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पाल

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ऐगो नौका का फूला हुआ पाल

बादबान पवन कि शक्ति द्वारा किसी वाहन को जल, हिम या धरती पर आगे धकेलने के एक साधन को कहते हैं।[] आमतौर प पाल कपड़ा या अन्य कोय सामग्री स बनलो ऐगो सतह होय छै, जे वाहन म जड़लो हुए मस्तूल (mast) कहलावे वाला ऐगो सख़्त खम्बे के साथ लगलो हुए होय छै। जब पाल प वायू प्रवाह के प्रहार होय छै, त पाल फूली-स जाय छै, आरू आगु क धकेलने जाय छै। ई बल मस्तूल द्वारा यान क प्रसारित होय छै। कुछ पाल के आकार ऐसै होय छै कि, जेकरा प पवन ऐगो ऊपर की ओर उठाय वाला बल भी प्रस्तुत करै छै ्् हेकरा स भी वाहन क आगु धकेलै म असानी होय छै। पाल आरू पतंग दोनों म पवन के बल कु प्रयोग वस्तु क गति दैय के लेली होय छै।[][]

  1. "सरिता, अंक २६२-२७१," प्रकाशक: विश्वनाथ, १९६६,, ... ई कपड़ा क बादबान या पाल कहै छै , यही लेली उ नाव बादबानी किस्तियां भी कहलावे छेलै, जे एकदम हवा के दिक्षा प निर्भर छेलै ...'
  2. I. C. Campbell, "The Lateen Sail in Wod History", Journal of World History (University of Hawaii), 6.1 (Spring 1995), p. 1–23
  3. Marchaj, Czeslaw A. Sail Performance, Techniques to Maximize Sail Power, Revised Edition. London: Adlard Coles Nautical, 2003. Part 2 Aerodynamics of sails, Chapter 11 "The Sail Power of Various Rigs"