यह कहानी बाल वधु आनंदी के बचपन से लेकर नारीत्व के सफ़र को दर्शाती है. आठ साल की उम्र में विवाह हो जाने के बाद, आनंदी को अपने नए परिवार को ही नहीं बल्कि कई नए बदलावों को भी स्वीकार करना पड़त... सभी पढ़ेंयह कहानी बाल वधु आनंदी के बचपन से लेकर नारीत्व के सफ़र को दर्शाती है. आठ साल की उम्र में विवाह हो जाने के बाद, आनंदी को अपने नए परिवार को ही नहीं बल्कि कई नए बदलावों को भी स्वीकार करना पड़ता है.यह कहानी बाल वधु आनंदी के बचपन से लेकर नारीत्व के सफ़र को दर्शाती है. आठ साल की उम्र में विवाह हो जाने के बाद, आनंदी को अपने नए परिवार को ही नहीं बल्कि कई नए बदलावों को भी स्वीकार करना पड़ता है.