एक पैरालिसिस डिजाइनर समाज की मानसिकता और निजी संघर्षों से गुजरता है, जब वह सामान्यता की कोशिश करता है, तब समानुभूति की निर्दयी छायाओं में अपने आंतरिक संघर्षों से जूझता है.एक पैरालिसिस डिजाइनर समाज की मानसिकता और निजी संघर्षों से गुजरता है, जब वह सामान्यता की कोशिश करता है, तब समानुभूति की निर्दयी छायाओं में अपने आंतरिक संघर्षों से जूझता है.एक पैरालिसिस डिजाइनर समाज की मानसिकता और निजी संघर्षों से गुजरता है, जब वह सामान्यता की कोशिश करता है, तब समानुभूति की निर्दयी छायाओं में अपने आंतरिक संघर्षों से जूझता है.