदरगाह सुरंग एवं भूवमगत मागव द्वारा जोड़ा जाएगा।
आस कृ वत्रम द्वीप को अधुवनक रेफिेल द्वीप (Refshale Island) के ईत्तर में बनाया जाएगा जो एक भूतपूवव औद्योवगक िेत्र है।
ऄन्य मुद्दों के ऄवतररक्त, आसके वनमावण के कारण होने वाले पयाववरणीय पररणामों की पयावप्त जांच न होने के कारण, आस योजना
को काफी अलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
Q 56.C
भारतीय ईपमहाद्वीप में ऄब तक लगभग 1500 हड़प्पा थथल पाए गए हैं। आनमें से ऄवधकांि ईत्तरवती हड़प्पावासी ऄववध,
नगरी सभ्यता के बाद के थथल हैं।
भगवानपुरा सवहत ये थथल, सामान्य तौर पर हाकरा-घग्गर नदी के ककनारे ऄववथथत हैं। ये हड़प्पा संथकृ वत के अरंवभक,
ववकवसत और परवती चरणों से संबंवधत हैं। ककतु ववकवसत चरण से संबंवधत थथलों की संख्या सीवमत है और आनमें से कु छ को
ही िहरों के रूप में संदर्थभत ककया जा सकता है।
आनमें से दो सबसे महत्वपूणव िहर पंजाब में हड़प्पा और ससध में मोहनजोदड़ो (दोनों पाककथतान में) थे। तीसरा िहर
मोहनजोदड़ो से लगभग 130 ककमी दविण में ससध के चन्हुदड़ो में वथथत था और चौथा िहर गुजरात में खंभात की खाड़ी के
िीषव पर लोथल में वथथत था। पांचवां िहर राजथथान के कालीबंगा में वथथत था। छठा िहर हररयाणा राज्य के वहसार वजले में
बनावली में वथथत था।
ववकवसत चरण के साक्ष्य सुत्कागेंडोर (ग्वादर, पाककथतान के पास मकरान तट) और सुरकोटड़ा (कच्छ, गुजरात) के तटीय िहरों
में भी पाये जाते हैं, वजनमें से प्रत्येक को एक दुगव द्वारा वचवननत ककया गया है।
ईत्तरवती हड़प्पा थवरूप गुजरात के कारठयावाड़ प्रायद्वीप में रंगपुर और रोजड़ी में भी पाया गया है। आनके ऄवतररक्त,
धौलावीरा जो कक गुजरात के कच्छ में वथथत है हड़प्पा की ककलेबंदी और हड़प्पा संथकृ वत के तीन चरणों को दिावता है। ये
चरण/थवरूप राखीगढ़ी (हररयाणा) में भी कदखाइ देते हैं।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
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Q 57.B
वजस छाया पुतली कला रूप का वणवन पररच्छेद में ककया जा रहा है, वह तोलु बोम्मालट्टा है। आसका िावददक ऄथव ‘चमड़े की
पुतवलयों का नृत्य’ होता है। तोलु बोम्मालट्टा अंध्र प्रदेि, तेलग
ं ाना की छाया पुतली परंपरा है।
तोलु बोम्मालट्टा पुतली की सवाववधक ववलिण वविेषता आनका वविाल अकार होता है। आन पुतवलयों की उंचाइ 120 से 180
सेंटीमीटर और कइ बार लगभग दो मीटर तक होती है।
आन पुतवलयों के हाथों, पैरों, कमर, वसर, और गदवन में जोड़ होते हैं और आनके वववभन्न खंडों को तारों की सहायता से एक साथ
बांधे रखा जाता है; धड़ को सहारा देने वाली एक कें द्रीय छड़ी पुतलकार (पुतली संचालक) को प्रदिवन करते समय पुतली को
मजबूती से पकड़े रखने में सिम बनाती है। पुतली के वसर को सामान्यत: एक ऄलग छड़ी द्वारा सहारा कदया जाता है जो पुतली
को तेजी से गवत करने और मुड़ने की सुववधा देती है।
पुतवलयााँ दोनों तरफ से रंगी जाती हैं वजससे पदे पर आन पुतवलयों की रंगीन छाया पड़ती है।
तोलु बोम्मालट्टा प्रदिवनों में संगीत की महत्वपूणव भूवमका होती है - लकड़ी के तख्तों और घुाँघरू वाले पायलों के माध्यम से मधुर
ध्ववनयां ईत्पन्न की जाती हैं। जीवंत संगीत और गीत पुतली प्रदिवन के साथ संगत करते हैं।
आसमें प्रयोग ककए जाने वाले वाद्ययंत्र तबला, मृदग
ं म, मुदाला (एक प्रकार का तालवाद्य), हारमोवनयम, झांझ, िंख, और
मुखवीणा (फूं क वाद्य या सुवषर वाद्य) हैं।
तोलु बोम्मालट्टा में संगीत, दृश्यों के नाटकीकरण को प्रथतुत करने में सहायता करता है। प्रदिवन के प्रत्येक भाग जैसे प्रवेि ,
संवाद, युद्ध अकद को ईपयुक्त संगीत और गीतों से जीवंत बनाया जाता है और आसमें संगीत िास्त्रीय एवं लोक परंपराओं का
वमश्रण होता है।
पुतली नाटकों के ववषय रामायण, महाभारत और पुराणों से वलए जाते हैं।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
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Q 58.D
इथवी युग (Christian era) की िुरुअत तक सहदू धमव में छह दािववनक वसद्धांतों या पद्धवतयों का ईदय हो गया था। हालांकक
आनमें व्यापक वभन्नता थी, कफर भी ये सभी अवथतक (orthodox) दिवन के रूप में जाने गए, क्योंकक ये सभी वेदों की
प्रमावणकता और ब्राह्मणों के कमवकांडीय वचवथव के दावे को थवीकार करते थे। आन दिवनों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में या
एक-दूसरे से घवनष्ठ संबंध दिावने वाले युग्मों में संबद्ध ककया गया है। छः अवथतक दिवन पद्धवतयां हैं:
o सांख्य
o योग
o न्याय
o वैिेवषक
o मीमांसा
o वेदांत या ईत्तर-मीमांसा।
लगभग बौद्ध धमव के ईदय के समय ही धार्थमक वभिुओं का एक संप्रदाय अजीवक (नावथतक संप्रदाय) था, जो नावथतक ववचार
रखता था। संकुवचत ऄथव में, यह नाम मक्खवल गोिाल के ऄनुयावययों के वलए प्रयुक्त ककया गया है, ककन्तु व्यापक ऄथों में ,
आसका प्रयोग ईन लोगों के वलए भी ककया गया है वजन्होंने ववववध तरीकों से नावथतक ईपदेि कदए।
आसवलए ववकल्प (d) सही ईत्तर है।
Q 59.A
कथन 1 सही है: गुप्त काल में समाज की संरचना एक पररवतवन के दौर से गुजर रही थी और जावत व्यवथथा कठोर हो गइ थी
क्योंकक ब्राह्मणों का वचवथव बढ़ रहा था और ईन्होंने समाज के सवोच्च थथान पर कदज़ा कर वलया था। ईन्हें न के वल िासकों से
बवल्क साधारण जनता से भी बड़े पैमाने पर भूवम ऄनुदान प्राप्त हो रहे थे। ये भूखंड ईन्हें प्रिासवनक ऄवधकारों तथा करों में छू ट
के साथ प्रदान ककए गए थे। आस प्रकार ब्राह्मण-भू थवावमयों के एक नये वगव का ईदय हुअ।
कथन 2 सही है: गुप्त काल के दौरान िूद्रों की वथथवत में कु छ सुधार हुअ। ईन्हें रामायण, महाभारत और पुराणों जैसे धार्थमक
ग्रंथों को सुनने की ऄनुमवत थी। वे कु छ घरेलू कमवकांडो को भी कर सकते थे जो पूवव में ईनके वलए प्रवतबंवधत थे। सातवीं
िताददी में, नवेन त्सांग ने िूद्रों को कृ षक और वैश्यों को व्यापारी कहा है। िूद्रों की तरह, वस्त्रयों को भी धार्थमक ग्रंथों को सुनने
की ऄनुमवत थी।
कथन 3 सही नहीं है: गुप्त काल में वस्त्रयों की वथथवत दयनीय हो गइ थी। समाज में वस्त्रयों को पूणत
व : पुरुषों के ऄधीन कर कदया
गया था। ककन्तु आस बात पर बल कदया गया कक पुरुषों द्वारा ईनकी सुरिा तथा ईनके साथ ईदारतापूणव व्यवहार ककया जाना
चावहए। गुप्त काल में ईच्च वणव की वस्त्रयों की अजीववका के थवतंत्र स्रोतों तक पहुंच नहीं थी। वनम्न वणव की वस्त्रयााँ ऄपनी
अजीववका कमाने के वलए थवतंत्र थीं, वजससे ईन्हें काफी थवतंत्रता प्राप्त हुइ जो कक ईच्च वणों की वस्त्रयों को प्राप्त नहीं थी।
Q 60.D
ऄिोक के िासन काल के दौरान लोगों की समथयाओं का वनराकरण करने तथा ईनके बारे में वनयवमत रूप से सूचना एकत्र करने
के वलए व्यवथथा की गयी थी।
लोगों की समथयाओं के बारे में ऄिोक को हर समय सूचना प्रदान करने के वलए पवतवेदक वनयुक्त ककए गए थे।
ऄवभलेखिावस्त्रयों ने पवतवेदक िदद का ऄथव ‘संवाददाता’ बताया है।
आसवलए ववकल्प (d) सही ईत्तर है।
Q 61.C
श्रवणबेलगोला कनावटक राज्य में एक प्रमुख जैन थथल है। कनावटक में जैन मंकदरों की एक समृद्ध धरोहर है।
o यहां गोमतेश्वर की प्रवसद्ध मूर्थत है।
o यह ग्रेनाआट पत्थर से वनर्थमत भगवान बाहुबली (24 जैन तीथंकरों में प्रथम भगवान ऊषभनाथ के पुत्र) की मूर्थत है जो
ऄठारह मीटर या 57 फीट उंची है और एकाश्म पत्थर से बनी, वबना ककसी सहारे के खड़ी ववश्व की सबसे उाँची मूर्थत है।
o यह सवध्यवगरी पहाड़ी पर वथथत है।
o आसे मैसरू के गंग राजाओं के सेनापवत एवं प्रधानमंत्री चामुण्डराय द्वारा बनवाया गया था।
o मूर्थत के अधार में प्राकृ त भाषा में एक विलालेख है जो 981 इथवी का माना जाता है।
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o विलालेख में, मूर्थत के वनमावण के वलए ववत्तपोषण करने वाले राजा और ईसके सेनापवत चामुण्डराय, वजसने राजा की
माता के वलए मूर्थत का वनमावण कराया, की प्रिंसा की गइ है।
o प्रत्येक बारह वषव में हजारों भक्त यहां महामथतकावभषेक करने के वलए एकत्र होते हैं। यह एक भव्य समारोह होता है
वजसमें मूर्थत का ऄवभषेक जल, हल्दी, चावल के अटे, गन्ने के रस, चंदन के लेप, के सर और सोने एवं चांदी के पुष्पों से ककया
जाता है। माना जाता है कक चंद्रगुप्त मौयव के जैन वभिु बनने और तपथवी जीवन ग्रहण करने के पिात ईसकी मृत्यु यहीं पर
298 इसा पूवव में हुइ थी।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 62.A
फड़ वचत्रकला:
o ये राजथथान में भीलवाड़ा के असपास के िेत्र में रहने वाले ग्रामीण समुदायों के लोक देवताओं का सम्मान करने के वलए
वचवत्रत दीघव, िैवतज, कपड़े के पदे (थक्रॉल) हैं।
o आन समुदायों के वलए ऄपने पिुधन की सुरिा सबसे बड़ी सचता होती है। ऐसी सचताएं ईनके वमथकों, ककवदंवतयों और पूजा
पद्धवतयों में थवाभाववक रूप से पररलवित होती हैं।
o ईनके देवताओं में रिा करने वाले पिु नायक हैं जो बहादुर पुरुष हैं वजन्होंने लुटेरों से समुदाय के मवेवियों की रिा करते
हुए ऄपने प्राणों की अहुवत दे दी।
o एक व्यापक िदद ‘भोवमया’ द्वारा नावमत आन नायकों को आनके िहादत कायों के वलए सम्मावनत ककया जाता है, पूजा जाता
है और थमरण ककया जाता है।
भोवमया, जैसे कक गोगाजी, जेजाजी, देव नारायण, रामदेवजी और पाभुजी ने रबाररयों, गुजवरों, मेघवालों, रेगरों और
ऄन्य समुदायों के बीच ऄपने संप्रदाय को व्यापक रूप से प्रचाररत ककया है।
o आन भोवमयाओं की वीरगाथाओं का वचत्रण करते हुए ‘भोपाओं’ द्वारा फड़ ले जाया जाता है। ये भोपा भ्रमणिील कवव होते
हैं जो रात भर चलने वाले कथा सुनाने के प्रदिवन में आन नायक-देवताओं से संबवं धत कथा सुनाते हुए एवं भवक्त गीत गाते
हुए िेत्र की यात्रा करते हैं और आस दौरान फड़ का प्रदिवन करते हैं। फड़ वचत्रों को रोिन करने के वलए ईनके अगे एक
दीपक रखा जाता है।
o भोपा (गायन करने वाला पुजारी) और ईसका साथी संगीत वाद्ययंत्रों, जैसे कक रावणहत्था एवं वीणा की संगत में प्रदिवन
करते हैं और गायन की ख़याल िैली ऄपनाते हैं।
o फड़ के वाचन के माध्यम से समुदाय, नायक को एक िहीद के रूप में थमरण करता है और ईसकी गाथा को जीववत रखता
है। हालांकक फड़ वचत्रों को भोपाओं द्वारा वचवत्रत नहीं ककया जाता है।
o पारंपररक रूप से आन्हें 'जोिी' नामक एक जावत द्वारा वचवत्रत ककया गया है, जो राजथथान के राजाओं के दरबार में
वचत्रकार रहे हैं। आन वचत्रकारों को राजा के दरबार द्वारा संरिण प्राप्त लघु वचत्रों में वविेषज्ञता प्राप्त थी। आसवलए कु िल
कलाकारों, कवव संगीतकारों और दरबारी वचत्रकारों का समूह या संघ फड़ को ऄन्य समान सांथकृ वतक परंपराओं से ईच्चतर
थथान प्रदान करता है। आसवलए ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
पुरी पट वचत्रकला थपष्ट रूप से ओवडिा में मंकदरों के िहर पुरी से संबंवधत है। आसमें मुख्य रूप से एक पट होता है (जो प्रारम्भ में
ताड़ के पत्तों और कपड़े से वनर्थमत ककया जाता था लेककन ऄब कागज से भी वनर्थमत ककया जाता है)। आसमें वववभन्न ववषयों को
वचवत्रत ककया गया है, जैसे कक जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दैवनक एवं त्यौहार से संबंवधत पररधान तथा िृंगार वजन्हें ‘वेि’
कहा जाता है।
वपथोरा वचत्रकला गुजरात के पंचमहल िेत्र और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेि के झाबुअ िेत्र के वनवासी राठवा भीलों द्वारा की
जाती है। यह वचत्रकला वविेष ऄवसरों को वचवननत करने के वलए घरों की दीवारों पर की जाती हैं। ये दीवारों पर वचवत्रत ककए
गए बड़े वचत्र होते हैं, वजनमें ऄत्यवधक सुंदर ढंग से वववभन्न रंगों में घुड़सवारों के रूप में वचवत्रत ऄनेकों देवताओं की पंवक्तयों को
दिावया जाता है।
बसोहली वचत्रकला एक पहाड़ी लघु वचत्रकला िैली है जो 17 वीं िताददी के ऄंत में और 18 वीं िताददी के दौरान भारत के
पहाड़ी राज्यों में फली-फू ली। यह वचत्रकला ऄपने रंगों और रेखाओं की सुथपष्ट जीवंतता के वलए जानी जाती है। आन वचत्रों के
अधार में गेरुअ पीले , भूरे और हरे रंग की प्रधानता के साथ प्रयुक्त रंग हमेिा चटकीले होते हैं। एक ववविष्ट तकनीक सफे द रंग
की मोटी, ईभरी हुइ बूंदों द्वारा अभूषणों का वचत्रण है, वजसमें हरे भृंगों के पंखों के कणों का ईपयोग हररत मवण (पन्ना रत्न) को
दिावने के वलए ककया जाता है।
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Q 63.D
कदल्ली सल्तनत की थथापना और ववथतार से एक िवक्तिाली एवं कु िल प्रिासवनक व्यवथथा का ववकास हुअ। सुल्तान को ईसके
प्रिासन में ऄनेक ववभागों और ऄवधकाररयों द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी। नायब का पद सबसे िवक्तिाली होता था।
व्यावहाररक रूप से नायब, सुल्तान की सभी िवक्तयों का प्रयोग करता था और सभी ववभागों पर सामान्य वनयंत्रण रखता था।
ईसके बाद वज़ीर का पद होता था जो ववत्त ववभाग का मुवखया होता था वजसे दीवान-ए-ववज़ारत कहा जाता था।
सैन्य ववभाग को दीवान-ए-ऄजव कहा जाता था और आसका प्रमुख अररज-ए-मुमावलक होता था। वह सेना में भती करने , ईसे
सुसवज्जत करने और भुगतान करने के वलए ईत्तरदायी होता था। परंतु सेना का प्रधान सेनापवत थवयं सुल्तान होता था। आसवलए
कथन 1 सही नहीं है।
दीवान-ए-आंिा वह ववभाग होता था जो सुल्तान और ऄन्य देिों के िासकों के बीच तथा सुल्तान और ईसके ऄधीनथथ
ऄवधकाररयों के बीच होने वाले राज्य के सभी औपचाररक एवं गोपनीय पत्र-व्यवहार की देखभाल करता था। आसवलए कथन 2
सही है।
बरीद गुप्तचर (खुकफया एजेंट) होते थे जो साम्राज्य के वववभन्न भागों में घरटत होने वाली घटनाओं के बारे में िासकों को सूचना
देते थे। आसवलए कथन 3 सही है।
Q 64.B
ईपयुवक्त पररच्छेद में वजस रंगमंच कला का वणवन ककया जा रहा है वह तमािा है। यह महाराष्ट्र की एक पारंपररक मराठी लोक
नाट्ड िैली है।
o यह गोंधल, जागरण और कीतवन जैसी लोक िैवलयों से ववकवसत हुइ है।
o ऄन्य नाट्डिैवलयों के ववपरीत, तमािा लोकनाट्ड में नृत्य कक्रया की प्रमुख प्रवतपाकदका मवहला कलाकार होती है। वह
मुरकी के नाम से जानी जाती है।
o नृत्य के माध्यम से िास्त्रीय संगीत, वैद्यवु तक गवत के पादचाप, ववववध मुद्राओं द्वारा सभी भावनाएं दिावइ जा सकती हैं।
o यह एक मवहला-प्रभुत्व वाली कला िैली है। मवहलाएं चमकीले लाल ऄथवा हरे रंग की पारंपररक साड़ी पहनती हैं वजन्हें
महाराष्ट्रीयन िैली में पहना जाता है, वजसे 'काची' कहा जाता है, बालों को जूड़े की तरह बांधा जाता है वजसे पुष्पों से ढक
कदया जाता है। मवहलाएं बहुत सारी चूवड़यां पहनती हैं और घुाँघरू (भारी पायल) बांधती हैं।
o आवतहास दिावता है कक यह कला िैली िायद अकदल िाही के िासनकाल के दौरान ऄवथतत्व में थी ऄथवा प्रवसद्ध हुइ थी
तथा आस कला िैली को तमािागीर के नाम से भी जाना जाता था।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
Q 65.C
इसा की प्रथम एवं वद्वतीय ितावददयों के यूनानी और रोमन वृत्तांतों में कइ भारतीय बंदरगाहों के ईल्लेख वमलते हैं तथा भारत
एवं रोमन साम्राज्य के मध्य व्यापार की वथतुओं का ववथतृत वववरण भी वमलता है।
यूनानी भाषा में वलखी गइ पेररप्लुस ऑफ द एररवियन सी (Periplus of the Erythrean Sea) और टॉलमी की ज्योग्राफी
(Geography) दोनों भारतीय भूगोल और वावणज्य के ऄध्ययन हेतु महत्वपूणव जानकारी प्रदान करती हैं।
वप्लनी की नेचरु ेवलस वहथटीररया (Naturalis Historia) जो इसा की प्रथम िताददी में लैरटन भाषा में वलखी गइ थी। यह हमें
भारत और आटली के मध्य होने वाले व्यापार की जानकारी प्रदान करती है।
आसवलए दोनों कथन सही हैं।
Q 66.B
कु ल्हाकदार वचत्रकला (Kulhadar Painting)
o आस लघु वचत्रकला िैली का ईद्भव 16वीं िताददी में हुअ था तथा यह िैली िुद्ध थवदेिी रूप से ववकवसत हुइ थी। आस
िैली पर न तो फारसी और न ही मुगल िैली का कोइ प्रभाव प्रतीत होता है ।
o आन लघु वचत्रकलाओं की िैली की वविेषता चटकीले ववषम वणों, प्रभाविाली और कोणीय अरेखण, पारदिी वस्त्रों का
प्रयोग करना तथा िंकुरूप टोवपयां ‘कु लहा’ का प्रकट होना है वजन पर पुरूष अकृ वतयां पगवड़यां पहनती हैं।
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o आस समूह में ‘चौरपंचाविका’- ‘वबल्हण द्वारा चोर की पचास पंवक्तयां, गीत गोववन्द, ‘भागवत’ पुराण और ‘रागमाला’ के
सवचत्र ईदाहरण िावमल हैं।
o चौरपंचाविका लघु वचत्रकला का एक ईदाहरण चम्पावती को कमल के फू लों के एक तालाब के वनकट खड़ी हुइ दिावया
गया है ।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
Q 67.C
पंजाब में भारतीय प्रौद्योवगकी संथथान, रोपड़ (IIT रोपड़) ने ऄपनी तरह के प्रथम IoT ईपकरण- ऐवम्बटैग (AmbiTag) को
ववकवसत ककया है, जो खराब होने वाले ईत्पादों, टीकों और यहां तक कक िरीर के ऄंगों और रक्त के पररवहन के दौरान
वाथतववक समय के पररवेि के तापमान को दजव करता है। दजव ककए गए आस तापमान से यह जानने में सहायता वमलती है कक
क्या ववश्व में कहीं से भी भेजी गइ कोइ वविेष वथतु ऄभी भी ईपयोग के योग्य है या तापमान वभन्नता के कारण नष्ट हो गयी है।
यह जानकारी वविेष रूप से टीकों के वलए महत्वपूणव है वजसमें कोववड -19 टीका, ऄंग और रक्त का पररवहन िावमल है।
USB ईपकरण के अकार का, ऐवम्बटैग एक बार चाजव होने पर पूरे 90 कदन के वलए ककसी भी टाआम जोन में -40 वडग्री से +80
वडग्री तक के वातावरण में वनरंतर तापमान दजव करता है। ऄंतरावष्ट्रीय बाजार में ईपलदध आस प्रकार के ऄवधकांि ईपकरण के वल
30 से 60 कदनों की ऄववध के वलए डेटा दजव करते हैं।
आस ईपकरण को प्रौद्योवगकी नवाचार हब – AWaDH (कृ वष एवं जल तकनीकी ववकास हब) और ईसके थटाटवऄप थक्रैचनेथट
(ScratchNest) के तहत ववकवसत ककया गया है। AWaDH भारत सरकार की एक पररयोजना है। सवदजयों, मांस और डेयरी
ईत्पादों सवहत खराब होने वाले ईत्पादों के ऄवतररक्त यह पारगमन के दौरान जानवरों के सीमेन के तापमान की भी वनगरानी
कर सकता है। ऐवम्बटैग कोल्ड चेन प्रबंधन के वलए भारत का पहला थवदेिी तापमान दजव करने वाला ईपकरण है।
आसवलए ववकल्प (c) सही ईत्तर है।
Q 68.D
इसा की बारहवीं िताददी अते-अते, भारत में बौद्ध धमव व्यावहाररक रूप से ववलुप्त हो गया था। यद्यवप यह बारहवीं िताददी
तक बंगाल और वबहार में पररवर्थतत रूप में ववद्यमान रहा, लेककन ईसके पिात, यह धमव पूरे देि से लगभग पूणवतः ववलुप्त हो
गया। ऐसा क्यों हुअ? हम देखते हैं कक अरंभ में प्रत्येक धमव सुधार की भावना से प्रेररत होता है, परंतु कालक्रमेण वह ईन्हीं
कमवकांडों और ऄनुष्ठानों के जाल में फं स जाता है वजनकी वह अरंभ में सनदा करता था। बौद्ध धमव भी आसी तरह के कायांतरण से
गुजरा। यह भी ब्राह्मण-धमव की ईन बुराआयों का विकार बन गया वजनके ववरुद्ध आसने प्रारंभ में लड़ाइ लड़ी थी। आसवलए कथन
1 सही है।
बौद्ध धमव की चुनौती का सामना करने के वलए ब्राह्मणों ने ऄपने धमव में सुधार ककया। ईन्होंने गोधन को संरवित करने की
अवश्यकता पर बल कदया तथा मवहलाओं और िूद्रों के वलए भी धमव में प्रवेि का मागव प्रिथत ककया। दूसरी ओर, बौद्ध धमव में
ववकृ वतयां अती गईं। धीरे-धीरे बौद्ध वभिु, जन जीवन की मुख्यधारा से कटते गए; ईन्होंने जनसामान्य की भाषा पाली को
त्याग कदया और बुवद्धजीववयों की भाषा संथकृ त को ग्रहण कर वलया। आसवलए कथन 2 सही है।
इसा की प्रथम िताददी से , वे बड़े पैमाने पर मूर्थत पूजा करने लगे थे और ईपासकों से ऄत्यवधक मात्रा में चढ़ावा लेने लगे थे।
बौद्ध ववहारों को ईदार िाही ऄनुदानों के रूप में भारी-भारी संपवत्त के दान वमलने लगी। आन सभी से बौद्ध वभिुओं का जीवन
सुख का जीवन बन गया। नालंदा जैसे कु छ ववहार तो लगभग 200 गांवों से राजथव एकत्र ककया करते थे। सातवीं िताददी के
अते-अते, बौद्ध ववहार ववलासी लोगों के प्रभुत्व में अ गए और ईन कु कमों का कें द्र बन गए, वजनका गौतम बुद्ध ने कठोरता से
वनषेध ककया था। बौद्ध धमव का यह नया रूप वज्रयान नाम से प्रवसद्ध हुअ। ववहारों में ऄपार संपवत और वस्त्रयों के प्रवेि होने से
आसका और ऄवधक पतन हुअ। आसवलए कथन 3 सही है।
Q 69.A
पुरातत्त्वववदों को हजारों की संख्या में मुहरें (मुद्राएं) प्राप्त हुइ हैं, जो अमतौर पर सेलखड़ी (Steatite) और कभी-कभी गोमेद,
चमकदार पत्थर, तांबा, कांथय और टेराकोटा से वनर्थमत की गईं थीं। ईन पर एक सींग वाले सांड, गैंडा, बाघ, हाथी, बाआसन,
बकरी, भैंस, अकद पिुओं की सुंदर अकृ वतयां बनी हुइ थीं। कु छ मुहरें हाथीदांत की भी पाइ गइ हैं। आसवलए कथन 1 और 2
सही हैं।
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आन अकृ वतयों में प्रदर्थित वववभन्न थवाभाववक मनोभावों की ऄवभव्यवक्त वविेष रूप से ईल्लेखनीय है। मुहरों (मुद्राओं) को
तैयार करने का ईद्देश्य मुख्यतः वावणवज्यक था।
ऐसा प्रतीत होता है कक आन मुहरों का ईपयोग बाजूबंद (ताबीज) के रूप में भी ककया जाता था, वजनसे ईन व्यवक्तयों की
पहचान की जा सकती थी, जैसे कक अधुवनक समय में लोग पहचान पत्र धारण करते हैं।
हड़प्पा की मानक मुहर (मुद्रा) 2×2 आंच की वगावकार परटया होती थी, जो अमतौर पर सेलखड़ी से वनर्थमत की जाती थीं।
प्रत्येक मुहर (मुद्रा) एक वचत्रात्मक वलवप में ईके री गइ होती थी वजसे ऄभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। आसवलए कथन 3 सही
है।
Q 70.B
संथथागत दृवष्ट से, सूफ़ी थवयं को एक संगरठत सामुदाय-ख़ानक़ाह (फारसी) के आदव-वगदव थथावपत करते थे। ख़ानक़ाह का वनयंत्रण
िेख़ (ऄरबी), पीर ऄथवा मुिीद (फारसी) के हाथ में होता था। आसवलए युग्म 3 सही सुमवे लत है।
वे ऄनुयावययों (मुरीदों) की भती करते थे और ऄपने वाररस (खलीफा) की वनयुवक्त करते थे। ऄध्यावत्मक व्यवहार के वनयम
वनधावररत करने के ऄवतररक्त वे ख़ानक़ाह में रहने वालों के बीच के संबंध और िेख तथा जनसामान्य के बीच के ररश्तों की सीमा
भी वनयत करते थे। आसवलए युग्म 2 सही सुमवे लत है।
जब िेख (पीर) की मृत्यु हो जाती थी, तो ईसकी दरगाह (फारसी िदद वजसका ऄथव दरबार होता है) ईसके ऄनुयावययों के वलए
भवक्त का थथल बन जाती थी। आस तरह पीर की दरगाह पर वज़यारत के वलए जाने की, वविेष रूप से ईनकी बरसी के ऄवसर
पर पररपाटी चल वनकली। आस पररपाटी को ईसव (वववाह, मायने पीर की अत्मा का इश्वर के साथ वमलन) कहा जाता था।
आसवलए युग्म 1 सही सुमवे लत है।
Q 71.B
चूंकक आस काल में युद्धकला, प्रभाविाली ऄश्वसेना पर अधाररत होती थी, आसीवलए प्रवतथपधी राज्यों के वलए ऄरब और मध्य
एविया से घोड़ों का अयात ऄत्यंत महत्वपूणव था। यह व्यापार अरंवभक चरणों में ऄरब व्यापाररयों द्वारा वनयंवत्रत था।
व्यापाररयों के थथानीय समूह वजन्हें कु कदरइ चेट्टी ऄथवा घोड़े के व्यापारी कहा जाता था, भी आन वववनमयों में भाग लेते थे ।
आसवलए युग्म 1 सही सुमवे लत है।
ऄमर-नायक, सैवनक कमांडर थे। वजन्हें राय द्वारा प्रिासन के वलए राज्य-िेत्र कदए जाते थे। वे ककसानों, विल्पकर्थमयों तथा
व्यापाररयों से भू-राजथव तथा ऄन्य कर वसूल करते थे। वे राजथव का कु छ भाग व्यवक्तगत ईपयोग तथा घोड़ों और हावथयों के
वनधावररत दल के रख-रखाव के वलए ऄपने पास रख लेते थे। ये दल ववजयनगर िासकों को एक प्रभावी सैवनक िवक्त प्रदान करने
में सहायक होते थे वजसकी सहायता से ईन्होंने पूरे दविणी प्रायद्वीप को ऄपने वनयंत्रण में कर वलया था। आसवलए युग्म 2 सही
सुमवे लत है।
ववजयनगर के िासक थवयं को 'राय' कहते थे। आसवलए युग्म 3 सही सुमवे लत है।
Q 72.A
कोर्थनि, औपचाररक ऄवभवादन का एक ऐसा तरीका था, वजसमें दरबारी ऄपने दाएं हाथ की हथेली को ललाट पर रखकर अगे
की ओर वसर झुकाते थे। यह आस बात का प्रतीक था कक कोर्थनि करने वाला व्यवक्त ऄपने आंकद्रय और मन के थथल को हाथ लगाते
हुए झुककर ववनम्रता के साथ िाही दरबार में थवयं को प्रथतुत कर रहा है।
मुगल सम्राट द्वारा कदए जाने वाले ऄन्य पुरथकारों में सम्मान सूचक जामा (वखल्लत) भी िावमल था, वजसे सम्राट द्वारा कभी न
कभी पहना गया होता था। ऄतः यह ईनके अिीवावद से युक्त माना जाता था। एक ऄन्य ईपहार, सरप्पा होता था (‘सर से पााँव
तक’), वजसमें जामा, पगड़ी और कमरबंद (पटका) िावमल था। वविेष ऄवसरों पर कमल की मंजररयों वाला रत्नजवड़त गहनों
का सेट (पद्म मुरथसा) भी ईपहार के रूप में प्रदान ककया जाता था।
वाथतुकारों, वजन्हें वममार कहा जाता था, के भवन वनमावण की योजना को कभी-कभी थवयं सम्राट द्वारा देखा जाता था।
आसवलए ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
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Q 73.B
1951 में थथावपत, आंटरनेिनल ऑगेनाआजेिन फॉर माआग्रेिन (IOM); प्रवासन के िेत्र में ऄग्रणी ऄंतर-सरकारी संगठन है। यह
आस वसद्धांत के वलए प्रवतबद्ध है कक मानवीय एवं व्यववथथत प्रवासन से प्रवावसयों और समाज को लाभ प्राप्त होता है। IOM, एक
संबंवधत संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली (UN) का भाग है। यह संगठन सभी के वलए मानवावधकारों की पररपुवष्ट को
सवम्मवलत करते हुए संयुक्त राष्ट्र के चाटवर में वनवहत वसद्धांतों द्वारा वनदेवित होता है, वजसमें प्रवावसयों के ऄवधकारों, गररमा
और कल्याण का सम्मान सवोपरर है।
IOM के प्रमुख प्रकािन "वल्डव माआग्रेिन ररपोटव (ववश्व प्रवासन ररपोटव)" ने एक गत्यात्मक नवीन वेबपेज का िुभारंभ ककया है।
यह कु छ नवीनतम वैवश्वक प्रवासन अंकड़ों और सूचनाओं को परथपर प्रभाववत करने वाले डेटा ववज़़ुऄलाआज़ेिन के साथ
प्रवासन पर तथ्य-अधाररत अख्यानों से जोड़ेगा। दो दिक पूवव वल्डव माआग्रेिन ररपोटव (WMR) िृख
ं ला प्रारंभ होने के ईपरांत
आस प्रकार का यह प्रथम माआक्रोसाआट (Microsite) है। आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है |
Q 74.D
गवणत के िेत्र में भारतीयों का ववविष्ट योगदान रहा है :
o सांकेवतक/ऄंक प्रणाली (Notational/Numeral System): ऄरबों द्वारा भारतीय सांकेवतक/ऄंकन प्रणाली (Notational
System) को ऄंगीकृ त ककया गया, आसे आन्होंने पविमी ववश्व में फै लाया। भारतीय ऄंकों को ऄंग्रेजी में ऄरबी (Arabic)
कहा जाता था, परन्तु ऄरब थवयं ईन्हें सहदसा (Hindsa) कहते थे। हम यह वसद्ध नहीं कर सकते हैं कक ऄंक प्रणाली
(Numeral System) का सववप्रथम प्रयोग भारतीयों द्वारा ककया गया था |
o दिमलव प्रणाली (Decimal System): दिमलव प्रणाली का सववप्रथम प्रयोग करने वाले भारतीय ही थे। दिमलव
प्रणाली के ईपयोग का सबसे पहला पुरालेख साक्ष्य 5 वीं िताददी इथवी के प्रारंभ से संबंवधत है। अयवभट्ट आससे पररवचत थे।
o ऄपनी धुरी पर पृथ्वी के घूणवन की खोज; ग्रहण के कारणों की खोज; पाइ (π) के मान के वलए सवन्नकटन आत्याकद का श्रेय
गुप्त काल के महान गवणतज्ञ और खगोलिास्त्री अयवभट्ट को कदया जाता है |
आसवलए ववकल्प (D) सही ईत्तर है।
Q 75.D
तीनों िदद मुगल साम्राज्य की भू-राजथव व्यवथथा से संबवं धत हैं।
1580 में, ऄकबर ने दहसाला (Dahsala) नामक एक नइ भू-राजथव प्रणाली अरंभ की थी। आस प्रणाली के ऄंतगवत, वववभन्न
फसलों की औसत ईपज के साथ-साथ वपछले दस (दह) वषों में प्रचवलत औसत कीमतों की गणना िावमल थी। ईपयुवक्त गणना से
प्राप्त औसत का एक-वतहाइ वहथसा राज्य के वलए वनधावररत ककया गया था।
ऄकबर द्वारा प्राचीन बंटाइ या गल्ला-बख्िी प्रणाली का भी ऄनुसरण ककया गया। आस प्रणाली में, ईपज को ककसानों और राज्य
के बीच एक वनवित ऄनुपात में ववभावजत ककया जाता था। आसमें फसल का बंटवारा भूसी ऄलग करने के पिात् ऄथवा काटकर
ईसके गट्ठर बनाये जाने के बाद या फसल के खेत में खड़ी रहते ही हो जाता था।
ऄकबर के िासनकाल में प्रयोग की जाने वाली तीसरी प्रणाली नसक/नथक (Nasaq) थी। आसके ऄंतगवत ककसान द्वारा देय रावि
की गणना पूवव में ईसके द्वारा दी गइ रावि के अधार पर की जाती थी।
ऄलाईद्दीन वखलजी द्वारा दाग प्रणाली का प्रयोग घोड़ों को िाही वचननों द्वारा दागने के वलए ककया जाता था।
Q 76.B
भारतीय मौयव वंि के तृतीय िासक सम्राट ऄिोक को भारतीय आवतहास में सबसे ऄनुकरणीय िासकों में से एक माना जाता है।
वषव 1837 में, जेम्स सप्रसेप ने ऄिोक के िासन से संबंवधत कदल्ली में एक बड़े विला थतंभ पर एक प्राचीन ऄवभलेख को समझने
में सफलता प्राप्त की थी। आस तरह के ऄवभलेखों वाले ऄनेक ऄन्य थतंभ और विलालेख (वृहत एवं लघु) संपूणव भारत, नेपाल,
पाककथतान और ऄफगावनथतान में तीस से ऄवधक थथानों पर ववथतृत पाए गए थे।
ऄिोक की नीवत एवं ईसके धम्म के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले लगभग 14 प्रमुख/ वृहत विलालेख हैं। ये 14 प्रमुख
विलालेख कं दहार (कं धार), मानसेहरा, िाहबाजगढ़ी, कलसी, वगरनार, सोपारा, सन्नवत, जौगड़, वििुपालगढ़ अकद प्राचीन
थथलों पर पाए गए हैं।
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मेरठ थतंभ (यह विलालेख नहीं है) ऄब कदल्ली में वथथत है। आसे कफरोज िाह द्वारा मेरठ से कदल्ली थथानांतररत कर कदया गया
था और कदल्ली के ईत्तरी कटक (Ridge) में एक थथान पर थथावपत ककया गया था।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
Q 77.B
पविमी गंग वंि:
o गंग वंि लगभग 340 इथवी में ऄवथतत्व में अया और कनावटक के दविणी भाग पर आनका िासन लगभग 1025 इथवी तक
था। गंग, पल्लवों के समकालीन एक और महत्वपूणव राजवंि था।
o आन्होंने चौथी िताददी के असपास दविणी कनावटक में ऄपना िासन थथावपत ककया। आनका राज्य पूवव में पल्लवों और
पविम में कदंबों के मध्य वथथत था। पांचवीं िताददी से ही कसलग में िासन करने वाले पूवी गंग से आनका सीमांकन करने
के वलए आन्हें पविमी गंग या मैसरू के गंग कहा जाता है। ऄवधकांि समय पविमी गंग, पल्लवों के सामंत रहे। आसवलए
कथन 2 सही है।
o आनकी अरंवभक राजधानी कोलार में वथथत थी। ऐसा माना जाता है कक कोलार में वथथत सोने की खदानों ने आस राजवंि के
ईदय में सहायता की होगी।
o पविमी गंग राजवंि ने मुख्यतः जैन धमव के ऄनुयावययों को भूवम ऄनुदान में दी; कदंबों ने भी जैनों को ऄनुदान कदया, ककतु
ईन्होंने ब्राह्मणों का ऄवधक समथवन ककया। पल्लवों ने भी बड़े पैमाने पर ब्राह्मणों को ऄनेक कर मुक्त ग्राम प्रदान ककए।
आसवलए कथन 3 सही है।
o नोट:
सातवाहन: मौयव साम्राज्य के पतन के पिात्, अंध्र (सातवाहन) वंि का आवतहास राजनीवतक और सांथकृ वतक घटनाओं
के सतत क्रम के रूप में , एक िवक्त के तौर पर सातवाहनों के ईदय के साथ अरंभ होता है। मत्थय पुराण के ऄनुसार,
आस वंि में 29 िासक थे। आन्होंने दूसरी िताददी इसा पूवव से लेकर वद्वतीय िताददी इथवी से अगे, लगभग 400 वषों
तक दक्कन सवहत अंध्र देि पर िासन ककया। सातवाहनों को िावलवाहन (Salivahanas) एवं सातकर्थण
(Satakarnis) भी कहा जाता था। तीसरी िताददी इसा पूवव में सातवाहन वंि के संथथापक वसमुक (श्रीमुख) ने
वववभन्न अंध्र ररयासतों को एक राज्य में एकीकृ त ककया और आसका िासक (271 इसा पूवव - 248 इसा पूव)व बन गया।
गुंटूर वजले में ऄमरावती के पास वथथत धरणीकोटा वसमुक की प्रथम राजधानी थी, ककन्तु बाद में ईसने ऄपनी
राजधानी को प्रवतष्ठान [Pratishtana (औरंगाबाद वजले में पैठण)] में थथानांतररत कर कदया। आस प्रकार सातवाहन
पविमी गंग वंि के समकालीन नहीं थे। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
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Q 78.D
मौयोत्तर काल में िासक ऄपने राजकोष को भरने के वलए प्राय: ईच्च करों की मांग करते थे वजससे ककसान वविेष रूप से त्रथत
रहते थे।
जातक कथा से पता चलता है कक संकट से बचने का एक ईपाय जंगल की ओर भाग जाना होता था। आसी बीच, करों की बढ़ती
मांग को पूरा करने के वलए ककसानों ने ईपज या ईत्पादन बढ़ाने के और ईपाय ढू ाँढने िुरू कर कदए।
ईपज या ईत्पादन बढ़ाने का एक तरीका हल का प्रचलन था। जो छठी िताददी इसा पूवव से ही गंगा और कावेरी की घारटयों के
ईववर कछारी िेत्र में फ़ै ल गया था। आसवलए कथन 1 सही है।
यद्यवप लोहे के फ़ाल वाले हल की वजह से फसलों की ईपज बढ़ने लगी लेककन ऐसे हलों का ईपयोग ईपमहाद्वीप के कु छ ही
भागों में सीवमत था। पंजाब और राजथथान जैसी ऄधव-िुष्क भूवम वाले िेत्रों में लोहे के फ़ाल वाले हल का प्रयोग बीसवीं
िताददी में िुरू हुअ।
आसके ऄलावा, गंगा की घाटी के कु छ भागों में धान की रोपाइ की वजह से ईपज में भारी वृवद्ध होने लगी। आसवलए कथन 2 सही
है।
ईपज बढ़ाने का एक और तरीका कु ओं तथा तालाबों एवं कहीं-कहीं नहरों के माध्यम से ससचाइ करना था। आसवलए कथन 3
सही है।
Q 79.B
गुरु नानक (1469-1539) का जन्म एक सहदू व्यापारी पररवार में हुअ था। ईनका जन्म थथान मुवथलम बहुल पंजाब का
ननकाना गााँव था जो रावी नदी के पास वथथत था।
गुरु नानक का संदि
े ईनके भजनों और ईपदेिो में वनवहत है। आनसे पता चलता है कक वे वनगुण
व भवक्त के समथवक थे। बाबा गुरु
नानक के वलए परम पूणव ऄथावत,् “रब” का कोइ सलग(जेंडर) या अकार नहीं था। ईन्होंने आस रब की ईपासना के वलए एक सरल
ईपाय बताया और वह था ईनका वनरंतर थमरण व नाम का जाप। ईन्होंने ऄपने ववचार पंजाबी भाषा में “िबद” के माध्यम से
सामने रखे। आसवलए कथन 1 सही है।
धमव के सभी बाहरी अडम्बरों को ईन्होंने ऄथवीकार ककया जैसे कक यज्ञ, अनुष्ठावनक स्नान, मूर्थत पूजा व कठोर तप। ईन्होंने वहन्दू
और मुसलमानों के धमवग्रथ
ं ों को भी नकारा। आसवलए कथन 2 सही है।
गुरु नानक बहलोल लोदी, वसकं दर लोदी, आब्रावहम लोदी, बाबर और हुमायूाँ जैसे िासकों के समकालीन थे, आनमें से प्रथम तीन
सल्तनत िासक थे और बाद वाले दो मुगल सम्राट थे। आसवलए कथन 3 सही है।
Q 80 B.
गुप्त साम्राज्य तीसरी िताददी इथवी के मध्य से लेकर 543 इथवी के ऄंत तक ऄवथतत्व में रहा।
आस साम्राज्य के सत्तारूढ़ वंि की नींव राजा श्रीगुप्त ने रखी थी। आस राजवंि के सवाववधक महत्वपूणव िासक चंद्रगुप्त प्रथम,
समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त वद्वतीय ईफव ववक्रमाकदत्य थे।
आस काल को आवतहासकारों के द्वारा ववज्ञान, खगोल ववज्ञान, थथापत्य कला, सावहत्य अकद के ववकास के वलए भारत का थवणव
युग माना जाता है।
गुप्त काल का सावहत्य:
o गुप्तकालीन सावहत्य की रचना गद्य, कववता, नाटक और व्याकरण के रूप में की गइ थी।
o कावलदास ने मेघदूत, रघुवंि, कु मारसम्भव, ऄवभज्ञान-िाकु न्तलम्, ववक्रमोवविीयम् मालववकावग्नवमत्रम्, ऊतुसंहार जैसी
ईत्कृ ष्ट कृ वतयों की रचना की।
मेघदूत का ऄथव 'बादलों का सन्देि वाहक’ है। यह काव्य भगवान धनराज कु बेर के सेवक यि के आदव -वगदव वलखा गया
है। आसवलए युग्म 1 सही सुमवे लत नहीं है।
ऄवभज्ञान-िाकु न्तलम् एक संथकृ त नाटक है। यह हवथतनापुर के राजा दुष्यंत और िकु न्तला की प्रेम कहानी पर
अधाररत है। िकु न्तला, ऊवष ववश्वावमत्र एवं ऄप्सरा मेनका की पुत्री थी। आसवलए युग्म 2 सही सुमवे लत है।
o मृच्छकरटकम् के रचनाकार िूद्रक हैं। यह नाटक एक ब्राह्मण और एक गवणका की सुंदर पुत्री की प्रेम कहानी है।
o वविाखदत्त ने दो नाटक ऄथावत् , मुद्रारािस (ये चंद्रगुप्त मौयव के ससहासन प्राप्त करने की कथा पर अधाररत है) और
देवीचंद्रगुप्तम की रचना की ।
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o दण्डी ने 'काव्यादिव' (कववता का अदिव) और दिकु मारचररत (द टेल ऑफ़ द टेन सप्रसेस) की रचना की थी।
o भवभूवत ने ईत्तररामचररत और मालती माधव की रचना की।
o पंचतंत्र की रचना ववष्णु िमाव ने की थी। आसका फारसी, ऄरबी और कइ यूरोपीय भाषाओं में ऄनुवाद ककया गया है।
लोकवप्रय कृ वत वहतोपदेि, पंचतंत्र पर अधाररत है।
o बाणभट्ट द्वारा वलवखत हषवचररत, हषव की जीवनी है।
o भारवव को ईनकी रचना ककराताजुवनीयम् के वलए जाना जाता है। आसकी रचना 550 इथवी में की गइ थी। आस रचना में
ककरात विव हैं, जो पहाड़ पर वनवास करने वाले विकारी के रूप में ऄजुवन से वातावलाप करते हैं।
o ऄमरससह द्वारा ऄमरकोि का संकलन आस काल की ऄववथमरणीय कृ वत है। वह ववक्रमाकदत्य के दरबार में नवरत्नों ("नौ
रत्न") में से एक थे। ऄमरकोि तीन पुथतकों में संथकृ त मूल की एक िददावली है और आसवलए प्रायः आसे वत्रकांड
(Trikanda) या "वत्रपिीय (Tripartite)" कहा जाता है। आसे "नामवलङ्गानुिासनं" के नाम से भी जाना जाता है। आसवलए
युग्म 3 सही सुमवे लत है।
o वररुवच द्वारा वलवखत 'प्राकृ त-प्रकाि' और चंदा द्वारा वलवखत 'प्राकृ त-लिण' प्राकृ त एवं पाली भाषा में वलवखत प्रवसद्ध
व्याकरण की कृ वतयााँ हैं।
Q 81.B
पुरुनारुरू पद तवमल संगम सावहत्य की एक पद्यावली को संदर्थभत करता है।
o पुरुनारुरू में वववभन्न छोटी-बड़ी 400 कववताएाँ िावमल हैं। आसे 150 से ऄवधक कववयों द्वारा संकवलत ककया गया था।
o पुरुनारुरू प्रागैवतहावसक तवमलनाडु के राजनीवतक और सामावजक आवतहास पर जानकारी का एक महत्वपूणव स्रोत है
क्योंकक यह मुख्य रूप से पररवार के बाहर के जीवन; ऄथावत्- राजाओं, युद्धों, श्रेष्ठता, ईदारता, नीवतिास्त्र एवं दिवन से
संबंवधत है।
o आसे पारंपररक रूप से संगम सावहत्य के अठ संकलनों में से ऄंवतम (एट्टूतोकोइ) कहा जाता है।
o पुरुनारुरू की कववताओं में िददों, वाक्यांिों एवं रूपकों का प्रयोग ककया गया है वजससे यह ज्ञात होता है कक प्राचीन तवमल
समाज, भारतीय ईपमहाद्वीप के ऄन्य भागों के साथ परथपर ऄंतर्क्रक्रया करते थे।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
Q 82.A
मध्य ऄमेररका के एक छोटे से देि ऄल सल्वाडोर (El Salvador) ने हाल ही में एक नया कानून पाररत ककया है। आस कानून के
माध्यम से यह वबटकॉआन को वैध वनववदा के रूप में ऄपनाने वाला पहला देि बन गया है। ववश्लेषकों ने आस कदम को देि की
ऄथवव्यवथथा के वलए जोवख़म भरा बताया है क्योंकक आससे ऄल सल्वाडोर की ऄथवव्यवथथा वडवजटल मुद्रा के तीव्र ईतार-चढ़ाव
के ऄधीन हो जाएगी। आसवलए कथन 2 सही नहीं है।
वबटकॉआन, जो बाज़ार मूल्य के अधार पर ववश्व की सबसे बड़ी कक्रप्टोकरेंसी है , को वैधता प्राप्त होने से आसका ईपयोग वथतुएं
खरीदने और कर तथा बैंक ऊणों के भुगतान हेतु ककया जाएगा। व्यवसायों को बाज़ार द्वारा वनधावररत वबटकॉआन-डॉलर
वववनमय दर के साथ भुगतान हेतु वबटकॉआन को थवीकार करना अवश्यक होगा। आसवलए कथन 1 सही है।
वबटकॉआन (₿) ककसी कें द्रीय बैंक या एकल प्रिासक रवहत एक ववके न्द्रीकृ त वडवजटल मुद्रा है। आसे ककसी वबचौवलये या मध्यवती
संथथा के वबना पीयर-टू-पीयर वबटकॉआन नेटवकव पर एक ईपयोगकताव से ऄन्य ईपयोगकताव को भेजा जा सकता है। आसमें लेनदेन
को कक्रप्टोग्राफी (जानकारी को गुप्त रखना) के माध्यम से नेटवकव नोड्स द्वारा सत्यावपत ककया जाता है और एक साववजवनक
ववतररत बही खाते (Public Distributed Ledger) में दज़व ककया जाता है वजसे दलॉकचेन (Blockchain) कहा जाता है।
Q 83.C
तराआन का युद्ध (1191-1192)
o ईत्तर भारत के सहदू राजकु मारों ने पृथ्वीराज चौहान के नेतत्ृ व में एक संघ का गठन ककया, वजसने 1191 इ. में कदल्ली के
वनकट तराआन के युद्ध में मुहम्मद गोरी को परावजत ककया।
o तराआन का वद्वतीय युद्ध एक वनणावयक युद्ध था। 1192 इ. में तराआन के वद्वतीय युद्ध में मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज की सेना
को पूरी तरह से परावजत कर कदया था।
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o आस प्रकार, भारत में पहला मुवथलम साम्राज्य ऄजमेर में सुदढ़ृ ता से थथावपत हुअ और भारत के आवतहास में एक नए युग की
िुरुअत हुइ। तराआन में पृथ्वीराज पर ऄपनी िानदार जीत के बाद, मुहम्मद गोरी गजनी वापस लौट गया। ईसने भारत
पर ववजय प्राप्त करने के ऄपने ऄवभयान को जारी रखने के वलए ऄपने ववश्वसनीय सेनापवत कु तुबुद्दीन ऐबक को भारत में
ही रहने कदया।
o तराआन और चंदावर के युद्ध ने भारत में तुकी िासन की थथापना में योगदान कदया।
o आसवलए कथन 1 और 2 सही हैं।
Q 84.D
मुगल राजनीवत के बाद के चरण ऄथावत 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद िवक्तिाली सामंतों का ईदय हुअ वजन्होंने ‘राजा
बनाने वालों’ (ककग मेकर) की भूवमका वनभाइ। ईत्तरावधकार के युद्ध मुगल साम्राज्य के दौरान भी लड़े गए थे, लेककन तब िाही
राजकु मार िवक्तिाली मनसबदारों द्वारा समर्थथत प्रमुख प्रवतयोगी हुअ करते थे।
औरंगजेब की मृत्यु के बाद सैय्यद बन्धु, ऄददुल्ला खान और हुसैन खान मुगल दरबार में ऄत्यवधक प्रभाविाली हो गए। 1707 में
बादिाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद फै ली ऄराजकता के दौरान सैय्यद बन्धु राजा बनाने वाले या ककग मेकर बन गए। 1710 के
दिक के दौरान वे ऄपनी आच्छा से मुगल बादिाहों को सत्ता सौंपते और पदच्युत करते थे। आसवलए ववकल्प 1 और 2 सही हैं।
औरंगजेब के पुत्र बहादुर िाह प्रथम ने सैय्यद बन्धुओं और मुगल दरबार के एक ऄन्य प्रभाविाली प्रिासक वचन ककलच खान
(वनजाम-ईल-मुल्क) की सहायता से ससहासन पर कदजा करने के वलए ऄपने भाआयों को परावजत ककया।
वषव 1712 में बहादुर िाह प्रथम की मृत्यु हो गइ तथा ईसके ईत्तरावधकारी जहांदार िाह की सैय्यद बंधओं
ु के अदेि पर हत्या
कर दी गइ।
वषव 1713 में जहांदार िाह का भतीजा फरुव खवसयर (1713-1719) सैय्यद बंधओं
ु की सहायता से बादिाह बना। ईसका
िासनकाल सैय्यद बंधुओं के प्रभुत्व में वृवद्ध के वलए प्रख्यात है। आस दौरान आन्होंने राज्य की सत्ता पर एकावधकार थथावपत कर
वलया तथा बादिाह को नाममात्र का िासक बना कदया। सैय्यद बंधुओं ने वनजाम-ईल-मुल्क के प्रभाव को कम करने के वलए ईसे
मुगल दरबार से दूर दक्कन भेजने की सावजि रची। वषव 1719 में, सैय्यद बंधुओं ने फरुव खवसयर को ऄंधा कर, पदच्युत कर कदया
और ईसकी हत्या कर दी।
मुवथलमों के मध्य अधुवनक वििा तथा सामावजक सुधार के प्रसार के वलए सबसे महत्वपूणव अंदोलन सर सैयद ऄहमद खान
(1817-1898) द्वारा प्रारं भ ककया गया था। वह एक न्यावयक ऄवधकारी के रूप में इथट आंवडया कं पनी की सेवाओं में िावमल हुए
और 1857 के ववद्रोह के दौरान ईनके प्रवत वफादार रहे। जबकक वब्ररटि िासक मुसलमानों को ऄपना 'वाथतववक ित्रु और सबसे
खतरनाक प्रवतद्वंद्वी' मानते थे तथा ईनके ववरुद्ध भेदभाव की नीवत ऄपनाते थे। वषव 1864 में, सर सैयद ऄहमद खान ने
ट्रांसलेिन सोसाआटी की थथापना की वजसे बाद में 'द साआंरटकफक सोसाआटी' नाम कदया गया। यह सोसायटी ऄलीगढ़ में वथथत
थी। यह ववज्ञान एवं ऄन्य ववषयों पर ऄंग्रेजी पुथतकों के ईदूव ऄनुवाद तथा सामावजक सुधारों पर ईदार ववचारों के प्रसार हेतु
एक ऄंग्रेजी-ईदूव पवत्रका प्रकावित करती थी। ईन्होंने मुवथलम समुदाय को वपछड़ा बनाने वाले कइ सामावजक पूवावग्रहों को दूर
करने की वकालत की।
ईनकी सबसे बड़ी ईपलवदध वषव 1875 में ऄलीगढ़ में मोहम्मडन एंग्लो ओररएंटल कॉलेज (वजसे ऄलीगढ़ मुवथलम ववश्वववद्यालय
नाम से भी जाना जाता है) की थथापना थी। समय के साथ, यह कॉलेज भारतीय मुसलमानों का सबसे महत्वपूणव िैिवणक
संथथान बन गया। यहााँ पूणव रूप से ऄंग्रेजी माध्यम में मानववकी और ववज्ञान में वििा प्रदान की जाती थी तथा आसके कइ
कमवचारी आंग्लैंड से अए थे। आस कॉलेज को पूरे भारत के ऄग्रणी मुसलमानों का समथवन प्राप्त हुअ और ऄंग्रेजों ने आसके ववकास में
अवधकाररक तौर पर तथा ऄन्यथा दोनों प्रकार से ऄत्यवधक रुवच कदखाइ। आसवलए ववकल्प 3 सही नहीं है।
Q 85.A
आब्न बतूता का जन्म तैंवजयर के सबसे सम्मावनत तथा विवित पररवारों में से एक, जो आथलामी कानून ऄथवा िररया पर ऄपनी
वविेषज्ञता के वलए प्रवसद्ध था, में हुअ था। ऄपने पररवार की परंपरा के ऄनुसार, आब्न बतूता ने बहुत कम ईम्र में सावहवत्यक और
िास्त्ररूढ़ वििा प्राप्त की।
आब्न बतूता की यात्राओं का वणवन करने वाली पुथतक (यात्रा वृत्तांत) वजसे ‘ररनला’ कहा जाता है, ऄरबी भाषा में वलखी गइ है।
यह पुथतक चौदहवीं िताददी में भारतीय ईपमहाद्वीप के सामावजक एवं सांथकृ वतक जीवन के ववषय में बहुत ही प्रचुर और
रोचक जानकाररयां प्रदान करती है।
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वषव 1333 में आब्न बतूता, मध्य एविया से होते हुए थथल मागव से यात्रा करते हुए ससध पहुंचा। ईसने कदल्ली के सुल्तान मुहम्मद
वबन तुग़लक के बारे में सुना था और कला एवं सावहत्य के ईदार संरिक के रूप में ईसकी ख्यावत से अकर्थषत हो कर आब्न बतूता
ने मुल्तान और ईच्छ के राथते होते हुए कदल्ली की ओर प्रथथान ककया। सुल्तान ईसकी ववद्वता से प्रभाववत हुअ और ईसे कदल्ली
का क़ाज़ी ऄथवा न्यायाधीि वनयुक्त ककया।
आब्न बतूता ने व्यापक रूप से चीन में यात्रा की और वह बीसजग तक गया, परन्तु वहां लंबे समय तक नहीं ठहरा। 1347 में ईसने
घर लौटने का वनिय ककया। ईसके वृत्तांत की तुलना प्रायः माको पोलो से की जाती है, वजसने चीन (और भारत) का दौरा ककया
था। आसवलए ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
Q 86.D
संगीत, नृत्य और नाटक जैसी वनष्पादन कलाओं और ऄनुष्ठानों का एक महत्वपूणव घटक होता है। प्रत्येक समुदाय की संगीत की
ऄपनी िैली और गीतों की परंपरा होती है।
संगीत रचना के मौवलक रूप से दो तरीके हैं: मानवीय अवाज़ के द्वारा और वाद्य यंत्र के द्वारा।
संगीत वाद्य यंत्रों को ईनके द्वारा ध्ववन ईत्पन्न करने हेतु ईपयोग ककए जाने वाले वैज्ञावनक वसद्धांत के अधार पर वगीकृ त ककया
जाता है।
तालवाद्य या ऄवनद्ध वाद्य वे होते हैं वजनमें ध्ववन ईत्पन्न करने के वलए अघात ककया जाता है। प्रायः आनका ईपयोग ताल या
बीट ईत्पन्न करने के वलए ककया जाता है, ये सभी प्रकार के संगीत सुर ईत्पन्न नहीं करते हैं। कु छ प्रवसद्ध तालवाद्य यंत्र
वनम्नानुसार हैं:
o वचक्का पंजाब का एक ऄवद्वतीय वाद्य यंत्र है। यह देि के ऄनेक भागों में वमलने वाले छड़नुमा सांप (cane snake) के
समान होता है। वचक्का लकड़ी की 14 छवड़यों से वनर्थमत होता है जो एक जाली के रूप में एक साथ जुड़ी होती हैं।
o वचमटा में धातु की छोटी चकक्रकाएं (discs) विवथलता से आससे संलग्न होती हैं जो वचमटे की भुजाओं को टकराने पर एक
दूसरे से टकराती हैं।
o मिक चमड़े के थैले से बना होता है और प्राय: राजथथान के ढोवलयों द्वारा लोकवप्रय लोक धुनों की संगत में बजाया जाता
है।
o ककरला एक छड़ी होती है वजसके उपरी वसरे पर नक्कािीदार वगलहरी या मछली बनी होती है। उपरी वसरे से जुड़ी एक
डोरी तीक्ष्ण ध्ववन के साथ गलाद (Galad) को झटके से उपर खींचती है, साथ ही ककरला के वनचले वसरे से जुड़ी घंरटयााँ
मधुर ध्ववन या झनकार ईत्पन्न करती हैं।
o करताल (खड़ताल) लकड़ी के दो समान टुकड़ों से वमलकर बना होता है वजनके बीच पीतल की चकक्रकाएं लगी होती हैं।
आसके एक टुकड़े में ऄंगूठे के वलए और दूसरे टुकड़े में चार ऄंगुवलयों के वलए थथान होता है। ताल ईत्पन्न करने वलए आन्हें
अपस में टकराकर बजाया जाता है।
o मंजीरा एक जोड़ी सपाट धातु की चकक्रकाओं (discs) से बनता है। एक लयबद्ध धावत्वक ध्ववन ईत्पन्न करने के वलए आन
चकक्रकाओं को अपस में टकराकर बजाया जाता है। आसवलए ववकल्प 1, 2 और 3 सही हैं।
बीन एक बांसुरीनुमा सुवषर वाद्य (wind instrument) है जबकक वीणा एक तत वाद्य या तार वाद्य (String instrument) है।
बीन सुखाकर खोखला की हुइ कद्दू (लौकी) से बनाया जाता है। आसवलए ववकल्प 4 और 5 सही नहीं हैं।
Q 87.B
चंद्रगुप्त वद्वतीय के िासनकाल में गुप्त साम्राज्य का चरमोत्कषव देखा गया। ईसने वववाह संबंधों और ववजयों द्वारा साम्राज्य की
सीमाओं का ववथतार ककया।
चंद्रगुप्त ने मध्य भारत में वाकाटक साम्राज्य पर ऄप्रत्यि वनयंत्रण थथावपत ककया। चंद्रगुप्त वद्वतीय ने पविमी मालवा और
गुजरात पर ववजय प्राप्त की वजससे व्यापार और वावणज्य के वलए प्रवसद्ध पविमी समुद्री तट पर चंद्रगुप्त का ऄवधकार हो गया।
चंद्रगुप्त वद्वतीय ने ववक्रमाकदत्य की ईपावध धारण की। चंद्रगुप्त वद्वतीय का दरबार कावलदास और ऄमरससह सवहत कइ ववद्वानों
द्वारा सुिोवभत था।
चंद्रगुप्त के काल में ही चीनी तीथवयात्री फाह्यान (399-414) ने भारत का दौरा ककया और यहााँ के लोगों के जीवन का ववथतृत
वववरण वलखा।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
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Q 88.B
जब वद्वतीय मुगल सम्राट हुमायूं ऄपने वनवावसन से लौटा तो वह ऄपने साथ दो प्रख्यात फारसी कलाकारों मीर सैय्यद ऄली और
ऄदद ऄल-समद को लेकर अया। हुमायूाँ के वनदेिों पर आन फारसी कलाकारों ने 'वनजामी का खामसा' (Khamsa of Nizami)
सवहत ऄनेक प्रवसद्ध वचत्रों की रचना की।
o ये वचत्र फारसी कला की पारंपररक िैली से ववलग हो गए और आस प्रकार कला की एक नइ िैली का जन्म हुअ वजसे 'मुगल
वचत्रकला' कहा गया। मुगल वचत्रकला को परवती मुगल बादिाहों द्वारा और ऄवधक ववकवसत ककया गया।
ऄकबर
o ऄकबर ने एक पृथक संपण
ू व ववभाग की थथापना की जो वचत्रकला और ईसके दथतावेजों की प्रवतवलवप तैयार करने के वलए
समर्थपत था। ईसने एक औपचाररक कलात्मक विल्पकि (studio) ऄथावत तथवीर खाना भी थथावपत ककया जहां वचत्रकारों
को ऄपनी िैली में वचत्र बनाने के वलए वेतन पर रखा जाता था। आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
o ईसने देि के वववभन्न भागों से सौ से ऄवधक वचत्रकारों को वनयुक्त ककया था और ईत्कृ ष्ट रचनाओं के वलए ईन्हें ईदारतापूववक
ईपहार देकर सम्मावनत ककया था। वह सहदू वचत्रकारों, वविेष रूप से दसवंत और बसावन की रचनाओं की वविेष रूप से
प्रिंसा करता था।
o ऄकबर के काल में कइ ईल्लेखनीय रचनाएं की गईं, वजनमें हमजानामा की सवचत्र कहावनयााँ; सवचत्र महाभारत वजसे
रज़ामनामा कहा जाता है; और सवचत्र रामायण, तैमरू नामा, बाबरनामा तथा ऄकबरनामा िावमल हैं।
जहांगीर
o जहााँगीर के समय में मुगल वचत्रकला ऄपने चरमोत्कषव पर पहुाँच गइ। वह एक प्रकृ वतवादी था और वनथपवतयों एवं प्रावणयों
के वचत्र पसंद करता था। वह थवयं एक ऄच्छा वचत्रकार था और ईसकी ऄपनी वनजी विल्पिाला थी, हालांकक ईसके द्वारा
वनर्थमत कोइ प्रमुख रचना नहीं बची है।
o जहााँगीर ने सुलेखन कला (calligraphy) को बढ़ावा कदया। ईसे आथलामी जगत में एक ऄग्रणी वचत्रकार माना जाता था।
आस काल में छवव वचत्रकला (Portrait painting) भी प्रचवलत हुइ।
o जहााँगीर के दरबार में मंसूर, ऄददुल हसन और वबिनदास महान वचत्रकार थे। मंसूर को जहााँगीर ने नाकदर-ईल-ऄसर की
ईपावध प्रदान की थी। आस ऄववध के दौरान मुगल वचत्रकारों पर पविमी/यूरोपीय वचत्रकला का प्रभाव ऄवधक थपष्ट हो गया
था।
िाहजहााँ
o िाहजहााँ के िासनकाल के दौरान वचत्रकला में एक नइ लावण्यता और प्रेम -प्रसंग संबंधी ववषय िावमल हुए। प्रेम, प्रणय-
लीला (romance), छवववचत्र (portraits) और राज दरबार के दृश्य वचत्रकला के अम ववषय बन गए।
o वचत्रकारों ने लैला-मजनू, विरीन-फरहाद, कामरूप-कामलता और बाज बहादुर-रूपमती की प्रणय-लीलाओं को वचवत्रत
ककया।
o िाहजहााँ के काल के प्रमुख वचत्रकार मुहम्मद फकीरुल्लाह खान, मीर हाविम, मुहम्मद नाकदर, वबवचत्र, वचतरमन,
ऄनूपछतर, मनोहर और होनहार थे।
औरंगजेब
o वचत्रकला के प्रवत औरंगजेब की ईदासीनता ने मुख्य रूप से महान वचत्रकारों को ऄपने रठकाने पंजाब, राजथथान और देि
के ऄन्य भागों में वथथत ऄन्य साम्राज्यों में थथानांतररत करने के वलए वववि ककया वजसके पररणामथवरूप िीघ्र ही मुगल
वचत्रकला का पतन प्रारंभ हो गया।
ऄन्य मुगल बादिाह
o बहादुर िाह प्रथम (1707-1712 इ.) ने वचत्रकला को पुन: राजदरबार का संरिण देने का प्रयास ककया। ईसके काल में
वचत्रकला की ईत्कृ ष्ट कृ वत ‘िाहजहााँ-नामा’ की रचना की गइ थी।
o फरुव खवसयर (1713-1718 इ.) ने वचत्रकला के िाही संरिण को जारी रखा और आसी तरह मुहम्मद िाह रंगीला (1719-
1748 इ.) ने भी वचत्रकला को िाही संरिण प्रदान ककया। वषव 1739 इथवी में नाकदरिाह के अक्रमण के साथ कदल्ली से
वचत्रकारों का सामूवहक पलायन िुरू हुअ और मुगल वचत्रकला धीरे -धीरे गुमनाम हो गइ।
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Q 89.B
कू वडयाट्टम (कु रटयाट्टम) के रल की सवाववधक प्राचीन पारंपररक रंगमंच िैवलयों में से एक है। साक्ष्य दिावते हैं कक यह नृत्य िैली
सभी प्रमुख मंकदरों में नौवीं िताददी से ही प्रचलन में थी और पंद्रहवीं िताददी तक अते-अते यह एक पूणव नाट्ड प्रदिवन के रूप
में ववकवसत हो गइ।
कु रटयाट्टम अरंवभक संथकृ त नाटकों की नृत्य नाटक के रूप में के रल की ववविष्ट मंचीय प्रथतुवत है। आस प्रकार यह संथकृ त रंगमंच
परंपराओं पर अधाररत है। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
कु रटयाट्टम िदद का िावददक ऄथव "सामूवहक ऄवभनय" होता है।
आस रंगमंच िैली के चररत्र चाक्यार या ऄवभनेता, नांवबयार या वादक, तथा नांग्यार जो वस्त्रयों की भूवमका वनभाते हैं, वे होते
हैं।
सूत्रधार या कथावाचक और ववदूषक नाटक के मुख्य चररत्र या नायक होते हैं। आसमें के वल ववदूषक ही संवाद (dialogues)
प्रथतुत करता है।
एक प्रारूवपक कु रटयाट्टम वनष्पादन में हथत मुद्राओं और ऄवभनय के ववविष्ट तरीकों जैसे आलककयाट्टम, पकन्नावट्टम, आरुन्नाट्टम का
ईपयोग करके ककए गए ववथतृत और लंबे ऄवभनय ऄनुक्रम िावमल होते हैं।
नृत्य के दौरान हथत मुद्राओं तथा अंखों के संचलन पर बल देने के कारण यह रंगमंच िैली ववविष्ट बन जाती है। आसवलए कथन
2 सही है।
20वीं िताददी के पूवावद्धव तक आस िैली के नृत्य सामान्यत: के वल ‘कू थाम्बलम’ नाम से ज्ञात मंकदर के रंगमंचों में चाक्यार और
नांवबयार जावतयों के लोगों द्वारा वनष्पाकदत ककए जाते थे। कइ वषों के कठोर प्रवििण के बाद ही कोइ व्यवक्त कु रटयाट्टम में
कु िलता प्राप्त कर सकता है।
हाल ही में यूनेथको (संयुक्त राष्ट्र का िैविक, वैज्ञावनक और सांथकृ वतक संगठन) ने कु रटयाट्टम को "मानवता की मौवखक और ऄमूतव
ववरासत की ईत्कृ ष्ट कृ वतयों" में से एक घोवषत करके आस कला िैली को सम्मावनत ककया है, वजसका संरिण और परररिण
ककया जाना चावहए।
Q 90.B
नवरोज़ इरानी नव वषव है, वजसे व्यापक रूप से पारसी नव वषव के रूप जाना जाता है और दुवनया भर में मनाया जाता है।
यह त्यौहार फरवर्क्रदन (Farvardin) मास की पहली तारीख को मनाया जाता है जोकक पारसी/ज़रथुष्ट्र (Zoroastrian) कै लेंडर
का प्रथम मास होता है और आस समय वसंत की िुरुअत होती है।
यह यूनथे को की “मानवता की ऄमूतव सांथकृ वतक ववरासत” की सूची में भारत की ऄमूतव सांथकृ वतक ववरासत के रूप में सूचीबद्ध
है। आस त्यौहार को नॉरूज़, नवरूज़, नौरोज़, नोवरूज़, नेव्रुज़ और नूरुज़ अकद नामों से भी जाना जाता है।
यह त्यौहार वसंतकालीन ववषुव के कदन अरंभ होता है। यह वह समय होता है जब सूयव भूमध्य रेखा से गुजरता है। हालांकक
नवरोज़ पवव की वतवथ संपूणव ववश्व में माचव में पड़ती है, ककतु भारत में आसे ऄगथत में भी मनाया जाता है।
नवरोज़ पवव की दूसरी वतवथ की गणना िाहीन िाही कै लेंडर के ऄनुसार की जाती है। यह वतवथ 17 ऄगथत होती है। यह पवव
ऄफगावनथतान, ऄज़रबैजान, भारत, इरान, आराक, कजाककथतान, ककर्थगथतान, पाककथतान, तावजककथतान, तुकी, तुकवमेवनथतान
और ईज्बेककथतान में मनाया जाता है।
भारत में यह मुख्य: रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में मनाया जाता है। आस त्यौहार की परंपरा लगभग 3000 वषव पूवव अरंभ हुइ
थी तथा पारसी राजा जमिेद, वजन्होंने पारसी कै लेंडर प्रथतुत ककया था, के नाम पर आस पवव का नामकरण ककया गया, और आस
प्रकार यह नाम ‘जमिेद-ए-नौरोज़’ पड़ा।
पूरे ववश्व में, पारसी समुदाय और वववभन्न मुवथलम संप्रदाय (सुन्नी और विया दोनों) नवरोज़ मनाते हैं।
मुगल िासक प्रत्येक वषव तीन मुख्य त्यौहार मनाते थे: सौर वषव एवं चन्द्र वषव के ऄनुसार सम्राट का जन्मकदन और नवरोज़।
आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
Q 91.D
ब्राह्मी वलवप, ससधु वलवप के पिात भारत में ववकवसत हुइ सबसे प्राचीन लेखन पद्धवत है।
o अधुवनक भारतीय भाषाओं के लेखन में प्रयुक्त ऄवधकांि वलवपयााँ ब्राह्मी से ही व्युत्पन्न हुइ हैं। ऄिोक के ऄवधकांि
विलालेखों में ब्राह्मी वलवप का प्रयोग हुअ है।
हड़प्पा सभ्यता के ऄवभलेखों को ऄभी तक नहीं पढ़ा जा सका है, ऐसा प्रतीत होता है कक आन्हें वचत्रात्मक वलवप में
वलखा गया है वजसमें ववचारों और वथतुओं को वचत्रों के रूप में व्यक्त ककया गया है।
36 www.visionias.in ©Vision IAS
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o जेम्स सप्रसेप ने 1838 इथवी में ऄिोक कालीन ब्राह्मी वलवप की व्याख्या की थी। आसवलए कथन 2 सही है।
o ईत्तर-पविमी भाग के ऄवतररक्त संपूणव साम्राज्य में ब्राह्मी वलवप का प्रचलन था। पाककथतान और ऄफगावनथतान में ऄिोक
के विलालेखों को वलखने में ग्रीक और अरमाआक वलवपयों का प्रयोग ककया गया था।
o गुप्त काल के ऄंत तक ब्राह्मी प्रमुख वलवप बनी रही। आसवलए कथन 3 सही है।
o ब्राह्मी वलवप बाएं से दाएं वलखी जाती है।
खरोष्ठी वलवप (वजसे 'आंडो-बैवक्ट्रयन' वलवप के रूप में भी जाना जाता है) लेखन की एक पद्धवत थी जो मूल रूप से लगभग चौथी
और तीसरी िताददी इसा पूवव के बीच वतवमान ईत्तरी पाककथतान में ववकवसत हुइ थी।
o आसे प्राकृ त के एक थवरूप को वलखने के वलए प्रयुक्त ककया जाता था। प्राकृ त एक आंडो-अयवन भाषा है।
o यह वलवप दाएं से बाएं वलखी जाती थी। आसवलए कथन 1 सही है।
Q 92.A
हाल ही में, पुणे के सीएसअइअर-एनसीएल (CSIR-NCL) के वैज्ञावनकों ने भारत सरकार के ववज्ञान और प्रौद्योवगकी ववभाग
(DST) की जल प्रौद्योवगकी पहल के समथवन से 'थवावथतक (SWASTIIK)' नामक एक नवीन हाआवब्रड तकनीक ववकवसत की है,
वजसमें प्रेिर ररडक्िन (कै ववटेिन) के पररणामथवरूप तरल का ईबालना िावमल है तथा यह रोगाणुरोधी गुणों वाले प्राकृ वतक
तेलों का भी ईपयोग करती है। यह प्रौद्योवगकी ककफायती रूप से रोगाणुरोधी-सवहष्णु जीवाणु (Antimicrobial-resistant
Bacteria) सवहत नुकसानदायक जीवाणु को खत्म कर सकती है। यह न के वल जल को पूरी तरह ववसंक्रवमत करने के वलए
अयुवेद के भारतीय पारंपररक ज्ञान को समेककत करती है बवल्क प्राकृ वतक तेलों के संभाववत थवाथथ्य लाभों को भी प्रथतुत कर
सकती है।
आसमें हाआड्रोनैवमक कै ववटेिन तकनीक का ईपयोग ककया जाता है और यह प्राकृ वतक तेलों तथा पादप रस के रूप में प्राकृ वतक
संसाधनों के साथ रसायन ववज्ञान, जीव ववज्ञान तथा कै वमकल आंजीवनयटरग को संयोवजत करती है। भारतीय पारंपररक ज्ञान से
प्रेररत आस प्रकक्रया के पररणामथवरूप जल ईपचार की दिता में वृवद्ध तथा लागत में कमी हुइ है। आस टीम ने अम तौर पर 5-10
वमनटों में ग्राम-वनगेरटव इ. कोली तथा ग्राम-पोवजटव एस. औरेस बैक्टीररया और यहां तक कक एएमअर बैक्टीररया (AMR
bacteria)/करठन ऄवसरवादी रोगाणुजनक बैक्टीररया को पूरी तरह खत्म कर कदया। ऐसा देखा गया कक तेल का ईपयोग करते
हुए ववसंक्रमण की बढ़ी हुइ दर प्रचालन के समय में बहुत तेजी से कमी ला सकती है और आसके पररणामरूवरूप ऄन्य अधुवनक
ईपचार प्रकक्रयाओं की तुलना में लागत में काफी कमी हो सकती है।
आसवलए ववकल्प (a) सही ईत्तर है।
Q 93.A
हड़प्पा सभ्यता ववश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। आसे कला एवं संथकृ वत तथा थथापत्य कला का कें द्र माना
जाता था। आन थथापत्य कला संबंधी थथलों पर ककये गए ऄन्वेषणों से हमें ईनके जीवन और जीवन िैली के बारे में वृहत ऄंतदृवव ष्ट
प्राप्त होती है।
एक प्रारूवपक हड़प्पा िहर को दो भागों में ववभावजत ककया गया था, प्रत्येक को थवतंत्र रूप से दुगीकृ त ककया गया था।
o दुगव (Citadel): यह कृ वत्रम रूप से वनर्थमत उाँचे टीले पर वथथत होता था (कभी-कभी आसे गढ़ी कहा जाता है)। आसमें िहर
की महत्वपूणव आमारतें जैसे सभा भवन, धार्थमक संरचनाएं, ऄन्नागार और मोहनजोदड़ो के मामले में, वविाल स्नानागार
वथथत होते थे।
o वनचला िहर (Lower Town): िहर का वनचला भाग वह था जहााँ वनवावसयों के वलए अवास ऄववथथत होते थे। यह
चौड़ी सड़कों से सुसंबद्ध होता था जो लगभग 30 मीटर लंबी होती थीं और एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं। भवन
आस प्रकार वनर्थमत अयताकार वगों में ऄववथथत होते थे।
ससधु घाटी नगर वनयोजन की मुख्य वविेषताएं जो सामान्यतः ऄवधकांि बड़े एवं छोटे िहरों में पाइ जाती थीं वनम्नानुसार हैं:
िहर की दीवारें:
o प्रत्येक िहर के चारों ओर वविाल दीवारें और प्रवेि द्वार वथथत होते थे। ईन्हें व्यापार को वनयंवत्रत करने और िहर में बाढ़
के प्रवेि को रोकने के वलए भी बनाया जाता था।
o िहर के प्रत्येक भाग में चारदीवारी से वघरे हुए खंड होते थे। प्रत्येक खंड में वववभन्न भवन होते थे जैसे साववजवनक भवन,
अवासीय भवन, बाजार, विल्प कायविालाएं अकद।
वग्रड पद्धवत: आसवलए ववकल्प 2 सही है।
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o ऄवधकांि बवथतयां वग्रड पद्धवत पर थथावपत की गइ थीं जहां सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटते हुए वनर्थमत की गइ
थीं।
o सड़कें पूवव से पविम की ओर ऄवभववन्यथत थीं।
जल वनकास प्रणाली: आसवलए ववकल्प 1 सही है।
o आसकी योजना ऄत्यंत सावधानीपूववक बनाइ जाती थी वजसमें पहले नावलयां बनाइ जाती थीं और कफर ईनके ककनारे
अवासीय भवन वनर्थमत ककये जाते थे।
o घरेलू ऄपविष्ट जल को गली की नावलयों में प्रवावहत करने के वलए प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार गली से संलग्न
होती थी।
o ऄवधकांि थथानों पर नावलयों को ढक कदया जाता था जो हड़प्पाइ लोगों के थवच्छता विष्टाचार को व्यक्त करता है।
अवासीय भवन:
o ये मुख्यत: ईंट से बने होते थे और आनमें कमरों से वघरा एक अंगन होता था। आसवलए ववकल्प 3 सही है।
o मानकीकृ त पकी हुइ ईंटों के साथ-साथ धूप में सुखाए गए ईंटों का भी ईपयोग ककया जाता था।
o कु छ घरों में कइ मंवजलें और यहााँ तक कक पक्की मंवजलें भी होती थीं।
o ऄवधकांि घरों में ऄपने थवयं के कु एं, नावलयां और स्नानघर होते थे।
कु छ थथापत्य वविेषताएं, जो हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे बड़े िहरों की ऄनूठी वविेषताएं हैं, आस प्रकार हैं:
ऄन्नागार:
o यह ऄनाज के भंडारण हेतु ईपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी आमारत है। यह एक ऄत्यवधक ववकवसत कृ वष प्रणाली को
दिावता है।
o यह ऄत्यंत हवादार होता था और आसमें संभवत: बाहर से ऄनाज भरने की व्यवथथा होती थी।
o मोहनजोदड़ो में वविाल ऄन्नागार पाया गया है, जबकक हड़प्पा में छह छोटे ऄन्नागार पाए गए हैं।
वविाल स्नानागार: आसवलए ववकल्प 4 सही नहीं है।
o वविाल स्नानागार एक बड़े दुगव पररसर का भाग है जो वषव 1920 के दिक में ससधु सभ्यता के मुख्य कें द्रों में से एक
मोहनजोदड़ो की खुदाइ के दौरान पाया गया था।
o आसे संभवतः धार्थमक या कमवकाण्डीय प्रयोजनों के वलए आथतेमाल ककया जाता था।
o यह एक ववथतृत जल अपूर्थत और मल जल वनकास प्रणाली से जुड़ा हुअ था।
Q 94.D
वनओवलवथक युग (Neolithic Age), वजसका ऄथव है मानव सभ्यता का नव पाषाण युग (New Stone Age)। यह पाषाण युग
का ऄंवतम एवं तृतीय चरण था।
नवपाषाण युग में मानव को एक खाद्य संग्रहकताव से खाद्य ईत्पादक में पररवर्थतत होते देखा गया। आसी युग में सववप्रथम मृदभांडों
का ईपयोग भी देखा गया। आस युग के लोग पत्थर से बने पॉवलिदार औजारों के ऄवतररक्त सूक्ष्म पाषाण-फलकों (Microlithic
blades) का भी ईपयोग करते थे। आस युग के लोग धातु के ईपयोग से ऄपरवचत थे। आसवलए कथन 1 सही है।
नव पाषाण युग के वनवासी सबसे पुराने कृ षक समुदाय थे। वे पत्थर की कु दालों (हो) और खुदाइ करने वाले डंडों (digging
sticks) से जमीन खोदते थे। डंडों में एक ओर एक से अधे ककलोग्राम वजन के पत्थर के छल्ले लगे रहते थे। नवपाषाण युग के
लोग रागी, चना, कपास, चावल, गेहं और जौ की खेती करते थे और आसवलए ईन्हें खाद्य ईत्पादक कहा जाता था। आसवलए
कथन 2 सही है।
वे थथायी रूप से घर बनाकर रहते थे। नवपाषाण युगीन लोग वमट्टी और सरकं डे (reed) के बने अयताकार या गोलाकार घरों
में रहते थे। मेहरगढ़ के लोग कच्ची ईंटों से बने घरों में रहते थे , जबकक कश्मीर में प्राप्त नवपाषावणक थथल बुजवहोम से गतववास
(गट्ते वाले घर) में रहने के साक्ष्य वमले हैं।
वे मवेवियों, भेड़ों और बकररयों को पालते थे। ईदाहरण के वलए, कनावटक के वपकलीहल में नवपाषाण युगीन वनवासी पिुपालक
थे। वे लकड़ी के खंभे (Posts) और खूंटे (Stakes) गाड़-गाड़कर मवेवियों के बाड़े बनाते थे और ईनके बीच मौसमी विववरों में
रहते थे। आन बाड़ों में वे गोबर आकट्ढा करते थे। कफर ईस पूरे विववर थथल को अग लगाकर साफ़ कर देते थे ताकक ऄगले मौसम
में कफर से विववर लगाए जाएं। लेककन रोचक बात यह है कक बुजवहोम में कब्रों में पालतू कु त्ते भी ऄपने मावलकों के िवों के साथ
दफनाए जाते थे। आसवलए कथन 3 सही है।
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Q 95.B
सीइओ वाटर मैंडेट (CEO Water Mandate) एक संयक्त
ु राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट की पहल है जो दीघवकावलक सतत ववकास
लक्ष्यों के भाग के रूप में जल और थवच्छता एजेंडे को बेहतर बनाने के वलए कं पवनयों की प्रवतबद्धता और प्रयासों को प्रदर्थित
करती है। सीइओ वाटर मैंडेट को जल संबंधी व्यापक रणनीवतयों और नीवतयों के ववकास, कायावन्वयन और प्रकटीकरण में
कं पवनयों की सहायता के वलए वडजाआन ककया गया है। यह कं पवनयों को समान ववचारधारा वाले व्यवसायों, संयुक्त राष्ट्र
एजेंवसयों, साववजवनक प्रावधकरणों, नागररक समाज संगठनों और ऄन्य प्रमुख वहतधारकों के साथ साझेदारी करने के वलए एक
प्लेटफाॅमव भी प्रदान करता है। आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
सीइओ वाटर मैंडेट एक ऄनूठी साववजवनक-वनजी पहल है जो जल के प्रबंधन के वलए व्यावसावयक प्रमुखों (Business
Leaders) को एकजुट करती है। वषव 2007 में यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट द्वारा थथावपत, मैंडेट का आस थवीकृ वत के साथ वनमावण
ककया गया था कक वैवश्वक जल चुनौवतयां ईद्योग िेत्रों, साववजवनक िेत्रक, थथानीय समुदायों और पाररवथथवतक तंत्र की एक
ववथतृत िृंखला के वलए समान रूप से जोवखम ईत्पन्न करती हैं। सीइओ वाटर मैंडेट आस ववश्वास पर अधाररत है कक साझा जल
लक्ष्यों पर पार िेत्रीय (क्रॉस-सेक्टोरल) सहयोग ऄवधक संधारणीय जल प्रबंधन का सवाववधक प्रभावी मागव है और वनजी िेत्रक
आस प्रयास में एक महत्वपूणव भागीदार हो सकता है।
हाल ही में ववद्युत् मंत्रालय के तहत देि की सबसे बड़ी ववद्युत कं पनी NTPC वलवमटेड ने प्रवतवष्ठत यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट के
सीइओ वाटर मैंडेट पर हथतािर कर कदए हैं। आस तरह NTPC कु िल जल प्रबंधन पर ध्यान कें कद्रत करने वाली कं पवनयों की
प्रवतवष्ठत लीग में िावमल हो गयी है। साथ ही, आसके ऄध्यि और प्रबंधन वनदेिक श्री गुरदीप ससह व्यापाररक नेताओं के एक ऐसे
समूह में िावमल हो गए हैं जो जल प्रबंधन के बढ़ते महत्व को पहचानते हैं और आस बहुमूल्य प्राकृ वतक संसाधन के संरिण के
वलए कायव कर रहे हैं। NTPC वलवमटेड ईन व्यवसायों की सूची में िावमल हो गयी है जो पहले से ही सीइओ वाटर मैनडेट के
वलए प्रवतबद्ध हैं जैसे सहदुथतान सजक वलवमटेड, ऄडानी पोट्सव और थपेिल आकोनॉवमक जोन वलवमटेड (APSEZ) अकद।
यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट ने समथवन करने वाली कं पवनयों को सूची से बाहर करना जारी रखा है और अगे भी जारी रखेगा यकद वे
ऄपने यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट दावयत्वों की पूर्थत करने में ववफल रहती हैं या मैंडेट के वार्थषक संचार प्रगवत (Communication
on Progress) - वाटर ररपोर्टटग अवश्यकताओं (Water reporting requirements) को पूरा करती हैं। सीइओ वाटर मैंडेट
की पारदर्थिता नीवत के ऄनुसार सवचवालय "गैर-संचारी" मानी जाने वाली कं पवनयों या वजन्हें सूची से बाहर ककया जाना
चावहए, पर वनणवय करेगा।
सीइओ वाटर मैंडेट के हथतािरकताव को वववधक रूप से थथावपत व्यावसावयक ईद्यम होना चावहए, चाहे वह साववजवनक हो या
वनजी, ईसे मैंडेट तत्वों के कक्रयान्वयन हेतु प्रवतबद्ध होना चावहए।
Q 96.D
गुप्त साम्राज्य के पतन के पररणामथवरूप ईत्तरी भारत के वववभन्न िेत्रों में बड़ी संख्या में िासक वं िों का ईदय हुअ। आनमें
थानेसर के पुष्यभूवत, कन्नौज के मौखरी एवं वल्लभी के मैत्रक प्रमुख थे।
मैत्रक:
o मैत्रक गुप्त वंि के सहायक मुवखया थे , वजन्होंने पविमी भारत में एक थवतंत्र सत्ता की थथापना की थी। मैत्रक वंि का
सवाववधक प्रमुख िासक ध्रुवसेन वद्वतीय था। वह हषववधवन का समकालीन था। गुजरात में सौराष्ट्र पर िासन करते हुए, मैत्रक
सम्राटों ने वल्लभी को ऄपनी राजधानी के रूप में ववकवसत ककया। यह नगर िीघ्र ही ज्ञानाजवन का महत्वपूणव कें द्र बन गया।
मौखरी
o मौखरी वंि का िासन पविमी ईत्तर प्रदेि के कन्नौज वजले में रहा, जो धीरे -धीरे पाटवलपुत्र के थथान पर ईत्तर भारत में
सत्ता का कें द्र बन कर ईभरा। मौखरी िासक गुप्त िासकों के ऄधीनथथ िासक थे तथा ‘सामंत’ ईपावध का प्रयोग करते थे।
पुष्यभूवत
o गुप्त साम्राज्य के िीण होने के पिात् प्रमुख िासक वंि पुष्यभूवत रहा वजनकी राजधानी थानेसर (कु रूिेत्र में थानेश्वर) थी।
प्रभाकरवधवन के ससहासनारोहण के पिात् यह वंि ऄत्यवधक प्रभावी हो गया था, प्रभाकरवधवन ने हणों को परावजत करने
में सफलता प्राप्त की एवं पंजाब तथा हररयाणा िेत्र में ऄपनी वथथवत को सुदढ़ृ ककया।
आसवलए ववकल्प (d) सही ईत्तर है।
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Q 97.D
ववजयनगर साम्राज्य की थथापना वषव 1336 में हुइ थी तथा ववजयनगर का िावददक ऄथव है 'ववजय का िहर', वजसने आतालवी
वनकोलो दे कोंती, पुतग
व ाली डोसमगो पेस, फनाववो नूवनज़ और दुअते बरबोसा और ऄफगान के ऄददुर रज़ाज़ाक जैसे कइ
ऄंतरावष्ट्रीय यावत्रयों को अकर्थषत ककया। वजन्होंने िहर के जीवंत वृतांत छोड़े हैं। आसके ऄवतररक्त, संथकृ त और तेलुगु भाषा की
वववभन्न कृ वतयां आस साम्राज्य की जीवंत सावहवत्यक परंपरा का वलवखत प्रमाण प्रथतुत करती हैं। थथापत्य कला की दृवष्ट से ,
ववजयनगर पड़ोसी सल्तनत द्वारा प्रदर्थित आथलामी िैवलयों के साथ ितावददयों पुरानी द्रववड़ मंकदर वाथतुकला को संश्लेवषत
करता है।
मेगथथनीज, (जन्म 350 िताददी इ.पू.- मृत्यु 290 िताददी इ.पू.), प्राचीन यूनानी आवतहासकार एवं राजदूत था। वह चार
पुथतकों में भारत का एक वृत्तांत आंवडका (The Indica) वलखने वाला लेखक था। वह एक अयोवनयन (Ionian) था, ईसे
हेलेवनवथटक राजा सेल्यूकस प्रथम द्वारा मौयव सम्राट चंद्रगुप्त मौयव के दूतावास भेजा गया था। आसवलए ववकल्प (d) ईत्तर है।
Q 98.B
प्रवतहार:
o प्रवतहारों को गुजवर-प्रवतहार भी कहा जाता है, आसका कारण िायद यह है कक ईनका ईद्भव गुजवराष्ट्र (गुजरात िेत्र) या
दविण-पविमी राजथथान में हुअ था। वे अरंभ में संभवत: थथानीय ओहदेदार थे, वजन्होंने मध्य और पूवी राजथथान में कइ
ररयासतों पर ऄपना थवतंत्र ऄवधकार थथावपत कर वलया था। प्रवतहार साम्राज्य का वाथतववक संथथापक और आस राजवंि
का महानतम िासक भोज था। ईसने साम्राज्य का पुनर्थनमावण ककया और लगभग 863 इ. के अस-पास ईसने कन्नौज पर
पुनः कदज़ा कर वलया। यह नगर लगभग एक िताददी तक प्रवतहार साम्राज्य की राजधानी बना रहा।
o 915 इ. और 918 इ. के मध्य राष्ट्रकू ट राजा आन्द्र तृतीय ने कन्नौज पर अक्रमण ककया और नगर को तहस-नहस कर कदया।
आससे प्रवतहार साम्राज्य कमजोर पड़ गया और सम्भवतः गुजरात पर राष्ट्रकू टों का ऄवधकार हो गया क्योंकक ऄल मसूदी
बताता है कक प्रवतहार साम्राज्य की पहुंच समुद्र तक नहीं थी।
o एक ऄन्य राष्ट्रकू ट िासक, कृ ष्ण तृतीय (939 – 967 इथवी) ने लगभग 963 इ. में ईत्तर भारत पर अक्रमण ककया और
प्रवतहार िासक को परावजत ककया। आसके पिात प्रवतहार साम्राज्य का तेजी से ववघटन हुअ। कृ ष्ण तृतीय मान्यखेत के
राष्ट्रकू ट राजवंि का ऄंवतम महान योद्धा एवं योग्य िासक था। वह एक बुवद्धमान प्रबंधक और कु िल सैन्य प्रचारक था।
ईसने राष्ट्रकू टों की ईत्कृ ष्टता को पुनः प्राप्त करने के वलए कइ युद्ध ककए और राष्ट्रकू ट िेत्र के पुनर्थनमावण में एक महत्वपूणव
भूवमका वनभाइ। ऄपने चरमोत्कषव पर, ईसने ईत्तर में नमवदा धारा से लेकर दविण में कावेरी जलमागव डेल्टा तक ववथतृत
एक ऄकल्पनीय िेत्र पर िासन ककया।
o आसवलए ववकल्प (b) सही ईत्तर है।
Q 99.B
ऊग्वैकदक काल में अयों का प्रिासन-तंत्र कबीले के प्रधान के हाथों चलता था, क्योंकक वही युद्ध का सफल नेतृत्व करता था। वह
राजन (ऄथावत् राजा) कहलाता था। ऐसा प्रतीत होता है कक ऊग्वैकदक काल में राजा का पद वंिानुगत हो चुका था। यद्यवप,
राजन एक प्रकार का कबीले का सरदार था ककन्तु ईसके पास ऄसीवमत िवक्तयां नहीं होती थीं, क्योंकक ईसे सवमवत नामक
कबायली संघटन से सलाह लेनी पड़ती थी। आसवलए कथन 1 सही नहीं है।
ऊग्वेद में कबीलों या कु लों के अधार पर वववभन्न कबायली संघटनों जैसे सभा, सवमवत, ववदथ और गण का ईल्लेख वमलता है।
ये संघटन ववचार-ववमिव करते थे तथा सैवनक और धार्थमक कायव देखते थे। ऊग्वैकदक काल में वस्त्रयां भी सभा और ववदथ में भाग
लेती थीं। आसवलए कथन 2 सही है।
लेककन सभा और सवमवत दो सवाववधक महत्वपूणव संघटन थे। ये दोनों आतने महत्वपूणव थे कक प्रधान या राजाओं में आनका समथवन
जीतने के वलए अतुरता कदखाइ देती थी।
दैवनक प्रिासन में, कु छ ऄवधकारी राजा की सहायता करते थे। ऐसा प्रतीत होता है कक सबसे महत्वपूणव ऄवधकारी पुरोवहत होता
था। ऊग्वेद-काल में प्रमुख भूवमका वनभाने वाले दो महान पुरोवहत वविष्ठ और ववश्वावमत्र थे। ववश्वावमत्र ने अयव जगत का
ववथतार करने के वलए गायत्री मंत्र की रचना की। पुरोवहत कबायली राजा को कतवव्य का ईपदेि देते थे, ईनका गुणगान करते थे
और बदले में गायों और दावसयों के रूप में प्रचुर दान-दविणा पाते थे। पुरोवहत के बाद महत्वपूणव ऄवधकारी सेनानी प्रतीत होता
है, जो भाला, कु ठार, तलवार अकद िस्त्र चलाना जानता था। हमें ऐसे ककसी भी ऄवधकारी का ईल्लेख नहीं वमलता जो कर
वसूलता हो। आसवलए कथन 3 सही नहीं है।
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Q 100.A
अरंवभक भारतीय आवतहास में छठी िताददी इ.पू. को एक महत्वपूणव पररवतवनकारी काल माना जाता है। आस काल को प्रायः
अरंवभक राज्यों, नगरों, लोहे के बढ़ते प्रयोग और वसक्कों के ववकास के साथ जोड़ा जाता है।
आसी काल में बौद्ध तथा जैन सवहत वववभन्न दािववनक ववचारधाराओं का ववकास हुअ। बौद्ध और जैन धमव के अरंवभक ग्रंथों में
महाजनपद नाम से सोलह राज्यों का ईल्लेख वमलता है।
यद्यवप महाजनपदों के नाम की सूची आन ग्रंथों में एक समान नहीं है लेककन ववज्ज, मगध, कोिल, कु रु, पांचाल, गांधार और
ऄववन्त जैसे नाम प्रायः वमलते हैं। आससे यह थपष्ट है कक ईक्त महाजनपद सबसे महत्वपूणव महाजनपदों में वगने जाते होंगे।
ऄवधकांि महाजनपदों पर राजा का िासन होता था लेककन गण और संघ के नाम से प्रवसद्ध राज्यों में कइ लोगों का समूह
िासन करता था, आस समूह का प्रत्येक व्यवक्त राजा कहलाता था। आसवलए कथन 2 सही नहीं है।
भगवान महावीर और भगवान बुद्ध आन्हीं गणों से संबंवधत थे। ववज्ज संघ की ही भााँवत कु छ राज्यों में भूवम सवहत ऄनेक अर्थथक
स्रोतों पर राजा गण सामूवहक वनयंत्रण रखते थे। यद्यवप स्रोतों के ऄभाव में आन राज्यों के आवतहास पूरी तरह वलखे नहीं जा सकते
लेककन ऐसे कइ राज्य लगभग एक हज़ार साल तक बने रहे।
प्रत्येक महाजनपद की एक राजधानी होती थी वजसे प्रायः ककले से घेरा जाता था। ककलेबंद राजधावनयों के रख-रखाव और
प्रारंभी सेनाओं और नौकरिाही के वलए भारी अर्थथक स्रोत की अवश्यकता होती थी। लगभग छठी िताददी इसा पूवव से संथकृ त
में ब्राह्मणों ने धमविास्त्र नामक ग्रंथों की रचना अरंभ की। आनमें िासक सवहत ऄन्य के वलए वनयमों का वनधावरण ककया गया और
यह ऄपेिा की जाती थी कक िासक िवत्रय वणव से ही होंगे। िासकों का काम ककसानों, व्यापाररयों और विल्पकारों से कर तथा
भेंट वसूलना माना जाता था। आसवलए कथन 1 सही है।
संपवत्त जुटाने का एक वैध ईपाय पड़ोसी राज्यों पर अक्रमण करके धन आकट्ठा करना भी माना जाता था। धीरे -धीरे कु छ राज्यों
ने ऄपनी थथायी सेनाएं और नौकरिाही तंत्र तैयार कर वलए। बाकी राज्य ऄब भी सहायक-सेना पर वनभवर थे वजन्हें प्रायः कृ षक
वगव से वनयुक्त ककया जाता था। आसवलए कथन 3 सही है।
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