एक 36 साल की महिला पितृसत्तात्मक समाज की गहन बाधाओं पर काबू पाने के दौरान अपने खोए हुए करिश्मे को फिर से खोज लेती है.एक 36 साल की महिला पितृसत्तात्मक समाज की गहन बाधाओं पर काबू पाने के दौरान अपने खोए हुए करिश्मे को फिर से खोज लेती है.एक 36 साल की महिला पितृसत्तात्मक समाज की गहन बाधाओं पर काबू पाने के दौरान अपने खोए हुए करिश्मे को फिर से खोज लेती है.