निम्िलिखिते पत्रे मञ्जष
ू ायाां प्रदत्तैः शबदत ैः रिक्तस्थािानि पिू यत |
कािणात ् , अिुग्रह्णनतु , आगनतुम ् , धनयिादैः , ज्ििे ण
नििेदयालम , महोदया , ददिद्वयस्य , लशष्यैः , प्रधािाचायाथ
मानयाैः (i) ------------,
क.ख.ग. उच्चतर विद्यालयः ,
जयपुरम ् |
(ii) -------------- ,
सविियां (iii) ------------ यत ् गत िात्रेैः अहां (iv) ------------ ग्रस्तैः अस्स्म |
अस्मात ् (v) -----------अहां विद्याियम ् (vi) ------------- असमथथैः अस्स्म | अतैः
(vii) ------------- अिकाशां दत्िा माम ् (viii) -----------|
(ix) ------------- |
भिताम ् (x) -----------
िमेशैः
कक्षा –
महोदय , धतयिादः , तनिेदनम ् , श्रेयः , कदिनतरम ्
शलवपकः , अध्ययने , माशसकम ् , शर्क्षा-र्ुल्क , चत्िारः
सेिायाम ्
प्रधानाचायय ,
आदर्य पब्ललक शर्क्षा मंददर ,
जयपुरम ् |
-------------- ,
सविनयम ् -------------- अब्तत यत ् मम वपता एकः ------------- अब्तत ।
ततय िेतनम ् पञ्चदर्र्तमेि ------------- अब्तत | मम पररिारे --------------
सदतयाः सब्तत | तेषां पालनपोषणम ् अततकदिनम ् | विद्यालयतय
शर्क्षार्ुल्कप्रदानम ् तु ------------- भितत | धनाभािेन कदाचचत ् मम ------------
व्यिधानम ् न तयात ् | अतः मम प्रार्यना अब्तत यत ् भिततः ------------- प्रदानात ्
मुक्तं कृत्िा माम ् अनुगह्
ृ णततु |
------------- |
भिदीयः शर्ष्यः
----------------
1
संतकृत विद्यालयः
जयपरु
----------------
वप्रय शमत्र राजीि !
(i) -----------
अत्र (ii)-------- तत्राततु | भितः पत्रं (iii)--------- ज्ञातं यत ् भिान ् (iv)---------------
प्रर्मं तर्ानं प्राप्तिान ् | इदं ज्ञात्िा मम चचत्तं प्रफ़ुल्लम ् जातम ् | एतत ् सिं ति
सतत (v)----------- एि फलम ् अब्तत | मम गह
ृ तय सिेषाम ् (vi)------------ पक्षतः
भिते िधायपनातन | भिान ् उत्तरोत्तरं सफलतां प्राप्नोतु एषा अतमाकं (vii)-----------|
मातवृ पत ृ चरणेषु मम (viii)---------- | अनुजाय तनेहराशर्ः |
भितः शमत्रम ्
िमेशैः
प्रणामाः पररश्रमतय सदतयानाम ् परीक्षायाम ् र्भ
ु कामनाः
नमोनमः कुर्लं पदित्िा
छात्रािासतः
ददल्लीनगरम ्
ददनांकः ------------
परमादरणीयाः (i) ---------------- |
सादरं (ii) ----------------- |
सविनयं (iii)---------------- यत ् मम माशसकी परीक्षा समाप्ता जाता | मम
उत्तरपत्राणण (iv)--------------- अभिन ् | अब्तमन ् (v)------------- अहं गह
ृ ं न
आगशमष्याशम यतः विद्यालयेन एकतयाः (vi)----------------- प्रबतधः कृतः | एषा
यात्रा गुहानां दर्यनाय आयोब्जता अब्तत | यात्रा व्यायार्ं (vii) ---------------
रुप्यकाणण प्रेषयततु भिततः | र्ेषं सिं कुर्लम ् | (viii) --------------- अग्रजाय च
सादरं प्रणामाः |
भिदीयः (ix) ---------------
(x) ---------------
र्रदिकार्े , द्विसहस्रम ् , वप्रयपुत्रः , तनिेदयाशम , र्ैक्षक्षकयात्रायाः ,
प्रणमाशम , जनतयै , रमेर्ः , वपतम
ृ हाभागाः , र्ोभनातन
2
ददल्लीनगरम ्
ददनांकः ------------
वप्रय शमत्र प्रणि !
(i) ------------
अत्र (ii) ----------- अब्तत | ह्यः अतमाकम ् विद्यालये (iii) ------------- आयोजनम ्
कृतम ् | अतमाकम ् (iv) ------------ प्रर्मं तिरक्तम ् (v) ------------ | छात्राणाम ्
उत्साहम ् (vi) ---------- मया अवप (vii) ------------ कृतम ् | आर्ाब्तत भिान ् अवप
अब्तमन ् (viii) ----------- योगदानं कररष्यतत | र्ेषं कुर्लम ् विद्यते (ix) ------------
नमः |
भितः शमत्रम ्
(x) -------------
काये , दृष््िा , रक्तदानम ् , सिं कुर्लम ् , अयच्छत ् ,
तनतीर्ः , प्राचाययः , सप्रेम नमः , रक्तदानशर्विरतय , वपतभ
ृ यां
छात्रािासतः
ददनांकः ------------
वप्रय शमत्र
नमोनमः |
अत्र (i) --------- तत्राततु | अहं विद्यालयतय (ii) ----------- अततव्यततः आसम ् |
अतः (iii) ----------- पत्रं शलखाशम | त्िं जानाशस एि यत ् धािनम ् खेलाः च मह्यं
अतीि (iv) ------------ | मया अनेकासु प्रततयोचगतासु भागः (v) -----------
धािनप्रततयोचगतायां (vi) ----------- प्राप्तम ् | इदानीम ् प्रततयोचगताः तु समाप्ताः |
आगाशममासे एि (vii) ------------- भविष्यतत | तिशर्क्षकाणां
(viii) ----------- अहं सफलः भविष्याशम | ति (ix) ----------- मम प्रणामः
तनिेद्यते |
(x) ------------ शमत्रम ्
विर्ालः
रोचतते , िावषयकीपरीक्षा , विलम्बेन , गह
ृ ीतः , मागयदर्यनेन ,
भिदीयं , प्रततयोचगतासु , प्रर्मतर्ानम ् , कुर्लम ् , वपतभ
ृ याम ्