पाल
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बादबान पवन कि शक्ति द्वारा किसी वाहन को जल, हिम या धरती पर आगे धकेलने के एक साधन को कहते हैं।[१] आमतौर प पाल कपड़ा या अन्य कोय सामग्री स बनलो ऐगो सतह होय छै, जे वाहन म जड़लो हुए मस्तूल (mast) कहलावे वाला ऐगो सख़्त खम्बे के साथ लगलो हुए होय छै। जब पाल प वायू प्रवाह के प्रहार होय छै, त पाल फूली-स जाय छै, आरू आगु क धकेलने जाय छै। ई बल मस्तूल द्वारा यान क प्रसारित होय छै। कुछ पाल के आकार ऐसै होय छै कि, जेकरा प पवन ऐगो ऊपर की ओर उठाय वाला बल भी प्रस्तुत करै छै ्् हेकरा स भी वाहन क आगु धकेलै म असानी होय छै। पाल आरू पतंग दोनों म पवन के बल कु प्रयोग वस्तु क गति दैय के लेली होय छै।[२][३]
- ↑ "सरिता, अंक २६२-२७१," प्रकाशक: विश्वनाथ, १९६६,, ... ई कपड़ा क बादबान या पाल कहै छै , यही लेली उ नाव बादबानी किस्तियां भी कहलावे छेलै, जे एकदम हवा के दिक्षा प निर्भर छेलै ...'
- ↑ I. C. Campbell, "The Lateen Sail in Wod History", Journal of World History (University of Hawaii), 6.1 (Spring 1995), p. 1–23
- ↑ Marchaj, Czeslaw A. Sail Performance, Techniques to Maximize Sail Power, Revised Edition. London: Adlard Coles Nautical, 2003. Part 2 Aerodynamics of sails, Chapter 11 "The Sail Power of Various Rigs"