मर्ग संज्ञा पुं॰ [फा॰] मौत । उ॰— तालए नश्क न हो वायसे दरदे सरे मर्ग । गैर के सर पै लगाता है वह संदल धिस्के ।—श्रीनिवास ग्रं॰, पृ॰ ८६ ।