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The Narayana Kavacham: Divine Protection from Lord Indra and the Power of Sage Viswaroopa
This illustration captures a powerful moment from the Narayana Kavacham’s origins, where Lord Indra, mounted on his divine elephant Airavata, receives spiritual guidance from Sage Viswaroopa. This scene represents the origins of the Narayana Kavacham, a protective prayer gifted by the sage to Indra, which enabled him to reclaim his throne and conquer enemies. Learn more about the history, benefits, and divine protection invoked by the Narayana Kavacham in this essential Vedic armor for spiritual and physical well-being. #NarayanaKavacham #LordIndra #VedicProtection #SpiritualArmor #HinduMythology #SanatanaDharma
अपनह गीव कटाइहिं, जौ मांस पराया खांय। ‘रविदास’ मांस जौ खात हैं, ते नर नरकहिं जांय।।
अपनह गीव कटाइहिं, जौ मांस पराया खांय। ‘रविदास’ मांस जौ खात हैं, ते नर नरकहिं जांय।। दयाभाव हिरदै नहीं, भरवहिं पराया मास। ते नर नरक मंह जाइहिं, सत्त भाशै रविदास।। जो जीव मांस खाते हैं, उन्हें नरक में जाना पड़ता है यह बात कबीर और रविदास दोनों अपनी वाणी में कहते हैं। रविदास जी तो स्पष्ट कहते हैं कि मैं तुम्हे सत्य और भगवान का विधान बताता हूं की जिनके हृदय में दयाभाव नही ,जो अपने शरीर के पोषण,जिभ्या के स्वाद के लिए मांस खाते हैं, वे कभी भी मोक्षप्राप्ति भगवान प्राप्ति नहीं कर सकते।
Sant Ravidas
जैसे उस काल में इस्लामिक शासक हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहते थे । उस काल के प्रेरणास्रोत्र संत रविदास सरीखे महान चिंतक थे। जिन्हें अपने प्रान न्योछावर करना स्वीकार था मगर वेद और हिंदू धर्म का त्याग कर क़ुरान पढ़ना स्वीकार नहीं किया। संत रविदास जी जैसे संत परंपरा के चलते आज सामुचे विश्व में हम स्वयं को हिंदू कह सकते है । Details See: https://bit.ly/3GOxh9H