इस बात से अनजान कि समाज ने उस पर क्या बोझ डाला है, एक उज्ज्वल महुआ एक क्रूर प्रथा के कारण खुद को एक जमींदार के चंगुल में फंसा पाती है.इस बात से अनजान कि समाज ने उस पर क्या बोझ डाला है, एक उज्ज्वल महुआ एक क्रूर प्रथा के कारण खुद को एक जमींदार के चंगुल में फंसा पाती है.इस बात से अनजान कि समाज ने उस पर क्या बोझ डाला है, एक उज्ज्वल महुआ एक क्रूर प्रथा के कारण खुद को एक जमींदार के चंगुल में फंसा पाती है.