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#Who_Has_Seen_God विभीषण और मंदोदरी को मिले थे परमात्मा "कबीर सागर" में प्रमाण है कि त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर जी मुनींद्र ऋषि के रूप में आए थे। विभीषण और मंदोदरी को शरण में लेकर उन्हें नाम उपदेश देकर सत्य भक्ति प्रदान की। पूरी लंका नगरी में केवल वे दोनों ही भक्ति भाव तथा साधु विचार वाले थे। जिस कारण उनका अंत नहीं हुआ।अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Visit करें |
Kabir is god
कबीर परमेश्वर ने मगहर में शरीर छोड़ने से पहले राजा बिरसिंह बघेल तथा बिजली खां पठान से कहां कि एक चद्दर नीचे बिछाओ और एक मेरे ऊपर। फिर कुछ देर बाद आकाशवाणी हुई कि, उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा। जब चद्दर उठाकर देखा तो वहां कबीर परमेश्वर का शव नहीं मिला, वहां सुगंधित फूलों का ढेर मिला। जिसे हिंदू मुसलमानों ने आधे आधे बांटकर वही पर 100-100 फुट की दूरी पर एक एक यादगार बनाई,जो आज़ भी विद्यमान है।
God kabir
कबीर परमेश्वर ने मगहर में शरीर छोड़ने से पहले राजा बिरसिंह बघेल तथा बिजली खां पठान से कहां कि एक चद्दर नीचे बिछाओ और एक मेरे ऊपर। फिर कुछ देर बाद आकाशवाणी हुई कि, उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा। जब चद्दर उठाकर देखा तो वहां कबीर परमेश्वर का शव नहीं मिला, वहां सुगंधित फूलों का ढेर मिला। जिसे हिंदू मुसलमानों ने आधे आधे बांटकर वही पर 100-100 फुट की दूरी पर एक एक यादगार बनाई,जो आज़ भी विद्यमान है।
Kabir is God
कबीर परमेश्वर ने मगहर में शरीर छोड़ने से पहले राजा बिरसिंह बघेल तथा बिजली खां पठान से कहां कि एक चद्दर नीचे बिछाओ और एक मेरे ऊपर। फिर कुछ देर बाद आकाशवाणी हुई कि, उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा। जब चद्दर उठाकर देखा तो वहां कबीर परमेश्वर का शव नहीं मिला, वहां सुगंधित फूलों का ढेर मिला। जिसे हिंदू मुसलमानों ने आधे आधे बांटकर वही पर 100-100 फुट की दूरी पर एक एक यादगार बनाई,जो आज़ भी विद्यमान है।
God kabir
कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए कबीर परमात्मा का शरीर नहीं बल्कि वहां सुगन्धित फूल मिले, जिसको दोनों राजाओं बीर सिंह बघेल और बिजली खान पठान ने आधा - आधा बांट लिया। दोनों धर्मों के लोग आपस में गले लग कर खूब रोए। परमात्मा कबीर जी ने इस लीला से हिंदू-मुस्लिम मुस्लिम दोनों धर्मों का युद्ध टालकर, वैरभाव समाप्त किया । मगहर में आज भी हिंदू मुस्लिम धर्म के लोग प्रेम से रहते हैं।