शुद्धि Quotes
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शुद्धि Quotes
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“तैयारी मुकम्मल होने के बाद पहला प्रहार सामने वाले की ओर से किए जाने का इंतज़ार करना, कारगर रणनीति होती है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“शोषण का फल अशिक्षा के वृक्ष पर उगता है, जिसमें अधिकारों की जानकारी ना होना खाद का काम करती है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“डर एक हद तक ही डराता है। भय की सीमा-रेखा पार करने के बाद दबे-कुचले लोग, आंदोलनकारी बन जाते हैं।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“परंपराएं हमारी धारणाओं की नींव पर खड़ी ऐसी इमारत है जिसका शिक्षा और शास्त्रों से कोई सरोकार नहीं है। भगवत गीता पढ़ने वाले, आत्मा को मोह-माया से दूर मानते हैं मगर मृत व्यक्ति की आत्मा के तेरह दिन घर में रहने की परंपरा पर यक़ीन कर लेते हैं।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“समाज उन लोगों के रास्ते में बेड़ियाँ ड़ालता है, जो उसकी परवाह करते हैं। अपनी मर्जी करने वालों से वह भय खाता है और भयभीत लोग, योद्धा नहीं होते।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“जिन लोगों में सच कहने की हिम्मत नहीं होती, वह सच के साथ खड़े होने का हौसला भी नहीं रखते।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“...हम औरतें चूल्हे की लकड़ियों की तरह होती हैं जो परिवार के लिए जल कर राख हो जाती हैं। पर कोई हमारे लिए दो शब्द भी अच्छे नहीं बोलता। सदियों से हमने खुदको चूल्हे के हवाले कर रखा है। अब टेम आ गया है भूमिका बदलने का। तूं कर सकती है इसीलिए कह रही हूँ, चूल्हे से बाहर निकल कर जल। जलना ही है तो मशाल बन कर रौशनी फैला।' आधी सदी पार वाली अपने भीतर जलती आग को सीमा के हवाले करके चली गई।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“जुआरी भयानक तरीक़े से आशावादी होता है। भविष्य से अनजान वह दांव पर दांव लगाता है। मानव इतिहास का पहला जुआरी किसान था। आज भी उसके जैसा जूआ और कोई नहीं खेलता। कुदरत पर जुआ लगाने वाला वह अकेला प्राणी है जो अपने हौसले की बाजी लड़ाता है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“ज़िंदा आदमी से असहमतियों पर खीजते हुए उम्र बिताई जा सकती है, मगर मृत देह से लिपटकर एक रात गुजारना भी मुश्किल होता है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“इंसान सामाजिक प्राणी है। उसे सुख-दुख बांटने और दिखावा करने के लिए उसी समाज की ज़रूरत होती है, जिसमें वह रहता है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“दिखावे का बोझ ढोता समाज खुशी के समान, विशेष दिनों में दु:ख का भी सार्वजनिक उत्सव मना लेता है।”
― शुद्धि
― शुद्धि