पाल कला
उ र: पाल कला, िजसे पाल-सेन कला या पूव भारतीय कला भी गोपाल (पाल वंश क सं थापक) से लेकर धमपाल और
कहा जाता है, देश क सव े ठ समकालीन कला प म से एक है, देवपाल तक पाल शासक ारा िविभ महािवहार का
जो पाल शासक क संर ण म िवकिसत हुई, जो बौ अनुयायी थे। िनमाण और संर ण िकया गया था। मु य प से बौ
पाल कला और वा तुकला मौय शासक , िवशेषकर अशोक ारा िभ ु क िनवास क प म िनिमत ये महािवहार
संरि त बौ कला का िव तार है। 8व -12व शता दी क बीच
मह वपूण बौ शैि क क क प म भी काम आते थे।
म ययुगीन काल म िवकिसत यह कला मक शैली वतमान िबहार
और प चम बंगाल, भारत और बां लादेश म िवकिसत हुई। िवशेषताएँ:
o अिधकांश संरचनाएँ ट से बनी थ , हालाँिक
पाल कला को तीन ेिणय म िवभािजत िकया जा सकता है: प थर की संरचनाएँ भी पाई जाती ह।
1. थाप य (वा तुकला) कला प: इ ह आगे चार o आम तौर पर इसकी संरचना आयताकार होती है
कार म िवभािजत िकया गया है। िजसक बीच म एक खुला अहाता होता है।
a. महािवहार o अहाते क चार ओर पोच/बरामदे बनाये गये थे,
b. चै य िजनम क क ार खुले थे।
c. मंिदर और o कछ महािवहार म दो मंिजला क होते थे और
d. तूप अहाते म सीिढ़याँ बनी होती थ ।
2. मूितकला कला प: इ ह दो उप ेिणय म िवभािजत
िकया गया है।
a. कां य मूितयां
b. प थर की मूितयां
3. िच कला: इ ह भी दो उप ेिणय म िवभािजत िकया गया
है।
a. पा डिलिप िच कारी और
b. िभि िच ण
उदाहरण:
o िबहारशरीफ म गोपाल ारा िनिमत
ओदंतपुरी महािवहार
o भागलपुर म िव मिशला महािवहार,
पहाड़पुर म सोमपुरा महािवहार और
बां लादेश म िसमपुर महािवहार का िनमाण
धमपाल ारा करवाया गया था |
o पाल शासक देवपाल ने शैले वंशीय जावा
शासक बालपु देव को नालंदा म एक
थाप य कला प:
महािवहार बनाने की अनुमित दी।
महािवहार: o जग ल िवहार म भी िवशाल संरचना है।
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चै य: बौ मंिदर यानी चै य क िनमाण की परंपरा पुरानी थी o सामने से सजावटी एवं अलंकत होने क बावजूद
लेिकन पाल कला और वा तुकला क भाव से इसम िविवधता आई। ये मूितयाँ पीछ से सादी ह।
िबहार क िविभ भाग से चै य क अनेक अवशेष ा त हुए ह। o इन मूितय की तुलना चोल सा ा य की नटराज
मंिदर: हालाँिक पाल शासक बौ थे लेिकन उ ह ने िहंदू धम क कई मूितय क स दय से की जा सकती है।
मंिदर भी बनवाए, जो मूल प से नागर शैली म थे। जैसे- o ये मु य प से धािमक कित की ह, िजनम
िहंदु और बौ क िविभ देवी-देवता की
मिहपाल ने काशी म सैकड़ मंिदर बनवाये।
मूितयां शािमल ह। जैसे, बु , िव णु, बलराम,
गया म छ क समान अधगोलाकार मंडप वाला िव णुपद बोिधस व आिद।
मंिदर। o नालंदा और कक रहार की कां य छिव म
गया िजले क क च म िशव मंिदर, अपनी िशख रका और यादातर अवलोिकते वर, मंजु ी, मै ेय और
घुमावदार जालीदार िखड़की क िलए िस है। व पािण सिहत बु और बोिधस व और
कहलगांव (भागलपुर) म 9व शता दी क शैलकितत ज भाला, हय ीव, तारा, जनापारिमता,
मंिदर म गुंबददार छत है, जो दि ण भारतीय वा तुकला वसुधरा, ह रित और पणसावरी जैसे अ य बौ
की िवशेषता है। देवी-देवता को दशाया गया है।
बदवान िजले क बराकर म 9व शता दी का िस े वर o क कहार (गया), नाल दा तथा
महादेव मंिदर एक ऊचे घुमावदार िशखर को दशाता है सु तानगंज से बड़ी सं या म कां य मूितयाँ
िजस पर बड़ आमलक का मुकट है, जो ारंिभक पाल ा त हुई ह।
शैली का एक उदाहरण है। प थर की मूितयां
नौव से बारहव शता दी क कई मंिदर पु िलया िजले क o ये मुगं रे या संथाल परगना से लाए गए बेसा ट
तेलकपी म थत थे, जो नागर उप- कार को दशाते ह प थर से बनी ह।
जो शेष उ र भारत म चिलत थे। o कां य की मूितय की तरह प थर की मूितयां भी
मंिदर म काले से भूरे बेसा ट और लोराइट प थर क सामने से अलंकत होती ह और पीछ से सादी
तंभ और मेहराबदार आल का उपयोग िकया गया। होती ह।
o अिधकांश छिवयाँ देवी-देवता की ह,
तूप: वैसे तो तूप िनमाण की सं कित ाचीन थी लेिकन थोड़- िवशेषकर बोिधस व की। इसम भगवान बु क
बहुत अंतर क साथ कछ तूप पाल काल म भी बनाए गए थे, जो जीवन की मह वपूण घटना का िवशेष प से
िबहार, बंगाल और बां लादेश क िविभ िह स म पाए जाते ह।
िच ण िकया गया है।
मूितकला कला प: o िव णु, िशव या जैन जैसे ा ण देवता की
मूितयाँ भी पाई जाती ह लेिकन उनकी सं या
पाल शासक क काल म कां य और प थर की मूितकला
तुलना मक प से कम है।
की एक नई शैली उभरी, िजसे नालंदा क धीमान और
िवथपाल ने बढ़ावा िदया, जो धमपाल और देवपाल क कमी:
समकालीन थे।
पाल मूितकला की मौिलकता और सरल स दय बोध की
कां य मूितयां:
कमी क िलए आलोचना की जाती है जो गु तकालीन
o ये साँचे का उपयोग करक कां य से बनाई जाती
मूितकला म आसानी से पाई जाती है।
ह और साइर प ू तकनीक म ढाली जाती ह।
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छिवय को गहन से सजाया गया है, िजससे वे कि म जैसी िवशेषताएँ:
िदखती ह। o नाजुक और तंि का रेखाएं, कामुक लािल य,
यहां तक िक देवी-देवता की छिवय म भी मानवीय रैिखक और सजावटी लहजा।
स दय को समािहत करने का यास िकया गया है। o तांि क कला का भाव आसानी से िदखाई देता
यहां तक िक तांि क भाव भी कट होते ह िजसक कारण है।
मिहला शरीर एक दूसरे से जुड़कर प ट कामुकता भाव o वे पूव भारत क कामुक झुकाव क साथ अजंता
दिशत करता है। िच कला की परंपरा को कायम रखते ह।
o यह नेपाली और बम कला क कछ गुण से भी
िच िमलता जुलता है।
पांडिलिप िच कारी:
िभि िच या वाल पिटग:
िचि त पांडिलिपयाँ आम तौर पर ताड़ क प पर िलखी
नालंदा क सराय थल पर वाल पिटग िमली ह।
जाती थ ।
ने ाइट प थर से बने एक लेटफ़ॉम क िनचले िह से म
उदाहरण:
यािमतीय आकितय क फल, जानवर और मनु य की
o अ टसहि का,
छिवयां धुंधली होने क बाद भी यान देने यो य ह।
o ा-परिमता और
हाथी, घोड़, नतक, बोिधस व आिद की कछ छिवयां भी
o पंचरा
पाई जाती ह।
ये वतमान म क ज िव विव ालय म संरि त ह।
अजंता और बाघा गुफा िच कला का भाव आसानी से
इन पर लगभग एक सौ लघु िच बने हुए ह।
देखा जा सकता है।
इनम न कवल बु क िविभ दृ य को दशाया गया है,
ब क महायान सं दाय क देवी-देवता को भी िविभ िन कष
मु ा म दशाया गया है।
उपयु त िवशेषता को देखते हुए, हम यह िन कष िनकाल सकते
ह िक भारत क सां कितक इितहास म पाल कला और वा तुकला
यु त रंग: की भूिमका अमू य है। "देखो अपना देश" अिभयान की बौ
o ाथिमक रंग जैसे लाल, सफ़द, नीला, काला। ृंखला म कई पाल वा तुकला को शािमल िकया गया है, जो न
o ि तीयक रंग जैसे हरा, बगनी, ह का गुलाबी कवल इन कला प क धािमक मह व को दशाता है, ब क भारत
और े। म पयटन े क िलए भी उनक मह व को दशाता है।
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