घात
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घात ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ घाती]
१. प्रहार । चोट । मार । धक्का । जरब । उ॰—(क) चुकै न घात मार मुठ भेरी ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) कपीश कूद्यो बात घात बारिधि हिलोरि कै ।—तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—चलना ।—होना । मुहा॰—घात चलाना = मारण, मोहन आदि प्रयोग करना । मूठ चलाना । जादू टोना करना ।
२. वध । हत्या । यौ॰—गोघात । नरघात । विश्वासघात ।
३. अहित । बुराई । उ॰—हित की कहौ न, कहौ अंत समय घात की ।—प्रताप (शब्द॰) ।
४. (गणित में) गुणनफल ।
५. (ज्योतिष में) प्रवेश । संक्रांति । यौ॰—घाततिथि । घातवार ।
६. बाण । तीर । इषु ।
घात ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. अभिप्राय सिद्ध करने का उपयुक्त स्थान और अवसर । कोई कार्य करने के लिये अनुकुल स्थिति । दाँव । सुयोग । उ॰—आप अपनी घात निरखत खेल जम्यो बनाइ ।—सूर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—तकना । मुहा॰—घात पर चढ़ना = किसी को ऐसी स्थिति होना जिससे दूसरे का मतलब सिद्ध हो । अभिप्राय साधन के अनुकूल होना । दाँव पर चढ़ना । वश में आना । हत्थे चढ़ना । घात में