25-Dec-2025
2025 वह वर्ष है जब भारत और चीन की राजनयिक सम्बन्धों की 75वीं वर्षगाँठ है। इस अवसर को दोनों देशों ने औपचारिक रूप में सम्मानित किया।
हाल के दिनों में कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों द्वारा चीन-जापान संबंधों पर की गई रिपोर्टिंग ने गहरी चिंता उत्पन्न की है। इन रिपोर्टों में तथ्यों की उपेक्षा कर चीन की छवि को एक आक्रामक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो चीन की ऐतिहासिक और वैचारिक विरासत के एकदम विपरीत है। पाँच हज़ार वर्षों पुरानी चीनी सभ्यता में “शांति सर्वोच्च मूल्य” का दर्शन निहित है। चीन सदैव मानव जाति के साझा भविष्य के समुदाय की अवधारणा को बढ़ावा देता आया है और अपनी विदेश नीति में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों को मार्गदर्शक मानता है।
कानूनी स्तर से जापान का नाभिकीय हथियार संपन्न होने का इरादा पोजडाम समेत दस्तावेजों में निर्धारिक अंतर्राष्ट्रीय कानून के कर्तव्य और जापान के शांति संविधान के विरुद्ध है। नैतिक स्तर से देखा जाए, दूसरे विश्व युद्ध में आक्रमणकारी होने के नाते जापान ने जघन्य अपराध किये और उसमें नाभिकीय हथियार संपन्न होने की पात्रता नहीं है।
पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत के नानचिंग शहर में 40वां छिनह्वेई लालटेन महोत्सव 26 दिसंबर को शुरू होगा। इस क्रम में सबसे पहले 24 दिसंबर को पाईलूचो पार्क में लालटेन जलाए गए।
चीन में, लोगों के पास अपने पारंपरिक त्योहारों की मिठाइयाँ हैं, जिनमें 'ह्वामो' यानी आकारदार मान्थोउ (भाप में पकी रोटी) विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। ये बारीक डिज़ाइन वाले व्यंजन वास्तव में किण्वित आटे और प्राकृतिक रसों से बनी एक खाने योग्य लोक कला हैं। आमतौर पर इन्हें सौभाग्य के प्रतीकों - जैसे फूल, फल या जानवरों के आकार में ढाला जाता है, जो परंपरा और कारीगरी का अनूठा मेल प्रस्तुत करते हैं। एक साधारण मान्थोउ कुशल शेफ़ के हाथों में एक सुंदर त्योहारी सजावट बन जाता है, जो उत्सव में रचनात्मकता और आनंद का एक विशेष तत्व जोड़ देता है।
24 दिसंबर को, बांग्लादेश के ढाका शहर के मोगबाजार क्षेत्र में एक सरल बम विस्फोट हुआ था, जिसमें एक 19 वर्षीय जवान की मृत्यु हो गई। उसके रिश्तेदार उसके शव के पास इकट्ठा होकर शोक प्रकट करते हैं।
क़लम की ताक़त पर संदेह न करना, क्योंकि हर कहानी की शुरुआत और अंत इसी कलम से होता है
बेहतर के लिए प्रयास करता हूं और लगातार नए विचारों का सृजन करता हूं
बहुत सीमित हूं मैं अपने शब्दों में,लेकिन बहुत विस्तृत हूँ अपने अर्थों में
भारत में पच्चीस सालों तक रहने का एक चीनी अनुभवी
चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित आली (Ali) की औसत ऊंचाई 4600 मीटर से भी अधिक है! यहाँ कभी ताजे फल और सब्जियाँ खाना एक सपना हुआ करता था, क्योंकि इन्हें दूर के मैदानी इलाकों से पहाड़ों को पार करके लाया जाता था। लेकिन अब विज्ञान और तकनीक ने यहाँ भी खेती को संभव बना दिया है! हाई-टेक ग्रीनहाउस और स्वचालित सिंचाई प्रणाली की मदद से, आली के लोग अब खुद तरबूज, सब्जियाँ और फल उगा रहे हैं! इस वीडियो में देखिए, कैसे ऊंचाई वाले इस रेगिस्तानी इलाके में अब ताजा तरबूज खाया जा रहा है!
चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के आली (Ali) में, जहाँ ऑक्सीजन मैदानी इलाकों से आधी है और साँस लेना भी मुश्किल, वहाँ एक छोटे से स्कूल के बच्चों ने असंभव को संभव कर दिखाया! कैलाश पर्वत (Mount Kailash) की तलहटी में स्थित इस स्कूल की "हाई-एल्टीट्यूड फुटबॉल टीम" के बच्चे रोज़ प्रैक्टिस करते हैं, ताकि उनकी पढ़ाई के साथ-साथ खेल की दुनिया भी रंगीन बनी रहे। आज, हमने इन बच्चों के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे स्कूलों में से एक पर फुटबॉल मैच खेला—देखिए कि कैसे हमने इस चुनौतीपूर्ण माहौल में अपना दमखम दिखाया! इस वीडियो में आप देखेंगे: 4600 मीटर की ऊंचाई पर खेलने की चुनौतियाँ। बच्चों का जज़्बा और टीमवर्क। बर्फीले पहाड़ों के बीच एक यादगार मैच!
2025 में चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं के लिए कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग फिर से खोला! इस बार 600 से भी ज़्यादा भारतीयों ने इस पवित्र यात्रा में हिस्सा लिया। हमने वहाँ जाकर कई यादगार लोगों से मुलाकात की—70 साल के उस दादा जी से, जो अभी भी हर साल कैलाश जाते हैं, उस गाइड तक जिसने 100 बार से ज़्यादा यह यात्रा की! आइए, सुनते हैं इनकी आस्था और अनुभवों की अद्भुत कहानियाँ...
हाल ही में, चीन के शीत्सांग (तिब्बत)स्वायत्त प्रदेश के विदेश आर्थिक एवं व्यापार संघ के एक प्रतिनिधि मंडल ने स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में एक सफल आर्थिक और व्यापारिक सिफारिश विनिमय बैठक आयोजित की। स्विट्जरलैंड में चीनी राजदूत छ्यान मिनच्यान, ज्यूरिख और लिक्टेंस्टीन में चीनी काउंसल जनरल छेन युन सहित चीन और स्विट्जरलैंड के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 200 प्रतिनिधियों ने बैठक में भाग लिया।
वर्ष 2025 तक, इस कंपनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले छिंगहाई-तिब्बत पठार रेलवे नेटवर्क की परिचालन लंबाई 4,060 किलोमीटर से अधिक हो गई।
"14वीं पंचवर्षीय योजना" (2021-2025) की शुरुआत से ही, शीत्सांग (तिब्बत) स्वायत्त प्रदेश ने व्यवस्थित रूप से 42 सक्रिय पुरातात्विक उत्खनन परियोजनाएं और 200 से अधिक बड़े पैमाने पर अवसंरचनात्मक पुरातात्विक सर्वेक्षण किए हैं।
शीत्सांग (तिब्बत) स्वायत्त प्रदेश के कृषि एवं ग्रामीण मामलों के विभाग ने बताया कि "14वीं पंचवर्षीय योजना" (2021-2025) की शुरुआत से अब तक, पूरे प्रदेश में कुल 1,000 "सुंदर पठारी गांवों" की निर्माण परियोजनाएँ कार्यान्वित की गई हैं। इनमें से 838 गांवों का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।