चालीस के दशक में एक आदमी जीवन के भार को झेलता है. बीस साल की एक महिला अलग अलग अनुभवों से गुजरती है, लेकिन वह भी अपने जीवन के भार को झेलती है. साथ मिलकर वे एक दूसरे की मदद करते हैं.चालीस के दशक में एक आदमी जीवन के भार को झेलता है. बीस साल की एक महिला अलग अलग अनुभवों से गुजरती है, लेकिन वह भी अपने जीवन के भार को झेलती है. साथ मिलकर वे एक दूसरे की मदद करते हैं.चालीस के दशक में एक आदमी जीवन के भार को झेलता है. बीस साल की एक महिला अलग अलग अनुभवों से गुजरती है, लेकिन वह भी अपने जीवन के भार को झेलती है. साथ मिलकर वे एक दूसरे की मदद करते हैं.